Thursday, April 19, 2012

कांग्रेस एक साम्प्रदायिक पार्टी ... कोई आश्चर्य नहीं होगा..कल को अगर 'जज़िया टैक्स' फिर से हम हिन्दुओं पर जारी हो जाए...तैयार रहिये...

(निम्नलिखित लिंक पर कुछ इम्प्रेसिव पढने को मिला, कुछ अंशों को हिंदी में अनुवाद करके लिख दिया यहाँ, धन्यवाद सहित... http://ablazingindia.blogspot.ca/2012/01/communal-face-of-congress.html)
पिछले दो दशकों के बाद से, भाजपा पर एक साम्प्रदायिक राजनीतिक दल होने का आरोप लगाया जाता रहा है, इस साज़िश में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष मीडिया और कांगेस की मिलीभगत रही है, इस साज़िश में सो काल्ड, सूडो सेकुलर जन प्रतिनिधियों और सेलेब्रिटिस का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है, भारत  में एक फैशन है, अगर आप दूसरे धर्म के पक्ष में नहीं हैं तो, आप सांप्रदायिक हैं लेकिन अगर आप हिन्दू विरोधी हैं, तब आप सेकुलर अर्थात लौकिक माने जाते हैं..और ऐसी अवसत दर्जे की सोच आम तौर पर सूडो इन्तेलेक्चुल , या सामान्य अक्षर ज्ञान वालों में ही देखने को मिलती है, जिन लोगों में विश्लेष्ण करने की क्षमता नहीं होती या फिर जो बस एक ही दिशा में सोच सकते हैं...अधजल गगरी छलकत जाए...

कांग्रेस कितनी साम्प्रदायिक पार्टी है इसे साबित करने के लिए, किसी भी तरह के साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए.. क्योंकि तथ्य खुद बोलते हैं, तो पाठकों को समझाने की कोशिश करने के बजाय सिर्फ तथ्यों को अगर सामने रखा जाए, और पाठकों को ही तय करने दिया जाय तो बेहतर होगा, और यकीन है कि तथ्यों को देखने के बाद किसी शर्लक होम्स की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और स्वयं ही पता लग जाएगा कि वास्तव में सांप्रदायिक कौन है, अतीत की घटनाओं और कांग्रेस की वर्तमान रणनीति की विवेचना से, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, कि सच्चाई क्या है..

 1947 एंटी गोडसे दंगों : १९४७ में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने, खुद को जनता का सेवक कम उनका मालिक ज्यादा समझा, पूरे राष्ट्र में गोडसे विरोधी दंगे शुरू करवा दिए, जिसमें कांग्रेसी गुंडों द्वारा, बड़ी निर्ममता से श्री सावरकर और नाथू राम गोडसे के निर्दोष समर्थकों की, हत्या, पीटाई, लूट-मार, शामिल है, उनकी संपत्ति या तो छीन ली गयी या जला दी गयी और अनगिनत समर्थकों को कांग्रेसी सरकार ने आजीवन कारावास की सज़ा देकर जेल में ठूंस दिया...

१९८४ में मारा गया एक सिख
1984 सिख विरोधी दंगों: १९८४ में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, कांग्रेसी गुंडों ने खून का बदला खून लेने का फैसला किया और जी भर के निर्दोष सिखों का नरसंहार किया.. बाद में राजीव गांधी ने इन नृशंस हत्याओं को उचित ठहराते हुए, अपने वक्तव्य में भी कहा, जिसे कहने में उन्हें कोई संकोच भी नहीं हुआ, और जो रिकॉर्ड में भी है, कि जब एक शक्तिशाली पेड़ गिरता है, यह स्वाभाविक है कि चारों तरफ की धरती हिलती ही है"...बहुत पहले ही कांग्रेस को आतंकवादी पार्टी घोषित कर देना चाहिए था...लेकिन जो सत्ता की चौपड़ खेलते रहते हैं, उनके लिए जीतना ही मुख्य मक़सद होता है, जीत के लिए सांप्रदायिक, अलोकतांत्रिक और अनुचित जैसे शब्द अपना मतलब खो देते हैं...

शाहबानो प्रकरण: हम में से कुछ को अभी भी शाहबानो केस याद होगा, ये भी याद होगा कि किस तरह राजीव गांधी ने, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अवमानना करते हुए, पार्लियामेंट, में पूर्ण बहुमत से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का गठन करवाया...आज भारत दुनिया में एकमात्र देश है जहाँ अलग-अलग धर्म के लोगों के लिए अलग कानून है...वर्ना, अन्य देशों में कानून सबके लिए बराबर होता है, देश के सभी नागरिक बराबर होते हैं चाहे वो किसी भी धर्मं का क्यों न हो...ऐसी विभाजन की नीति सिर्फ हिन्दुस्तान में है, और इसे ऐसा बनाने का पूरा श्रेय जाता है कांग्रेस पार्टी को...कांग्रेस पार्टी की मंशा हमेशा से सिर्फ, सिर्फ वोट बैंक बचाने और बढाने की रही है, फिर चाहे, नियम-कानून कितने भी सांप्रदायिक, अलोकतांत्रिक और अनुचित क्यों न हों.. 

