Thursday, November 25, 2010

हर फिकराकस की एक औक़ात होती है....!!



एक सूचना Quepasa.com से कई लोगों को मेरी ताफ से यानी 'अदा' से दोस्ती के पैगाम जा रहे हैं..आप सबसे ये कहना चाहती हूँ कि मैंने किसी को भी ऐसा कोई सन्देश नहीं भेजा है, अगर आपके पास ऐसा कोई भी ईमेल आया हो तो कृपा करके उसे तुरंत डिलीट कर दें, वो मैंने नहीं भेजा है...धन्यवाद ..!!

मसक जातीं हैं,
अस्मतें,
किसी के फ़िकरों
की चुभन से,
बसते हैं मुझमें भी
हया में सिमटे
आदम और हव्वा,
जो झुकी नज़रों से

देखते हैं,

खुल्द के फल का असर,
दिखाती हैं

सही फ़ितरत, 

इन्सानों की,
उनकी तहज़ीब-ओ-बोलियाँ,
वर्ना पैरहन के नीचे 

सबका सच एक ही होता है ,
मानों...या न मानों
फ़िकरों की भी, ज़ात होती है,
और हर फिकराकस की 
एक औक़ात होती है.....



इतना तो याद है मुझे.....'अदा' की आवाज़...