इक दाग़ लगा था
जो,
अब दिल बन बैठा है
लत लगवा दी,
जान-बूझ कर
और कहा
जीवन इक समझौता है
और कहा
जीवन इक समझौता है
आवाज़ मेरी धोखे से
क़ैद कर ली पाबंदियों ने,
क़ैद कर ली पाबंदियों ने,
अब भी बन्द हैं
मेरे ख़्वाब
बस इक काजल की डिब्बी में
मेरे ख़्वाब
बस इक काजल की डिब्बी में
अगर...
यही विरासत है मेरी
तो.....
बिटिया मुझसे ये नहीं पाएगी पंख लगा कर वो उड़ेगी
लाखों ख़्वाब सजाएगी
साँस लेगी, चहकेगी वो
निर्मल सरिता सा बहना है
पाबन्दी-वाबंदी वालों
कर लो जो भी करना है....!
मेरे बाबा की तबियत अब बहुत अच्छी है...हमलोगों ने बहुत सारी बातें की...वो बहुत ख़ुश हैं...हम सभी बहुत ख़ुश हैं ...माँ की गोद, बाबा का आशीर्वाद, और बच्चों की ऊंट-पटाँग बातें...इतनी व्यस्तता के बीच, ये समय अनमोल बीत रहा है....हमलोगों ने अन्ताक्षरी खेली...हा हा हा...मेरी माँ की पसंद का ये गीत, माँ को सुनाया था...सोचा आपलोग भी फिर से सुन लें...
रखना भी नहीं चाहिए अपनी बिटिया को समाज की पाबंदियों के पिज़रे में क़ैद...बहुत प्रेरक रचना...
ReplyDeleteलाखों ख़्वाब सजाएगी
ReplyDeleteसाँस लेगी, चहकेगी वो
निर्मल सरिता सा बहना है ....
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
bahut sunder ma ke bhav...........
ReplyDeleteshubhkamnae.....
bchpn or jivn ka sch yhi he achchaa hi nhin bhut achchaa lekhn he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteअरे वाह जानकर ख़ुशी हुई....
ReplyDeleteकविता भी बहुत अच्छी है, मुझे भी अछि लगी....आपको दीपावली की शुभकामनाएं..
पाबन्दी-वाबंदी वालों
ReplyDeleteकर लो जो भी करना है....
पाबंदी तो ईश्वर ने ही लगाई है... मां पर, बेटी पर..:(
बाबा जी के स्ल्थ होने की खबर सुन कर बहुत अच्छा लगा!
ReplyDelete--
ज्योति-पर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
दीदी,
ReplyDeleteहाँ ... बस .. यही खुशखबरी सुननी थी हमें ... दीपावली के ढेर सारी शुभकामनाएं आपको , परिवार को , पाठकों को
पूरे साल आपके ब्लॉग पर बहुत उछल कूद मचाई है इस (गौरव) बच्चे ने इसलिए और क्योंकि दीपावली नव वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है इसलिए भी ... साल भर में किसी भी बचपने ने अगर आप को थोडा सा भी (.. जरा सा भी) दुखी किया हो तो क्षमा मांगता हूँ
सच मे आज असली खुशी झलक रही हे आप के ब्लांग से, बाबा ऎसे ही हंसते खेलते रहे आप सब के बीच, ओर आप सब को उन का आशिर्वाद युही हमेशा मिलता रहे हमारा प्रणाम कहे मां ओर बाबा को
ReplyDeleteआपकी ओर से आपके पिता जी के लिये,
ReplyDeleteतेरी गोदी में पलकर विश्वास बढ़ा है,
पंख लगा दो, उड़ने को आकाश पड़ा है।
बाबा के लिए हर्ष ध्वनि !
ReplyDeleteरूढियों को आगे नहीं बढ़ाना अच्छा निर्णय !