हां हां, जरूर लिखो जी। राह तो बहुत दिलकश दिख रही है तस्वीर में, दास्तान-ए-सफ़र थोड़ा तफ़सील से लिखियेगा:)) कहकशां शायद आकाश-गंगा को कहते हैं..!! "मेरा वजूद ढँक गया तेरे नाम के तले कहो! और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ" खुद को खो देना भी कभी कभी अच्छा लगता है शायद। गाना सुपरफ़िट है जी, संतोष जी और आपकी आवाज में, ’तुम्हें याद होगा.....’ आंख, कान और मन को भरपूर डोज़ देने का शुक्रिया।
Ambarish Ambuj B Tech (Mechanical) IIT Roorkee,India said....
प्रणाम दी, कैसी हैं आप? हलकी सी धुंधली सी याद तो मेरी होगी आपको? एक दिन वादा किया था खुद से कि ब्लॉग से रिश्ता ख़त्म. 'कसम है मुझे वो कसम तोड़ डालूँ!' आज 'तुम्हें याद होगा' सुना आपकी आवाज़ में तो रोक नहीं पाया. विजया चौधरी पर फिल्माया ये गीत बचपन की यादों में से एक है.. विविध भारती का सुहाना सफ़र, दूरदर्शन पर रंगोली, वो ऑडियो कैसेट प्लेयर जिसमें कभी कभी गाने अटक जाते थे, सब 'याद आते हैं..' और यही कहते हैं कि 'तुम्हें याद होगा' और मैं बस यही कह पाता हूँ कि 'सहारा है यादों का...' काश आज इस भाग दौर के बीच इतना वक़्त होता की हेमंत कुमार और तलत महमूद के लिए ४ पल निकाल पाते... एक छोटी सी ख्वाहिश है दी. अगर आप थोड़ा वक़्त निकाल कर 'भँवरा बड़ा नादान' गा दें, यूँ तो सुन/देख ही लेता हूँ हफ्ते में २-४ बार, एक बार आपकी आवाज़ में सुनने की ख्वाहिश है..
बहुत प्यारे अम्बरीश, ख़ुश रहो, आज मैंने रूडकी देखा तो समझ गई थी की तुम ही आए हो... कैसी बात करते हैं ...मैं तुम्हें बहुत याद करती हूँ... पिछले किसी दिन तुम्हें ऑनलाइन भी देखा था लेकिन कुछ कहा नहीं दूर से ही आशीष दे दिया था... इनदिनों मैं एक प्रोजेक्ट में बहुत व्यस्त हूँ...फिर भी कोशिश करुँगी तुम्हारी इच्छा पूरी करने की...
बहुत ही अच्छा किया है कि तुमने ब्लॉग जगत से नाता तोड़ लिया है...यह जगह वैसे भी ऐसी नहीं है जहाँ पढ़ने-लिखने वाले मेधावी छात्र अपना समय गवाएं...यहाँ तो वही लोग हैं जिनके पास करने को कुछ नहीं है...विश्वास करो तुम कुछ भी मिस नहीं कर रहे हो..अगर किसी बात से दूर हो तो यहाँ की गन्दगी से...जिससे दूर रहना हर हाल में बहुत अच्छा है.... तुम एक होनहार लड़के हो, तुम्हारी पहचान बन ही चुकी है..अच्छे लोगों के बीच में रहो और ख़ूब तरक्की करो...मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है... अच्छा लगता है नए लोगों के मन में पुरानी अच्छाइयों के प्रति आदर देख कर... हमेशा ख़ुश रहो...मुझे बहुत अच्छा लगा तुमने याद किया... तुम्हें ढेर सारा आशीष मिले..
bahut khubsurat gazal likhi hai
ReplyDeleteग़म से सुलगते रहे मेरे शाम-ओ-सहर
ReplyDeleteख़ुद को एक जलता हुआ मकाँ लिखूँ
बहुत सुन्दर ग़ज़ल है अदा जी. और गीत? अब क्या कहूं? अतिसुन्दर.
बहुत खूब । बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteहां हां, जरूर लिखो जी। राह तो बहुत दिलकश दिख रही है तस्वीर में, दास्तान-ए-सफ़र थोड़ा तफ़सील से लिखियेगा:)) कहकशां शायद आकाश-गंगा को कहते हैं..!!
ReplyDelete"मेरा वजूद ढँक गया तेरे नाम के तले
कहो! और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ"
खुद को खो देना भी कभी कभी अच्छा लगता है शायद।
गाना सुपरफ़िट है जी, संतोष जी और आपकी आवाज में, ’तुम्हें याद होगा.....’
