कहाँ से शुरू करूँ ये समझ नहीं आ रहा है...
बाबा की तबियत यहाँ ठीक नहीं हो रही थी...तबियत से ज्यादा उन्हें अपने परिवेश कि याद आ रही थी ,शेर को अपने मांद में ही सुकून मिलता है ..तो हमलोगों ने फैसला किया कि वापिस भेजना ही ठीक होगा...ख़ैर माँ-बाबा की फ्लाईट टोरोंटो से थी ९ तारीख़ को ...जाहिर सी बात है, मैं ही जाऊँगी न उनको छोड़ने टोरोंटो तक...फ्लाईट उनकी सुबह ११ बजे थी हमलोगों ने सोचा आराम से रात २ बजे चलते हैं ४-५ घंटे में टोरोंटो पहुँच जायेंगे...रास्ते में रुकते हुए जायेंगे...हमारी वैन वैसे भी बहुत सुविधा जनक है माँ-बाबा आराम से सो जायेंगे और हम पहुँच जायेंगे...७ बजे के क़रीब एअरपोर्ट पर होंगे ..नाश्ता-पानी करेंगे और उनको बोर्डिंग पास वैगरह दिलवा कर ..हम वापिस आ जायेंगे ...कितना सहज था सबकुछ...लेकिन सहज कैसे हो सकता है भला..!
ख़ैर जी हम पहुँच गए एयरपोर्ट अभी गाड़ी खड़ी भी नहीं हुई थी की 'एयर इंडिया' का एक बंदा आया और बड़े इत्मीनान से कहने लगा 'एयर इंडिया' की फ्लाईट कैंसिल हो गई है...मेरा तो गुस्सा आसमान पहुँच गया...मैंने कहा आपको कैसे पता ? कहने लगा कि मैं एयर इंडिया का कर्मचारी हूँ, इसलिए मुझे पता है...मैंने पूछा आपको कब पता चला...उसने बात टालते हुए कहा कि तकनिकी ख़राबी है...मैंने उससे फिर पूछा मेरा सवाल यह नहीं था...सवाल ये हैं कि आपको कब पता चला...कहने लगा जी अभी पता चला है...इसीलिए आपको बता रहा हूँ....मैंने उससे पूछा उसका मतलब है कि 'एयर इंडिया' का एयर क्राफ्ट यहाँ होना चाहिए...एयर पोर्ट पर...वो सकपकाने लगा...अगर एयर क्राफ्ट यहाँ नहीं होगा तो 'यू अरे गोइंग टु बी इन बिग ट्रबल' ..और मैं ये पता लगा कर रहूँगी...और अगर हवाई जहाज टोरोंटो में नहीं है, तो इसका मतलब है, वो इंडिया से चला ही नहीं है...क्योंकि भारत से टोरोंटो तक का सफ़र आधे घंटे का नहीं है...और अगर वो वहाँ से नहीं चला है, तो आपको इसकी ख़बर अब से कम से कम २० घंटे पहले होनी चाहिए....और आपके पास हमारा फ़ोन नंबर, ईमेल एड्रेस सब कुछ है..आपने हमें पहले ख़बर नहीं किया है...इसलिए अपना मुँह खोलने से पहले सोच लो...वर्ना आज यहाँ वो हंगामा होगा कि 'एयर इंडिया' के माँ-बाप सबकी ऐसी-तैसी करुँगी...वो हाथ जोड़ने लगा मैं तो अदना सा आदमी हूँ...आप हमारे मैनेजर से बात कीजिये...मैंने कहा मैनेजर को अभी इसी वक्त बुलाओ..मेरे पास बिजिनेस क्लास के पैसेंजर्स और उनको कोई भी असुविधा हुई तो आज तुम्हारी ख़ैर नहीं...
