कुछ लिखना आज कल मुहाल हुआ है
इस दिमाग की धोती का रुमाल हुआ है
कुछ गीत मेरे आप सुनते जाइए हुज़ूर
मेरे ब्लाग का तो बस ख़स्ता हाल हुआ है :):)
फिल्म : चिराग़
आवाज़: लता
संगीत : मदनमोहन
गीत : मजरूह सुल्तानपुरी
इत्थे 'अदा' दी आवाज़ है जी...:)तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है
ये उठे सुबह चले, ये झुकी शाम ढले
मेरा जीना मेरा मरना इन्हीं पलकों के तले
तेरी आँखों के सिवा ...
ये हों जहाँ इनका साया मेरे दिल से जाता नहीं
इनके सिवा अब तो कुछ भी नज़र मुझको आता नहीं
ये उठे सुबह चले ...
ठोकर जहाँ मैंने खाई इन्होंने पुकारा मुझे
ये हमसफ़र हैं तो काफ़ी है इनका सहारा मुझे
ये उठे सुबह चले ...
बढ़िया तो लिखा है!
ReplyDeleteबहुत अच्छा
ReplyDeleteगाना भी मेरी पसंद का और आवाज़ भी मेरी पसंद की. कानों को बहुत अच्छा लगा,अदा जी. आभार.
ReplyDeleteओरिजिनल गाना अपनी जगह, इत्थे जो आवाज है वो भी शानदार है।
ReplyDeleteआप गाती रहें, सुनने वाले तो सुन ही रहे हैं।
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteसुन्दर गीत सुनाया...
ReplyDeleteफोन उठ नहीं रहा..मेरे सेल पर लगाईये.
Behad sundar gaya hai aapne!
ReplyDelete@ मेरे ब्लाग का तो बस ख़स्ता हाल हुआ है
ReplyDeleteकुछ लेते क्यों नहीं?
खस्ता शेर ट्राई किया?
BTW, गाना बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteइस दिमाग की धोती का रुमाल हुआ है ...जो काम रुमाल करता है , धोती कहाँ कर सकती है ...आंसूं पोंछने का ..!
ReplyDeleteसुन्दर गीत ...!
मन तो कह दिया।
ReplyDeleteअपना भी हाल आपके जैसा है,
ReplyDeleteक्या करे हम भी, मौसम ही कुछ ऐसा है...
जय हिंद...
बेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteaapke blog ka khasta haal...:)
ReplyDeleteye kaise aur kab hua..
happy valentine's day to all..:)
अब जाने भी दीजिये ।
ReplyDeleteवापस आ जाइये अपनी उसी दुनिया में ।
@ आदरणीय शास्त्री जी,
ReplyDeleteप्रणाम,
मैं कुछ भी लिखूंगी आपको तो अच्छा लगेगा ही...रिश्ता जो ऐसा है..
आभारी हूँ..!
@ कैलाश जी,
आभारी हूँ..!
@ योगेन्द्र जी,
आपका हृदय से धन्यवाद..
@ कुँवर जी,
ये तो आपका बड़प्पन है...वर्ना हम तो बस ऐंवें हीं हैं...:)
@ संजय जी,
मैनू लगदा है त्वाडे कान बिच कोई पिरोब्लेम हैगी...:)
डाक्टर नु दिखाओ जी...
त्वानू लख लख धनबाद ...
असी आभारी हन..:):)
@ समीर जी,
ReplyDeleteआप भी न...!
फ़ोन भी कभी अपने आप उठता है का...अब जब हम नहीं उठावेंगे तो कैसे उठेगा भला...
हम तो इसलिए नहीं उठाये कि कहीं कोई मनचला 'वेलेंटाइन डे' की ख़ुशी में न कर रहा हो फुनवा...
अब रोज रोज फुनवा बदलेंगे तो येही न होगा....हाँ नहीं तो...!!
गितवा पसंद किये..बहुते धनबाद..
@ क्षमा जी,
जो ख़ुद सुन्दर होते हैं उन्हें हर चीज़ सुन्दर लगती है...और आप भी अपवाद नहीं हैं..
दिल से शुक्रिया आपको..
@ अनुराग जी,
ReplyDeleteअब का कहें आपसे...कमी जो है हमरा में ...
