बंदिशें जाने कितनी हम बिरासत में ले आये हैं
अपने दिल की बात हम कहाँ तुम्हें कह पाए हैं
हुकुमरानों की शर्तों पर कहाँ तक कोई जीता है
मेरी हसरतों ने भी अब इन्कलाबी सर उठाएं हैं
आरजूओं को हम अपनी वहीँ दबा कर आये थे
जहाँ तेरे अरमानों ने नए पैर बनवाये हैं
है मुश्किल बड़ा तेरे दिल की जमीं पर अब चलना
क्या जाने किस मोड़ पर तूने कितने रकीब छुपाये हैं
सबने तुझे बे-बहरी का खिताब दे दिया है 'अदा'
क्या हुआ बे-बहर लिखती है सुर में तो तू गाये है
:)
ReplyDeletekisne kahaa ji aapko be-bahari....?
aur kisne kahaa ke aap sur mein gaate hain.HAMESHAAA..!!
pahilaa commnent hai ..
fir aaungaa ji...
:)
behad khoobsurat rachna..........बंदिशें जाने कितनी हम बिरासत में ले आये हैं
ReplyDeleteअपने दिल की बात हम कहाँ तुम्हें कह पाए हैं ...hum raaze mohabbat kah na sake chhup rahne ki aadat maar gyee....
आरजूओं को हम अपनी वहीँ दबा कर आये थे
ReplyDeleteजहाँ तेरे अरमानों ने नए पैर बनवाये हैं.
क्या बात है!!!
बंदिशें जाने कितनी हम बिरासत में ले आये हैं
ReplyDeleteअपने दिल की बात हम कहाँ तुम्हें कह पाए हैं
Bahut hi khoobsoorta pantiyan ban padi hain.
Navnit Nirav
सबने तुझे बे-बहरी का खिताब दे दिया है 'अदा'
ReplyDeleteक्या हुआ बे-बहर लिखती है सुर में तो तू गाये है
कुछ तो लोग कहेगे, लोगो का काम है कहना... :) दी मस्त..मज़ा आ गया..
आरजूओं को हम अपनी वहीँ दबा कर आये थे
ReplyDeleteजहाँ तेरे अरमानों ने नए पैर बनवाये हैं.
behad khubsurat rchna, dil tak utar gayi
बंदिशें जाने कितनी हम बिरासत में ले आये हैं
ReplyDeleteअपने दिल की बात हम कहाँ तुम्हें कह पाए हैं
kitni khoobsurat panktiyan !!
dil mein hi utar gayi seedhi.
अदा जी,
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना है आपकी
हमेशा की तरह
और एक बात आप 'हमेशा' सुर में गाती हैं,
लोगों की बातों पर ध्यान मत दीजियेगा
जहाँ तक बहर का सवाल है आप उसकी चिंता छोड़ दीजिये जो भी आप लिखतीं हैं बहुत ही अच्छा लिखती हैं
हम जैसे पाठक दिल से पढ़ते हैं
अदा जी,
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना है आपकी
हमेशा की तरह
और एक बात आप 'हमेशा' सुर में गाती हैं,
लोगों की बातों पर ध्यान मत दीजियेगा
जहाँ तक बहर का सवाल है आप उसकी चिंता छोड़ दीजिये जो भी आप लिखतीं हैं बहुत ही अच्छा लिखती हैं
हम जैसे पाठक दिल से पढ़ते हैं
बंदिशें जाने कितनी हम बिरासत में ले आये हैं
ReplyDeleteअपने दिल की बात हम कहाँ तुम्हें कह पाए हैं
lajwaab sher hain ye.
हर मोड़ पर तुमने न जाने कितने रकीब छुपाये हैं
ReplyDeleteअच्छा हुआ सावधान कर दिया ..!!
अदाजी ...आप सुर में तो गाती हैं ...इसमें कोई शक नहीं ...और यह किसने कहा बे-बहर लिखती है ..किसने ..??
हुकुमरानों की शर्तों पर कहाँ तक कोई जीता है
ReplyDeleteमेरी हसरतों ने भी अब इन्कलाबी सर उठाएं हैं
--वाह वाह!! क्या बात है..डूब गये!!
"सबने तुझे बे-बहरी का खिताब दे दिया है 'अदा'
ReplyDeleteक्या हुआ बे-बहर लिखती है सुर में तो तू गाये है"
@ Mr. Bethakhullus: 'mainie' kaha ji inko "be behari"
kyunki ye "sunti bhi hain..."
aur Samajhti bhi hain...
khud ki aawaz bhi aur zamane ko bhi
to ye behri kaise ho sakti hain?
waise aapki doosri baat pe koi comment nahi...
"aur kisne kahaa ke aap sur mein gaate hain.HAMESHAAA..!!"
...hahahaha.
@ Miss Ada: kal ki kahain (satya katha) ke baare main kya vichar kiya?
अरे दर्पण ,
ReplyDeleteहम बड़े सीरियसली कमेन्ट करने आये थे जी....
पहले वाली बात तो हमने कुछ कुछ सही सी लिखी है जी..
दूसरी बात फुल मजाक है...
अदा जी को हमने हमेशा सुर में ही पाया है.....
इतनी सुरीली आवाज है के जवाब नहीं....
इनके गले में सरस्वती का वास है
प्लीज आप दोनों मेरे पहले कमेन्ट को गंभीरता से ना लें....
और हाँ दर्पण,,,,,नहीं मानोगे तो सॉरी बोल दूंगा ..
हाँ नहीं तो,,,
:)
बेह्हद खूबसूरत है जी
ReplyDeleteआपको किसने कह दिया आपा कि आपको किसी ने बे-बहारी का खिताब दिया है। मेरी नज़र में आप ब्लॉग जगत की सबसे उम्दा तरीन लेखिका हैं। गायन में आपका कोई सानी नहीं और हर सवाल का जवाब आपके पास है। अब भाड़ में जाये दुनिया, आप लिखते रहिए और मैं देखता हूं कि कौन क्या कहता है।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
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ReplyDeleteहम एकजुट हों ,तो बंदिशें तोड़ भी सकते हैं ...अफ़सोस ...हम एकजुट होते नही ...! विरासत चलती आती है ..
ReplyDeleteहम बेबस हो,उनका पालन करते रहते हैं!
कैफी आज़मी का कुछ अशार याद आ रहे हैं:
"रुख बदल दे गर फूलना है तुझे,
मेरी गमखार मेरे साथ ही चलना है तुझे"
मेरी हसरतों ने भी अब इंकलाबी सर उठाये हैं ..बेहतरीन मिसरा है यह ।
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