ख़ैर जी, मैनेजर आई...आते ही कहने लगी 'वाट इज दी प्रॉब्लम' मैंने कहा 'प्रॉब्लम इज नोट विथ मी, लुक्स लईक यू हैव प्रॉब्लम विथ योर एयर क्राफ्ट, एंड यू हव कान्सिल्ड योर फ्लाईट....आई हैव ओनली वन क्वेशचन, इस योर एयर क्राफ्ट ऑन दी हैन्गेर, इफ नॉट देन व्हाई वी वेर नॉट टोल्ड अर्लियर, नॉव यू विल अरेंज फॉर अवर स्टे इमीडियेट्ली ....वी हव बीन ट्रावेलिंग तो कैच दिस फ्लाईट फॉर पास्ट ५ आवर्स...इदर यू गिव अस अनदर फ्लाईट ओर अरेंज फॉर आवर स्टे...उसे समझ में आ गया कि उसने साँप के बिल में हाथ डाल दिया है...उसे ये भी धमकी दे दी कि आधे घंटे के अंदर हमलोगों के ठहरने का इंतज़ाम हो जाना चाहिए...और वही हुआ..५ स्टार होटल के दो कमरे हमें मिल गए...खाने-पीने के साथ...
याद है मुझे पहले अगर दो कनेक्टिंग फ्लाईट के बीच में सिर्फ़ ५ घंटे की भी प्रतीक्षा होती थी तो इकोनोमी क्लास को भी रहने की जगह दी जाती थी...हम कितनी बार ठहर चुके हैं...लेकिन अब सब कुछ बदल गया है..लोग पूरी-पूरी रात एयरपोर्ट में ही गुजारते हैं, बिना किसी सुविधा के...
याद है मुझे पहले अगर दो कनेक्टिंग फ्लाईट के बीच में सिर्फ़ ५ घंटे की भी प्रतीक्षा होती थी तो इकोनोमी क्लास को भी रहने की जगह दी जाती थी...हम कितनी बार ठहर चुके हैं...लेकिन अब सब कुछ बदल गया है..लोग पूरी-पूरी रात एयरपोर्ट में ही गुजारते हैं, बिना किसी सुविधा के...
अब बताती हूँ मुझे गुस्सा क्यों आया...एयर इंडिया आज कल हर दूसरे दिन अपनी फ्लाईट कैंसिल कर देती है...मुसाफिरों की परेशानियों से इनलोगों को कोई सरोकार नहीं है...किसी की दिवाली छूट जाए तो छूट जाए, कोई शादी में नहीं शामिल हो पाया इनकी बला से.. ..कोई बीमार है इनको कोई फर्क नहीं पड़ता...इनकी साख वैसे भी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कौड़ी की भी नहीं रह गई है...एक ज़माना था कि एयर इंडिया भारत की शान था...अब यह एक बदनुमा धब्बा है...हम जैसे लोग जो सिर्फ़ राष्ट्रीयता की भावना की वजह से, बहुत छोटे तरीके से ही सही, इनका साथ देना चाहते हैं...टिकट लेने के बाद ख़ुद को ही लात मारना शुरू कर देते हैं...कि छूछून्दर के सिर पर कितना भी चमेली का तेल लगाओ ... उसकी दुर्गन्ध नहीं जायेगी...
ख़ैर हम ठहर गए पाँच सितारा होटल में और दूसरे दिन पहुँच गए एयरपोर्ट..मुझे देखते ही सबने पहचान लिया..कि आ गई मुसीबत...लेकिन ये मेरे माँ-बाबा का सवाल था...उनको कुछ कमी हो , वो भी मेरे रहते ..अजी ऐसा हो ही नहीं सकता...अब जी हम कतार में लग गए...लेकिन मुझे चैन कहाँ ..बिजिनेस क्लास में बहुत बार सफ़र किया है...कभी भी हम २ किलोमीटर लम्बी कतार में नहीं लगे...वैसे भी लाइन लम्बी होनी ही थी आख़िर दो दिन के पैसेंजर जो लगे थे लाइन में, मैं पहुँच गई, काउंटर पर टिकट दिखाया तो फ़ौरन लोग लग गए सेवा में, और सबसे पहले हमारी 'चेक इन' होने लगी...
