उसका नकारा पति, आवारा देवर, और वहशी ससुर
उसे बाल से पकड़ कर घसीटते हुए ले आये होंगे
लात, घूसे, जूते से मारा होगा
लात, घूसे, जूते से मारा होगा
सास की दहकती आँखें,
उस दहकते हुए सरिये से कहाँ कम रही होगी,
उसका मुंह बाँध दिया गया होगा,
आवाज़ हलक में हलाक़ हो गई होगी,
दहकता हुआ सरिया नर्म चमड़ी पर,
अनगिनत बार फिसल गया होगा,
दाग दो साली नीपूती, कुलटा को,
दाग दो साली नीपूती, कुलटा को,
आँखों में दहशत,
काठ बन गई होगी,
काठ बन गई होगी,
कुलच्छिनी, कमीनी, वेश्या,
घर की इज्ज़त बर्बाद कर दी है...
घर की इज्ज़त बर्बाद कर दी है...
इसका ख़त्म हो जाना ही बेहतर है ..
यही फैसला हुआ होगा
और फिर सबने उसे उठा कर फेंक दिया होगा...
रसोई घर में...
तीन बोतल किरासन तेल में,
उसके सपने, अरमान, विश्वास, आस्था
सब डूब मरे होंगे,
सब डूब मरे होंगे,
पहली बार उत्तेजित.. उसके पति ने,
जिसकी इज्ज़त से वो खेलती रही थी !!
ने दियासलाई सुलगा दी होगी...
ने दियासलाई सुलगा दी होगी...
स्थिर आँखों से उसने अपने पति को देखा होगा
"काश !!"
फिर छटपटाती आँखों से उसने पूछा भी होगा
'क्यों' ??
किसी ज़िबह होते जानवर सी वो घिघियाई होगी
नज़रों के सामने कितनी रातें तैर गयीं होंगी
जब उसने खुद को तलहटी तक नीचे गिराया था ..
"काश !!"
फिर छटपटाती आँखों से उसने पूछा भी होगा
'क्यों' ??
किसी ज़िबह होते जानवर सी वो घिघियाई होगी
नज़रों के सामने कितनी रातें तैर गयीं होंगी
जब उसने खुद को तलहटी तक नीचे गिराया था ..
काँपा तो होगा हाथ उसके पति का...
पर उससे क्या ???
पर उससे क्या ???
आज वो पोस्टमार्टम की रिपोर्ट बन गई,
'कुँवारी' बताया है उसे..!!
सुबह, एक और रिपोर्ट आई थी...डाक्टर की
'कुँवारी' बताया है उसे..!!
सुबह, एक और रिपोर्ट आई थी...डाक्टर की
जो रसोई घर में घटित ....
इस अप्रत्याशित दुखद दुर्घटना
में जल कर राख हो गई....!!!इस अप्रत्याशित दुखद दुर्घटना
नारी तेरी यही कहानी/ आंचल में दूध आंखों में पानी :)
ReplyDeleteअरे.....
ReplyDeleteहौलनाक ही सही पर सच तो है ! हमारे अंदर का जानवर बस ऐसे ही जागता है और इंसान होने पर गहरे सवाल छोड़ जाता है !
ReplyDeleteओह! बेहद मार्मिक और संवेदनशील रचना।
ReplyDeleteBahad marmspharshi ...ek katu sachhyee se ru-b-ru karti.. man ko kachot jaane wali vyakat vedana...
ReplyDelete...
पहली बार उत्तेजित.. उसके पति ने,
ReplyDeleteजिसकी इज्ज़त से वो खेलती रही थी !!
ने दियासलाई सुलगा दी होगी...
स्थिर आँखों से उसने अपने पति को देखा होगा
"काश !!"
फिर छटपटाती आँखों से उसने पूछा भी होगा
'क्यों' ??
main kuch kahne ki manahsthiti me nahi... shabd , bhawnayen halak me rah gaye ....
jane kaisa saaya dikha aur chehra sard pad gaya
लगता है समय की कमी से गुजर रही है . पहले भी पढ़ी थी ये मार्मिक रचना आज फिर पढ़ लिया. पढ़ के मन उद्वेलित हो गया .
ReplyDeletekavita kuch kahati hai lakin kuch samajh nahi aaya ki aap isme kiya kahana chahati hai.
ReplyDeleteachchi rachna...aur kathor sach...badhai.
ReplyDeleteउफ्फ्फ .... ये बेहद दर्दनाक है
ReplyDeleteस्तब्धकारी , खौफनाक , वीभत्स
ReplyDeleteपहली बार पढ़ी थी तब भी यही प्रतिक्रिया गूंजी थी ...!
बहुत मार्मिक ... एक कड़वा सच उजागर करती रचना ...
ReplyDeleteबेहद मर्मस्पर्शी और झकझोर देने वाली कविता.
ReplyDeletemaarmik rachna!!!
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