नारी कुदरत की एक बेहतरीन रचना है और इस रचना से छेड़छाड़ करना मूर्खता है...अक्सर देखती हूँ नारियाँ इतना ज्यादा बनाव-सिंगार पर उतर आतीं हैं कि असली ख़ूबसूरती फ़ाऊंडेशन और मस्कारा के तह के नीचे दब कर रह जाती है...हर स्त्री ख़ुद को ऐश्वर्या या प्रियंका दिखाने की भूल में ख़ुद की ख़ूबसूरती के साथ नाइंसाफी कर जाती है....ईश्वर ने हर किसी को खूबसूरत बनाया है, ज़रुरत है उस ख़ूबसूरती को पहचानने की ..
बनावटी ख़ूबसूरती के बजाय अगर अपनी कुदरती ख़ूबसूरती के साथ सामने आया जाए तो वह ज्यादा कारगर सिद्ध होता है...आप जैसी हैं, वैसी ही ख़ुद को प्रस्तुत करें, तो उसका प्रभाव बहुत कारगर होता है... नकली ख़ूबसूरती के पीछे लोग भागते तो हैं..लेकिन जिस दिन उनका भ्रम टूटता है..वो अफ़सोस करते हैं कि जिसे वो तारो-ताज़ा फूल समझ रहे थे वो महज़ कागज़ का था..कृत्रिम तरीके से पाई गई सुन्दरता के सहारे किसी को वश में किया जा सकता है...लेकिन बाँध कर रखा नहीं जा सकता है ..एक शाश्वत सत्य है...हर खूबसूरत चीज़ कभी न कभी बदसूरत हो ही जाती है ...इसलिए आप जैसी है, जो हैं वही नज़र आइये...फिर जो आपसे जुड़ेंगे, किसी भुलावे का शिकार नहीं होंगे..
ख़ूबसूरती के प्रति सभी अनुराग रखते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा प्रभावशाली होता है व्यक्तित्व... सुन्दरता को नहीं अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाएं...सुन्दरता कुछ देर तक अपना असर दिखा सकती है, लेकिन व्यक्तित्व का असर बहुत हद तक स्थायी होता है है...इसलिए पाउडर, रूज़ और perfumes पर अपने पैसे ख़राब न करके एक सुन्दर व्यक्तित्व की स्वामिनी बनिए ... देखिये आप कितना असर डाल सकतीं हैं...
sach hai...
ReplyDeleteव्यक्तित्व के साथ ही साथ कृतित्व भी आवश्यक है ..सुन्दर अभिव्यक्ति . आभार ...
ReplyDeleteएक बेहतरीन पोस्ट लिखी हैं अपने, वैसे तो मुझे नहीं आना चाहिए था क्योंकि विषय सिर्फ महिलावो पर था, मगर अपने-आप को रोक नहीं पाया. सचमुच नारी वोही अच्छी अच्छी लगती हैं जो बीना मेकप के दिखाती हैं.
ReplyDeleteश्रृंगार प्राकृतिक है तो ठीक है बाकी सब व्यर्थ है| प्रकृति माँ की तरह मानव का ध्यान रखती है | वैसे भी आजकल के अधिकतर ब्यूटी प्रोडक्ट्स की सच्चाई सब जानते हैं | फिर भी प्रयोग करे तो क्या कहें ?? :)
ReplyDeleteश्रृंगार प्राकृतिक है तो ठीक है बाकी सब व्यर्थ है| प्रकृति माँ की तरह मानव का ध्यान रखती है | वैसे भी आजकल के अधिकतर ब्यूटी प्रोडक्ट्स की सच्चाई सब जानते हैं | फिर भी प्रयोग करे तो क्या कहें ?? :)
ReplyDeleteसही है, अब तो नारी को विज्ञापन की तरह प्रयोग में लाया जा रहा है। प्राकृति श्रृंगार [नेचुरल ब्यूटी] ही नारी की असली सुंदरता है॥
ReplyDeleteआपके आलेख की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है.
ReplyDeleteवाकई , हमें तो आपके हर शब्द पसंद आये.
""ख़ूबसूरती के प्रति सभी अनुराग रखते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा प्रभावशाली होता है व्यक्तित्व...
सुन्दरता को नहीं अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाएं...""
- विजय तिवारी ' किसलय'
सही है.
ReplyDeleteशारीरिक खूबसूरती चार दिन की चांदनी ..फिर अँधेरी रात ..
ReplyDeleteव्यक्तित्व ही प्रभावशाली होना चाहिए ...
सही बात !
क्या पोस्ट है, अभी श्रीमतीजी को पढ़ाते हैं।
ReplyDeleteइस आलेख पर 'नो कमेंट' ही सेफ जोन लग रहा है मुझे :)
ReplyDeleteसही है... इतना मेक-अप करती है की बस, जैसे पूरी की पूरी एक परत बिछा दी गयी हो... एकदम सत्य...
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात कही।
ReplyDeleteजो बात कहते हम डरते रहे आप ने कह दी. धन्यवाद्
ReplyDeleteबेशक
ReplyDelete1. ब्लाग4वार्ता :83 लिंक्स
2. मिसफ़िट पर बेडरूम
3. प्रेम दिवस पर सबसे ज़रूरी बात प्रेम ही संसार की नींव है
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