मैंने काउंटर पर भी सुना ही दिया की हर बार इस एयर क्राफ्ट में ख़राबी होती है, ये एयर क्राफ्ट बदलो , और अगर ये बहाना है जिसका ज्यादा चान्स है..हर बार अपनी फ्लाईट कैंसिल करने की जगह और दो दिन के पैसेंजर इकट्ठे करके ले जाने की जगह...जो साफ़-साफ़ बनियागीरी नज़र आती है, अपनी फ्लाईट हफ्ते में ३ दिन रखो...कम से कम लोग उसी अनुसार अपना प्लान तो कर सकते हैं...इस तरह अपनी कोई घटिया सी गेम खेलना और मुसाफिरों के साथ खिलवाड़ करने के पीछे क्या मक़सद है...सब चुप थे, और यही उनके दोषी होने का परिचायक था...
बात टोरोंटो तक ही ख़त्म नहीं हुई...दिल्ली का महान एयर पोर्ट जो अभी भारत का अभिमान बना है...वहाँ पूरे एयर पोर्ट में सिर्फ़ ४१ व्हील चेयर हैं....बुजुर्गों को छिना-झपटी करनी पड़ती है....ये व्हील चेयर हमारे बुजुर्गों का हक़ हैं...लेकिन हैं कहाँ ये ? मेरे बाबा को ही सिर्फ़ एक व्हील चेयर मिला, वो भी छिन कर लाना पड़ा और उसके भी पैसे देने पड़े ३०० रुपये...मेरी माँ को पैदल चलना पड़ा...जबकि ये सारी सुविधायें टिकेट में दर्ज थीं और उनकी पेमेंट भी हो चुकी थी....वाह रे मेरा भारत महान....!!
अभी रुकिए...कहाँ जा रहे हैं बात अभी भी ख़त्म नहीं हुई है....आपको मैंने कहा था कि एयर इंडिया ने ख़ुद ही फ्लाईट कैंसिल कर दी थी...अब आप मुझे ये बताइए, फ्लाईट कैंसिल करें वो और उसका खामियाज़ा भरें हम ...क्यों भला..?
दिल्ली से राँची की फ्लाईट भी एयर इंडिया की थी, अब क्योंकि टोरोंटो से फ्लाईट कैंसिल थी और दूसरे दिन फ्लाईट मिली, तो ज़ाहिर है दिल्ली से राँची की फ्लाईट भी एक दिन बाद ही लेनी होगी...अब तमाशा दिल्ली एयर पोर्ट में हुआ...कहा गया कि क्योंकि माँ-बाबा एक दिन बाद फ्लाईट ले रहे हमें बिना अपनी ग़लती के..प्रति टिकेट १५०० रुपैये देने होंगे...हैं न गज़ब बात...ये तो अच्छा हुआ कि मेरी दोस्त माधुरी राँची एयरपोर्ट की मैनेजर है..उसने सब सम्हाल लिया...वर्ना होता क्या, दे ही दिए जाते ३००० रुपये...लेकिन मैं उनलोगों के बारे में सोच कर चिंतित हूँ...जो सीधे-सीधे सफ़र करते हैं...जिनकी कहीं कोई पहुँच नहीं है, या फिर जो बस चुप रह जाते हैं..वो कैसे इन कमीनों को झेल पाते होंगे...? हर बिजनेस का एक पहलू, इंसानियत भी होता है...और एयर इंडिया भारत की पहचान है ...भारतीयता का प्रतीक है ..क्या हम मान लें कि हम भारतीयों में इंसानियत वाकई ख़त्म हो गई है..? मुझे मालूम है इसे पढ़ कर बहुतों को मिर्ची लगेगी ...लेकिन भारत और भारतीयता की पुंगी बजाने से सिर्फ़ काम नहीं चलेगा...ये तो हमलोग हैं जो हर हाल में साथ ही खड़े रहते हैं...सोचने वाली बात ये है..कि जहाँ हर दिन इतने भारतीय, विदेशों में सफ़र करते हैं...टोरोंटो की आधी आबादी अब भारतीयों की है...जहाँ लाखों लोग हर दिन सफ़र कर रहे हैं...कोई तो वजह है कि २४० टिकट भी एयर इंडिया नहीं बेच पाता...और अपनी इस तरह की हरकत से, हम सबकी आँखों से उतरता जा रहा है...क्या यह एक सोची समझी साज़िश के तहत हो रहा है...कि इस एयर लाइन की कीमत गिरा कर सस्ते में कोई अम्बानी ख़रीदना चाहता है...या फिर सचमुच भारत की सरकार में अब दम नहीं कि वो इसे चला सके...?