जे बा की ना ...इंडियन तो हैं बाकी इस्मार्ट नहीं हैं ना...:)
जबरिया आप गीत पसंद कर लिए हैं...खोइंछा भर धनबाद देते हैं ...ले लीजियेगा..:)
@ वाणी जी,
ई का कह रही हैं आप...!
जो काम रुमाल कर सकता है, धोती नहीं कर सकती...!
अरे धोती का काम नहीं कर सकती...आप आँसू पोछने का बात करती है...इससे से तो हम नाक पोछते भी देखे हैं लोगन को..
हाँ नहीं तो..!
@ प्रवीण जी,
ReplyDelete'मन' तो कह दिया, या , 'मैंने' तो कह दिया
झूठ मत बोलिए ...:):)
@ ओ खुशदीप जी,
आपका हाल मेरे हाल जैसा कैसे हो सकता है भला....मौसम में बहुत फर्क है....यहाँ ३६ इंच बर्फ पड़ी हुई है...
जय कनाडा...:):)
@ सुशील जी
ReplyDeleteआपका बहुत धन्यवाद..
@ मुकेश जी,
इसमें कौनो आश्चर्य नहीं...बड़े-बड़े लोग औंधे पड़े मिलते हैं...फिर हमरी का बिसात..!
आपको भी ई जो दिन है उसकी शुभकामना...
हम आभारी हूँ..
@ डाक्दर साहेब,
हम कौनो खिसियाये हुए नहीं हैं ...ऊ जो लोग नहीं हो जाता है,कभी-कभी 'बीजी'...वोही हो गए हैं हम भी...का करें..:):)
आप आए...बहुत अच्छा लगा...
मन से धन्यवाद कहते हैं..
चिंता मत कीजिए.... अपना भी वही हाल हुआ है :)
ReplyDeleteनायिका के हाथ में लट्ठ देखकर अपनी खुद की आँखों में भय समां गया है जी :)
ReplyDeleteसच्ची सच्ची बताइयेगा कि इस फोटो को लगाने के पीछे आपका मकसद क्या है :)
सुन्दर गीत सुनाया...
ReplyDelete@ प्रसाद जी,
ReplyDeleteहम तो बेकारे में चिंता से दुबराय रहे थे...:)
अब ठीक हो गए हैं...
बहुत धन्यवाद..
@ अली जी,
ई पूरा लोट में आप ही समझदार निकले...बताइये एतना बड़ा लाठी और कोई देख ही नहीं पाया...
हमरी पोस्ट में महा पोसिटिव बात यही तो थी...
चिंता मत कीजिये...बी पोसिटिव...:)
@ संजय,
बहुत ख़ुशी हुई तुम आए..और तो आउर गाना पसंद भी किये...
ख़ुश रहो...
दीदी..
KE MUN ACHO.....KI HOYE CHHE.....'EE KHASTA-HAAL
ReplyDeleteHOYE 'KHOINCHA BHARE DHANBAD DETE PARO'.....OORI
BABWA.....LAGCHE ALI SA BHAI KHEYE GAYE CHHE...
'KAVI-KAMAL' "SAMEER-LAL" BADE AAP-NAR 'SHAIREE'
JET-VIMAN MUTUN URIYE DIYE CHHE.....DEKHUN TO...
'DHOTI KE TUK KARE RUMAL BANA DIYE CHHEN'.....EE
TA KINTU BHALO NAI......
KICHU ALPO-VISHESH HOTE PARE-KSHMA CHAHBO....
PRANAM.
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete@ उड़ी बाबा आर एक टा शोंजोय...
ReplyDeleteकोथाय ठीके एतो शोंजोय रा आशछेन जे बाबा :):)
की जे बोलबो की होए गेयेछे....शोब गोंडो गोल होए गेयेछे...सोमोय किछु कोम तो अमार काछे ...ताई जोन्ने ...आर किछु बिशेष लोय..
आमार ख़ूब भाग जे आपनी आमार ब्लॉग ते एशेछेन....
आपनार धोंनोबाद कोरछी...
@ कोकस साहेब,
आभारी हूँ आपकी...आपने समय निकाला..
धन्यवाद.....
@ क्षमाप्रार्थी हूँ ..शरद कोकास जी...
ReplyDeleteवर्तनी की त्रुटि हुई है...
कृपा करके 'कोकास' पढ़ें..
धन्यवाद..