Sunday, November 14, 2010

जो बरा वो बुताया जाएगा ...


उम्र की दलदल में धीरे-धीरे 
सरकते अपनों की काया,
ओझल होते देख
आँखें छलछला उठीं हैं,
मगर ये आँसू 
इन्द्रधनुषी रंगों,
में हौले से क्यों तब्दील हो गए हैं ?
आशा की नई उषा 
उतरती दिखती है, शायद..
यही कालचक्र है..
जो बरा वो बुताया जाएगा,
और जो बुत गया 
वो जल कर फिर आएगा....

14 comments:

  1. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !
    आपकी चेट बाद में मिली ...माँफ कीजियेगा जबाब नहीं दे पाया

    कैसे है अब आपके पिताजी भारत जाने के बाद ?

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  2. जी हाँ! यही कालचक्र है..

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  3. बहुत खूबसूरती से कालचक्र की बात की है। and the show goes on.......
    पिक्चर - परफ़ैक्ट हमेशा की तरह।
    आभार।

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  4. पहले तो मुझे लगा शीर्षक कुछ गलत हो गया है... लेकिन रचना पढने के बाद स्पष्ट हो गया की बुताया ही जायेगा |
    बहुत ही अच्छी रचना....

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  5. bahut hi sunder rachna

    kabhi yaha bhi aaye
    www.deepti09sharma.blogspot.com

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  6. सृजन की आस बनाये रखें।

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  7. माफ़ कीजिएगा ये बरा क्या होता है???

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  8. आश-निराश के दो रंगों से
    दुनिया ‘तू’ ने बनाई .... :(

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  9. बरा और बुता एक अरसे बाद सुना !

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  10. नीलेश जी.
    'बरा' का अर्थ जलना होता है जैसे दीया का जलना...
    मेरे कहने का अर्थ है जो दीया जलाया गया वो बुझेगा...
    आशा है मैं स्पष्ट कर पाई..

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  11. kaalchakr ka achcha vernan...bahot achchi rachna.

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  12. अदा जी, धन्यवाद!

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  13. Adaa ji aapne toh itni sahi baat kya gehron shabdon mein keh di...!!
    Very true..

    Talented... u r genius :)

    Regards,
    Dimple

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