आंख, कान और मन को भरपूर डोज़ देने का शुक्रिया।
कहो और तुम्हारा नाम कहाँ कहाँ लिखूं ..
ReplyDeleteहम्म्म्म...
गीत तो शानदार है ही ...
भुला दो मुहब्बत में हम तुम मिले थे ...
Ambarish Ambuj
ReplyDeleteB Tech (Mechanical)
IIT Roorkee,India
said....
प्रणाम दी,
कैसी हैं आप? हलकी सी धुंधली सी याद तो मेरी होगी आपको? एक दिन वादा किया था खुद से कि ब्लॉग से रिश्ता ख़त्म. 'कसम है मुझे वो कसम तोड़ डालूँ!' आज 'तुम्हें याद होगा' सुना आपकी आवाज़ में तो रोक नहीं पाया. विजया चौधरी पर फिल्माया ये गीत बचपन की यादों में से एक है.. विविध भारती का सुहाना सफ़र, दूरदर्शन पर रंगोली, वो ऑडियो कैसेट प्लेयर जिसमें कभी कभी गाने अटक जाते थे, सब 'याद आते हैं..' और यही कहते हैं कि 'तुम्हें याद होगा' और मैं बस यही कह पाता हूँ कि 'सहारा है यादों का...' काश आज इस भाग दौर के बीच इतना वक़्त होता की हेमंत कुमार और तलत महमूद के लिए ४ पल निकाल पाते...
एक छोटी सी ख्वाहिश है दी. अगर आप थोड़ा वक़्त निकाल कर 'भँवरा बड़ा नादान' गा दें, यूँ तो सुन/देख ही लेता हूँ हफ्ते में २-४ बार, एक बार आपकी आवाज़ में सुनने की ख्वाहिश है..
बहुत प्यारे अम्बरीश,
ReplyDeleteख़ुश रहो,
आज मैंने रूडकी देखा तो समझ गई थी की तुम ही आए हो...
कैसी बात करते हैं ...मैं तुम्हें बहुत याद करती हूँ...
पिछले किसी दिन तुम्हें ऑनलाइन भी देखा था लेकिन कुछ कहा नहीं दूर से ही आशीष दे दिया था...
इनदिनों मैं एक प्रोजेक्ट में बहुत व्यस्त हूँ...फिर भी कोशिश करुँगी तुम्हारी इच्छा पूरी करने की...
बहुत ही अच्छा किया है कि तुमने ब्लॉग जगत से नाता तोड़ लिया है...यह जगह वैसे भी ऐसी नहीं है जहाँ पढ़ने-लिखने वाले मेधावी छात्र अपना समय गवाएं...यहाँ तो वही लोग हैं जिनके पास करने को कुछ नहीं है...विश्वास करो तुम कुछ भी मिस नहीं कर रहे हो..अगर किसी बात से दूर हो तो यहाँ की गन्दगी से...जिससे दूर रहना हर हाल में बहुत अच्छा है....
तुम एक होनहार लड़के हो, तुम्हारी पहचान बन ही चुकी है..अच्छे लोगों के बीच में रहो और ख़ूब तरक्की करो...मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है...
अच्छा लगता है नए लोगों के मन में पुरानी अच्छाइयों के प्रति आदर देख कर...
हमेशा ख़ुश रहो...मुझे बहुत अच्छा लगा तुमने याद किया...
तुम्हें ढेर सारा आशीष मिले..
तुम्हारी..
दीदी...
गजल तो बहुत सुन्दर है मगर इसमें एक शेर और होना चाहिए था!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गज़ल, उतना ही सुन्दर गाना।
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ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति । धन्यवाद|
ReplyDelete`ग़म से सुलगते रहे मेरे शाम-ओ-सहर’
ReplyDeleteजलता हुआ दिया लिखूं या शमा लिखूं :)
बहुत ही बढ़िया .
ReplyDeleteमेरा वजूद ढँक गया तेरे नाम के तले
कहो! और तेरा नाम मैं कहाँ-कहाँ लिखूँ
सूनी गली का नाम कहकशाँ... वाह ।
ReplyDeleteअम्बरीश जी को क्या क्या सलाह दे डाली आपने :) इस बस्ती में कुछ बुज़ुर्ग छात्र भी बसते हैं और उन्हें आगे भी तरक्की की हसरत है :)
ReplyDeleteआज की प्रविष्टि पे शरद कोकास की वाहवाही से सहमत !