Tuesday, November 16, 2010

खुशियों का ये चश्मा है, अब दीदार तुझसे है ....


मेरे ख़यालों की वादी, गुलज़ार तुझसे है
दिल के मेरे अंजुमन में, बहार तुझसे है

तेरे होंठों पे चटक गए, हज़ारों गुँचे 
मेरी ग़ज़ल का हर इक, अशआर तुझसे है

नर्गिस कहूँ तुझे, या कहूँ रूह-ए-चमन
गुलों में रंग, गुलिस्ताँ का सिंगार तुझसे है 

मयगुसार तेरी आखें, हमें बेसुध कर गईं 
खुशियों का ये चश्मा है, अब दीदार तुझसे है 




13 comments:

  1. दीदी,
    चित्र बेहद सुन्दर और ये रचना बेहद सुन्दर और असरदार
    अब मुझे उर्दू डिक्शनरी इस्तेमाल करनी आ गई है अब अर्थ समझने में कोई परेशानी नहीं है :)
    http://my2010ideas.blogspot.com/2010/11/urdu-dictionary.html

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  2. खुशियों का चश्मा है ...अब दीदार तुझसे है ...
    मेरी हर ग़ज़ल का अशआर तुझसे है ...
    क्क्क्क ...कौन है ये ....:):)
    क्या बात है , क्या बात है ...क्या बात (मिथुन दादा स्टाईल )
    आपको इस ख़ुशी के साथ देखना बहुत अच्छा लगा ...

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  3. @ उड़ी बाबा...बानी जी,
    हमारा पति के अलावा आउर कोन हो शकता है बोलो तो ..!
    (योगिता बाली इश्टाइल में हा हा हा )

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  4. अरे वाह बहुत ही रोमांटिक रचना है ये तो... हा हा हा...
    बोले तो...एकदम झक्कास....
    मेरे ब्लॉग पर मेरी कविता अपनी शर्म धोने अब कहाँ जायेंगे ??...

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  5. आज की टीप वाणी जी को समर्पित :)

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  6. खूबसूरत भावों से लिखी खूबसूरत रचना ...

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  7. `गुलों में रंग, गुलिस्ताँ का सिंगार तुझसे है'

    आखिर इस ब्लाग का दारोमदार तुझसे है :)

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  8. बहुत दिनों के बाद कोई गज़ल आई है आपकी पोस्ट पर, वही पुरानी रौ में देखना बहुत अच्छा लगा। चित्र बहुत सुंदर है, हमेशा की तरह।
    आभार।

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  9. तेरे होंठों पे चटक गए, हज़ारों गुँचे,
    मेरी ग़ज़ल का हर इक, अशआर तुझसे है।

    वाह, बहुत खूब...बेहतरीन ग़ज़ल, बहुत अच्छा लिखती हैं आप...बधाई।

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  10. kya bat hai kya khub likha hai aapne

    bahut khubsurat rachna

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  11. are wah...is mood me aapko pahli baar padha...bahot achcha... :)

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  12. Mast likha hai aapne...
    sab ek achhe flow mein :)

    Regards,
    Dimple

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