मेरे ख़यालों की वादी, गुलज़ार तुझसे है
दिल के मेरे अंजुमन में, बहार तुझसे है
तेरे होंठों पे चटक गए, हज़ारों गुँचे
मेरी ग़ज़ल का हर इक, अशआर तुझसे है
नर्गिस कहूँ तुझे, या कहूँ रूह-ए-चमन
गुलों में रंग, गुलिस्ताँ का सिंगार तुझसे है
मयगुसार तेरी आखें, हमें बेसुध कर गईं
खुशियों का ये चश्मा है, अब दीदार तुझसे है
दीदी,
ReplyDeleteचित्र बेहद सुन्दर और ये रचना बेहद सुन्दर और असरदार
अब मुझे उर्दू डिक्शनरी इस्तेमाल करनी आ गई है अब अर्थ समझने में कोई परेशानी नहीं है :)
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/11/urdu-dictionary.html
खुशियों का चश्मा है ...अब दीदार तुझसे है ...
ReplyDeleteमेरी हर ग़ज़ल का अशआर तुझसे है ...
क्क्क्क ...कौन है ये ....:):)
क्या बात है , क्या बात है ...क्या बात (मिथुन दादा स्टाईल )
आपको इस ख़ुशी के साथ देखना बहुत अच्छा लगा ...
@ उड़ी बाबा...बानी जी,
ReplyDeleteहमारा पति के अलावा आउर कोन हो शकता है बोलो तो ..!
(योगिता बाली इश्टाइल में हा हा हा )
अरे वाह बहुत ही रोमांटिक रचना है ये तो... हा हा हा...
ReplyDeleteबोले तो...एकदम झक्कास....
मेरे ब्लॉग पर मेरी कविता अपनी शर्म धोने अब कहाँ जायेंगे ??...
आज की टीप वाणी जी को समर्पित :)
ReplyDeleteखूबसूरत भावों से लिखी खूबसूरत रचना ...
ReplyDelete`गुलों में रंग, गुलिस्ताँ का सिंगार तुझसे है'
ReplyDeleteआखिर इस ब्लाग का दारोमदार तुझसे है :)
बहुत दिनों के बाद कोई गज़ल आई है आपकी पोस्ट पर, वही पुरानी रौ में देखना बहुत अच्छा लगा। चित्र बहुत सुंदर है, हमेशा की तरह।
ReplyDeleteआभार।
तेरे होंठों पे चटक गए, हज़ारों गुँचे,
ReplyDeleteमेरी ग़ज़ल का हर इक, अशआर तुझसे है।
वाह, बहुत खूब...बेहतरीन ग़ज़ल, बहुत अच्छा लिखती हैं आप...बधाई।
बहुत खूब रचना।
ReplyDeletekya bat hai kya khub likha hai aapne
ReplyDeletebahut khubsurat rachna
are wah...is mood me aapko pahli baar padha...bahot achcha... :)
ReplyDeleteMast likha hai aapne...
ReplyDeletesab ek achhe flow mein :)
Regards,
Dimple