बतंगड की जड मे बात होती है. बतंगड के बाद कहा बात होती है बहुत खूब बेबात का बात बनाया. बात का फिर बतगड बनाया. बतगड तो होने दीजिएगा. बात बन्द मत होने दीजिएगा
मैं पर्सनल एक्सपीरियेंस के आधार पर कहता हूं कि अति घनिष्ठता कहीं न कहीं रिश्तों की प्रगाढ़ता को कम करती है, अगर वो रिश्ता खून से न जुड़ा हो। देखियेगा कि कहीं किन्हीं दो लोगों में बहुत ज्यादा दोस्ती चल रही होती है, फिर वो पार्टनर बन जाते हैं, फिर अचानक पता चलता है कि दोनों में इतना मन मुटाव हुआ कि दोनों अलग अलग हो गये और अब दोनों में दस साल से बातचीत बंद है। मेरा मानना है कि सभी से अच्छे संबंध रखने चाहिए लेकिन एक हद तक फॉर्मालिटी मेनटेन करके रखना चाहिए, ताकि रिश्तों में ब्रीदिंग स्पेस ज़रूर रहे।
गर मेरे जीवन का सार मुझे निकलना हो ,तो , यही कहूँगी , 'बात न जाने कैसे बतंगड़ बन गई .. गधे पे सवार हुई तो उतारी गई , उतरी तो पूछा , क्यों उसपे सवार नही ? '
एक गहन संवेदन शीलता है आप मे, जो हर बात दिलो दिमाग़, दोनों, मान जाते हैं..!
बात तो वाजिब कही आपने, वैसे बोतों का बेहतरीन संयोजन
ReplyDeletesahi akha bat se bat nklai aur bat hi nadarad hui
ReplyDeleteacha laga padkar
बतंगड की जड मे बात होती है.
ReplyDeleteबतंगड के बाद कहा बात होती है
बहुत खूब बेबात का बात बनाया. बात का फिर बतगड बनाया. बतगड तो होने दीजिएगा. बात बन्द मत होने दीजिएगा
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ReplyDeleteबातॊं बातों में सच्ची बात लिख दी आपने ।
ReplyDeleteबातों बातों में ..बात के ऊपर
ReplyDeleteजाने कितनी बात वो कर गए..
हाँ तुमसे बात करेंगे हम ,खुशी हुई इतनी ,इस बात की
की उनकी इसी बात पे मर गए...
पर करें का ..... बोले बिना तो बात ही नहीं बनती.
ReplyDeleteसच्ची बात के लिये आभार.
ये तो ज्यादति हो गई!!
ReplyDeleteवो बात ही क्या जिसका बतंगड़ न बने....
ReplyDeleteनीरज
सँभालिए सँभालिये , बात बन्द न हो !
ReplyDeleteमैं पर्सनल एक्सपीरियेंस के आधार पर कहता हूं कि अति घनिष्ठता कहीं न कहीं रिश्तों की प्रगाढ़ता को कम करती है, अगर वो रिश्ता खून से न जुड़ा हो। देखियेगा कि कहीं किन्हीं दो लोगों में बहुत ज्यादा दोस्ती चल रही होती है, फिर वो पार्टनर बन जाते हैं, फिर अचानक पता चलता है कि दोनों में इतना मन मुटाव हुआ कि दोनों अलग अलग हो गये और अब दोनों में दस साल से बातचीत बंद है। मेरा मानना है कि सभी से अच्छे संबंध रखने चाहिए लेकिन एक हद तक फॉर्मालिटी मेनटेन करके रखना चाहिए, ताकि रिश्तों में ब्रीदिंग स्पेस ज़रूर रहे।
ReplyDeleteक्या बात है और क्या बतंगड़ है। वैसे मुझे लगा कि बतंगड़ का कॉपीराइट तो मेरे ही पास है। :)
ReplyDeletebilkul hi sahi kha hai .
ReplyDeleteisiliye bade log khte hai soch smjh kar bolna chhiye.
बात बिगड़ने से पहले ही ठीक कर ली जाए तो बीर बात बिगड़ती हही............ सुंदर पोस्ट
ReplyDeleteसुन्दर ....बहुत सुन्दर......अतिसुन्दर
ReplyDeletebhai baat hai aapki baat me
ReplyDeleteumda baat !
achhi baat !
Ye to hona hi tha.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ये बातों ही बातों में क्या हो गया ?
ReplyDeleteऐसा हो नहीं सकता ....
बहुत ही मधुर आवाज़ है आपकी...
आज ही सुनना हो पाया
sundar !!
wah kya shabdon ka jaal buna hai...
ReplyDelete..logic and emotions....
...flawless !!
wo kavita yaad ho aie anayas hi....
"Naari vich saari hai...."
सत्यवचन
ReplyDeletebaat se baat nikli,,,
ReplyDeletekya baat kahi aapne,,,
aapki baaton ne,,,
hamen be-baat kar diyaa,,,
behtareen,,,
गर मेरे जीवन का सार मुझे निकलना हो ,तो , यही कहूँगी , 'बात न जाने कैसे बतंगड़ बन गई .. गधे पे सवार हुई तो उतारी गई , उतरी तो पूछा , क्यों उसपे सवार नही ? '
ReplyDeleteएक गहन संवेदन शीलता है आप मे, जो हर बात दिलो दिमाग़, दोनों, मान जाते हैं..!
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