जवाब कुछ तो है...लेकिन क्या है ....!!
एयर इंडिया की साख वाकई में बहुत ही कम बची है.
ReplyDeleteअभी अभी कुवैत एयरपोर्ट पर हमारी फ़्लाईट कुवैत एयरवेज़ की थी वह समय पर चली, मगर हमारे दो घंटे पहले की एयर इंडिया की फ़्लाईट हाम्रे बाद निकली, और मुंबई पर काफ़ी लोगों की कनेक्टिंग फ़्लाईट मिस हो गयी.
हम समय पर पहुंच गये.
१०० में से ९९ बेईमान फिर भी मेरा भारत महान !
ReplyDeleteक्या कहा जाए इनके बारे में !
दुखद!
ReplyDeleteऐसी लापरवाहियाँ दुखी करती हैं, हाँ नहीं तो।
ReplyDeleteहम तो RNAC के बारे में सुनते थे Royal Nepal Always Cancelled, ऐयर इंडिया तो उसकी भी बडी बहन निकली।
ReplyDeleteछोटा सा व्यवसायी भी अपनी गुडविल बनाने के लिये बहुत कुछ करता है, और इन्हें न यात्रियों की फ़िक्र है, न देश की। समझ सकते हैं कि कितनी असुविधा हुई होगी माँ-बाबा को। आशा करते हैं कि सकुशल अपने घर पहुंच गये होंगे और स्वास्थ्यलाभ पा रहे होंगे।
आखिरी पंक्तियों में आपने जो आशंका जताई है, ऐसा हो तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
पोस्ट गुस्से वाली है जी, लेकिन चित्र हमें बहुत बढि़या लगा, हमेशा की तरह:) है न सकारात्मक सोच?
वाकई दुखद है ...
ReplyDeleteमगर बाबा जब इतने बीमार हैं तो आप उन्हें अकेले क्यूँ भेज रही हैं ...?
शब्दशः सहमत !
ReplyDeleteहमारे यहा तो सरकारी बस भी टाइम से चल रही है और एयर इण्डिया ............... भगवान ही मालिक है
ReplyDelete‘लोग पूरी-पूरी रात एयरपोर्ट में ही गुजारते हैं, बिना किसी सुविधा के...’
ReplyDeleteदे हैव कम टु नो द मेंटेलिटी आफ़ इंडियन्स :)
आपकी बात सही लग रही है जी कि ये जानबूझ कर ऐसा कर रहे होंगे।
ReplyDeleteमेरे जैसे तो ज्यों आये त्यों ही वापिस चल देते घर की तरफ अगले दिन आने के लिये
प्रणाम
वाणी जी,
ReplyDeleteमैंने माँ-बाबा के साथ ४ लोगों को भेजा था ..वो अकेले नहीं थे..लेकिन जो अव्यवस्था है एयर इंडिया की उससे इस बात पर कोई असर नहीं है...कोई अकेले हो या किसी के साथ इनकी मनमानी अपनी जगह कायम है...
आपका तेवर अच्छा लगा
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