पहलू में मौसम गुलाबी हुआ है
साँसों में सुर्ख़ी सी छाने लगी है
पतझड़ की पाती सावन की केहुनी
इशारों की दुनिया बुलाने लगी है
वो बूटों में सजता है तारों में रचता
शै अनजानी शक्ल जानी लगी है
बातों की पायल किस्सों के झूमर
गीतों की दुनिया गुनगुनाने लगी है
क़समों का तकिया है वादों की रातें
लगावट कमरा अब सजाने लगी है
जीना है तुझ संग मरना भी तुझ संग
'अदा' तू रिश्ता निभाने लगी है
मैंने इसे गाने की कोशिश की है ..बिलकुल rough है..मक़सद सिर्फ़; ये बताना है कि इसे गाया जा सकता है..
bahut hi sundar rachna .mai bhi ise gaane ka praytn karta hu.
ReplyDeleteहमें बिल्कुल भी रफ नहीं लगा जी.... अच्छा तो लिखा ही है.... आपकी कोशिश भी कामयाब रही है :)
ReplyDeleteसुंदर
जीना है तुझ संग मरना भी तुझ संग
ReplyDelete'अदा' तू रिश्ता निभाने लगी है
वाह क्या बात है मौसम को क्या बखूबी कहा है आपने
सुंदर रचना
स्वप्न मंजूषा 'अदा'जी
ReplyDeleteमैंने कहा… माशा अल्लाह ! क्या बात है जी !
पहलू में मौसम गुलाबी हुआ है
सांसों में सुर्ख़ी सी छाने लगी है
जी हां , साबित कर दिया आपने इसे गाया जा सकता है..
और इतने मीठे स्वर में इतनी ख़ूबसूरती से गाया जा सकता है !
बस , मलाल यह रहा कि सिर्फ़ डेढ़ मिनट ही इस शहद के सागर में डुबकी लगाने से पूरी तरह तृप्त नहीं हुआ जा सका …
ख़ैर मैंने तो तीन बार सुन लिया है … और कुछ रस पुरानी पोस्ट्स से भी तो लेता रहता हूं …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर और अर्थभरी पंक्तियाँ।
ReplyDeleteराजेन्द्र जी से सहमत !
ReplyDeleteपहलू में मौसम गुलाबी हुआ है ...
ReplyDeleteबना रहे ...
अदा तू रिश्ता निभाने लगी है ...
सभी से आपके रिश्ते निभते रहे...
खूबसूरत गीत ...
आवाज़ के लिए हम क्या कहें ...आज नही सुन पाए हैं ..!
ओ.............. आज मौसम बड़ा बइमान है बड़ा....:)
ReplyDeleteपतझड़ हो या सावन, हर मौसम की अलग तासीर होती है। बहुत खूबसूरती से शब्द पिरोये हैं आपने।
ReplyDeleteये बहुत अच्छा किया आपने जो बता दिया कि इसे गाया भी जा सकता है:)
MNCs जब कोई नया प्रोडक्ट लांच करती हैं तो शुरू में फ़्री सैंपल बाँटे जाते हैं, आदत डालने(या बिगाड़ने के लिये)। इस गज़ल को डेढ़ मिनट में निबटाकर आप ने हमें फ़िर मजबूर कर दिया है कि आपकी आवाज में आपकी गज़लें सुनने की पुरानी डिमांड फ़िर से उठायें।
देवीजी, जब भी व्यस्तता से छुट्टी मिले, हमारी फ़रमाईश पर गौर करियेगा। ये मुझ अकेले की नहीं, बहुत से पाठक, श्रोताओं की इच्छा होगी।
:0 aap gaati bhi hai...aapki gazal se hi mithi aur pyari aawaz hai aapki...lagta hai upar wale ne summer vacation me phursat se aapko banaya hoga:) :) :)
ReplyDeleteआपकी गजल अच्छी बन पड़ी है
ReplyDeleteपढ़कर अच्छा लगा
Hello Adaa ji...
ReplyDeleteNamaste! Bahut achha likha hai aapne... Bahut achhe shabd and talented toh aap ho hi :)
Regards,
Dimple
3/10
ReplyDeleteरचना जरा भी प्रभावित नहीं करती
गाना भी जमा नहीं.
3 अंक आवाज की मिठास के लिए