बड़ी जल्दी जल्दी लिखते हो जी आप तो.. इत्ती जल्दी तो हम कमेन्ट भी ना कर पाते.... :) आज तक किसी को नहीं बनाया.... पर लगता है के आपको गुरु बनाना पडेगा... सादर मनु..
आपा, पहले तो माफी चाहूंगा कि शनिवार को शाम को ऑफिस से चला गया, तो इंटरनेट से जुड़ ही नहीं सका और न ही पढ़ पाया। अभी सोमवार को पढ़ा, बहुत ही लाजवाब लगा। अब तो इंटरनेट में बैठने के साथ ही पहले आपका ब्लॉग खोलता हूं, तब ही कोई और काम शुरू करता हूं। वैसे ये छह लाइनें, ज़िंदगी के फलसफे का इतनी गहराई से परीक्षण कर रही हैं कि इनके एक-एक अक्षर बोलते जान पड़ते हैं। अब मैं और क्या कह सकता हूं। एक शब्द में कहूं तो यह है लाजवाब।
नदीम,
ReplyDeleteतुमने कहा था कि और एक चाहिए शाम तक..
तुम्हारी बात कैसे टालती भला.
पढो और बताओ, कैसे हैं...
आपा
बड़ी जल्दी जल्दी लिखते हो जी आप तो..
ReplyDeleteइत्ती जल्दी तो हम कमेन्ट भी ना कर पाते....
:)
आज तक किसी को नहीं बनाया....
पर लगता है के आपको गुरु बनाना पडेगा...
सादर
मनु..
बहुत खूब लिखा है ---
ReplyDeleteमैने भी सुर मिलाया है देखे :
बदहवास तल्खिया और नज़रे इनायत उनकी
कभी आफताब तो कभी माहताब है ज़िन्दगी
उतनी मौत को नहीं है जल्दी पाने की ,
ReplyDeleteजितनी मुझे छोड़ने को बेताब है जिन्दगी.
क्या पता मौत के बाद कैसी हो,
कैसे कह दूं अभी , कि खराब है जिन्दगी
छुपा रखा है मेरा वजूद जिसने ,मौत से,
वो काला, गहरा , नकाब है जिन्दगी ..
दिल तो कर रहा है लिखता ही जाऊं....बहुत ही उम्दा हमेशा की तरह..
.. .....
ReplyDeleteज़िन्दगी ख्वाब है या ख्वाब है ज़िन्दगी ..
वाह!कमाल का बयाने ज़िन्दगी!
मैं अगर कुछ सकूं तो सिर्फ़ इतना के,
"ख्याब शीशे के हैं, किरचॊं के सिवा क्या देगें,
टूट जायेगें तो जख्मों के सिवा क्या देगें."
फ़रमाइश भले ही नदीम जी की हो लेकिन लाभ हम सब को मिला. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteBahut achchhi rachna. Bhale hee aapne kisi ke liye likhi ho
ReplyDeleteAap to jaise rachnaon kee chaltee firtee rachaita ho..kitnee sahajtase likh detee hain aap..ham padhne wale hairan ho jate hain...! Kya baat hai..!
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दर्पण जी,
ReplyDeleteमैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं, आपसे कहने की हिम्मत ही नहीं हुई कि कहूँ कृपया पढ़ लें..
लेकिन फिर सोचा कह ही दूँ....
bahut hi badhiya ........ek khubsoorat rachana
ReplyDeleteन तुमने जाना न मैंने ही पहचाना
ReplyDeleteज़िन्दगी ख्वाब है या ख्वाब है ज़िन्दगी
wah...
koi samjhe to kitna gehra arth hai iska....
chupati rahi sadiyon apni umr yun mano,
ladkiyon ki umr ka sa hisaab hai zindagi.
:)
Oh sorry Mera dost online tha uske profile se comment send ho gaya....
ReplyDeleteBest Regards.
Darpan Sah 'Darshan'
bahut hi khoobsoorti se zindagi ko paribhashit kiya hai.
ReplyDeleteआपा, पहले तो माफी चाहूंगा कि शनिवार को शाम को ऑफिस से चला गया, तो इंटरनेट से जुड़ ही नहीं सका और न ही पढ़ पाया। अभी सोमवार को पढ़ा, बहुत ही लाजवाब लगा। अब तो इंटरनेट में बैठने के साथ ही पहले आपका ब्लॉग खोलता हूं, तब ही कोई और काम शुरू करता हूं। वैसे ये छह लाइनें, ज़िंदगी के फलसफे का इतनी गहराई से परीक्षण कर रही हैं कि इनके एक-एक अक्षर बोलते जान पड़ते हैं। अब मैं और क्या कह सकता हूं। एक शब्द में कहूं तो यह है लाजवाब।
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