हज सब्सिडी: दुनिया में सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है, जहाँ हज की सब्सिडी दी जाती है...ये अलगाव पूर्ण व्यवहार क्यों ? क्या दूसरे धर्मों के लोगों को ऐसे प्रावधान नहीं मिलने चाहिए ? और ये भी कांग्रेस का शुरू किया हुआ, तुरुप का पत्ता है ताकि उनका वोट बैंक बना रहे...क्या यह अनुचित और सांप्रदायिक अभ्यास नहीं है?
कश्मीरी पंडितों की लाशें

1947-2001 से 300.000 कश्मीरी पंडितों का विस्थापन: 1947 में कश्मीर की कुल आबादी में 55% कश्मीरी पंडित थे लेकिन वो आबादी घट कर 2001 में रह गयी 0.1%, वहाँ कश्मीरी पंडितों पर आये दिन हमला किया गया, जिसमें कितनी हत्याएं की गयीं कोई हिसाब नहीं है, उनको पीटा गया, उनकी संपत्ति छीन ली गयी, लड़कियों का ज़बरदस्ती धर्मपरिवर्तन, निकाह करवाया गया और बहुतों को कश्मीर से बाहर भगा दिया गया...सारी कोशिश की जाती रही कश्मीर को इस्लामिक राज्य बनाने के लिए , काग्रेस ने सत्ता पर होते हुए भी, कभी कुछ भी करने का प्रयास नहीं किया, कांग्रेस का शासन काल भारत में १९४७-१९९६ तक रहा और उसके बाद २००४ से आज तक कांग्रेस ही सत्ता में है...जितना भी समय आज़ादी के बार, हिन्दुस्तान को मिला है, लगभग सारा ही कांग्रेस को मिला है, इससे ज्यादा समय हम भारतीय दे भी नहीं सकते थे, किसी भी पार्टी के लिए इतना समय बहुत होता है...लेकिन कांग्रेस ने न कश्मीर के लिए कुछ किया न कश्मीरी पंडितों के लिए कभी कुछ नहीं किया...वैसे भी ये आग उनकी ही पार्टी की लगाई हुई, थी, है, और रहेगी...हाँ दिल्ली में एक कालोनी शायद बनी है और कश्मीरी पंडितों को 'शरणार्थी' का दर्ज़ा ज़रूर दिया है...इसे आप क्या कहेंगे..सांप्रदायिक या दरियादिली ?
 
सांप्रदायिक हिंसा विधेयक: एक बड़ा ही बेतुका सा सांप्रदायिक हिंसा विधेयक, पास किया गया है, और वो भी हुआ है सोनिया गांधी के निर्देशन में...इस विधेयक के अनुसार, अगर कहीं सांप्रदायिक हिंसा होती है तो, इस कानून के तहत, बहुसंख्यक समुदाय का अपराध दंडनीय माना जाएगा, लेकिन अल्पसंख्यकों का अपराध दंडनीय नहीं माना जाएगा ...अल्पसंख्यक समुदाय के शिकायतकर्ता, अपने घर में बैठ कर भी बहुसंख्यक समुदाय के विरुद्ध शिकायत दायर कर सकते हैं....और तो और उनको सिर्फ एक बार अदालत में जाना होगा, जिनके खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे की शिकायत की हैं उन्होंने,  उनकी पहचान के लिए, उन्हें अपने विरोधी के सामने जाने की कोई आवश्यकता ही नहीं है...इस तरह गुप्त रूप से अल्पसंख्यक, बहुसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक होने की शिकायत कर सकेंगे और तथाकथित अभियुक्त को कभी मालूम ही नहीं चलेगा कि शिकायत किसने की है... इस बिल के तहत मान लिया जाता है कि बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य, हमेशा, हर मामले में दोषी हैं, ये जो कहा जाता है न कि जब तक अभियोग साबित न हो कोई भी अभियुक्त नहीं होता..हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं है...इस तरह के बिल पास करने वाली कांग्रेस और कुछ नहीं सिर्फ और सिर्फ हिन्दू विरोधी है ...

अंध श्रद्धा निर्मूलन कानून: एक और  मसौदा तैयार किया गया है, महाराष्ट्र राज्य में कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार द्वारा, इसे "अंध श्रद्धा निर्मूलन कानून" कहते हैं, इस कानून के तहत, बहुसंख्यक समुदाय के लोगों को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को करने से रोकना है, जैसे हवन, रामायण पाठ, कथा इत्यादि...भगवान् की तस्वीर सार्वजनिक रूप से लगाने की मनाही हो जायेगी...कहने का तात्पर्य यह है कि हिन्दू धर्म' का समूल नाश करने का हर प्रयास कांगेस कर रही है...लेकिन यह साम्प्रदायिक विचार नहीं है, हमारे तथाकथित, अभिजात वर्ग, और सूडो सेकुलर लोगों के लिए...कोई आश्चर्य नहीं होगा..कल को अगर 'जज़िया टैक्स' फिर से हम हिन्दुओं पर जारी हो जाए...तैयार रहिये...

हाँ नहीं तो...!!