Friday, February 4, 2011

ये लो यादों का सहारा हाथों से फिसल गया......गीत ..तुम्हीं मेरे मंदिर..


ये लो यादों का सहारा, हाथों से फिसल गया
देखते ही देखते हो गई, हकीक़त बे-लिबास

वो चंद फूल जो काँटों से, गए-गुज़रे निकले
मेरे घर में थी जगह, उनके लिए बहुत ख़ास

पाँव के नीचे मसल कर, दिल मेरा रख दिया
जी रहा है मेरा क़ातिल, मेरे ही दिल के पास

आई बहारें तो मगर. क़यामत की तरह आयीं
बाग़ सारे जल गए अब, सुलगने लगी है घास

सँवर कर फिर बिखरने की, मेरी जिद्द पूरी हुई
बिखर कर अब सँवरने की, मेरी नहीं है आस



16 comments:

  1. Hamesha behtareen likhatee hain!
    Mere "Simta Lamhen" blog pe mere putr aur putr wadhuko aasheesh zaroor den!

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  2. फूल कांटे / क़ातिल / घर / घास / आग / क़यामत के अनुप्रयोग अच्छे लगे ! एक सुन्दर रचना जोकि थोड़ी सी फिजिकल हो गई है ...ज़रा गौर फरमाइयेगा...

    सहारे हाथों से फिसले
    हकीकत बे लिबास हुई
    दिल को पाँव से मसला गया
    संवरना और बिखरना भी

    बहरहाल एक और अच्छी पेशकश !

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  3. सख्त अफ़सोस, आपके लिये भी और जो हाथों से फ़िसल गया, उसके लिये भी।
    आखिरी शेर बहुत मार्के का लगा, लेकिन गज़ल की तारीफ़ आज नहीं करेंगे, लगा नहीं कि अदाजी के ब्लॉग पर कुछ पढ़ रहे हैं, बेशक बुरा मान सकती हैं आप(सिर्फ़ इस कमेंट के कारण:))।
    गीत तो जितनी बार सुन लिया जाये, मन नहीं भर सकता। सच में, दिव्य आवाज है आपकी।

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  4. बहुत बेहतरीन गजल पेश की है आपने!

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  5. सुन्दर...सुन्दर...

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  6. बिखर कर हवा में उड़ जाने की आस बनी रहे, स्वच्छन्दतापूर्ण।

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  7. जो फूल सजाये थे गुलदान में ,
    उन काँटों ने ही तार- तार किया दामन ...
    दरअसल फूलों से प्यार करने वालों को काँटों से छिलने की आदत भी रखनी होती है ...
    शौक है बागवानी का , पौधों की देखभाल करते अक्सर कहनियाँ , अगुलियां छिल जाती है , बहुत खून बहता है पर सच अब दर्द बिलकुल नहीं होता !

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  8. पाँव के नीचे मसल कर, दिल मेरा रख दिया
    जी रहा है मेरा क़ातिल, मेरे ही दिल के पास
    वाह वाह

    आपकी पंक्तियाँ पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया,आप भी देखिये:-

    क्या समझ कर तुमने मेरे दिल के टुकड़े कर दिये.
    जिसमें तुम ख़ुद थे,उसी महफ़िल के टुकड़े कर दिये.

    शुद्ध आपकी आवाज़ में खानदान फिल्म का प्रस्तुत गीत बहुत प्यारा और मीठा लगा.

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  9. आपकी आवाज़ में गीत सुनना हमेशा अच्छा लगता है. :)

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  10. पाँव के नीचे मसल कर, दिल मेरा रख दिया
    >
    >
    दिल न हुआ गोया फूल हो गया :(

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  11. अच्छी ग़ज़ल.

    ये लो यादों का सहारा, हाथों से फिसल गया
    देखते ही देखते हो गई, हकीक़त बे-लिबास


    जब हकीक़त बे-लिबास हो तो एक कयामत होती है.
    बहुत बढ़िया लिखा आपने.शुभ कामनाएं.

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  12. सँवर कर फिर बिखरने की, मेरी जिद्द पूरी हुई,
    बिखर कर अब सँवरने की, मेरी नहीं है आस।

    ज़िद करने का यह अंदाज़ अच्छा लगा।

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  13. सँवर कर फिर बिखरने की, मेरी जिद्द पूरी हुई,
    बिखर कर अब सँवरने की, मेरी नहीं है आस।
    wah...bahut khub.

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