दिया था दिल जिसे हमने, पेशतर नज़राना
नज़र आते हैं वो मुझको, जाने क्यूँ ग़ैराना
जला कर रख दिया हमने, खूं-ए-दिल से इक दीया
बड़ी उम्मीद है हमको, आएगा फिर वो परवाना
तेरे सजदे में तेरे दर पे, घुटनों पर हम बैठे हैं
ना जायेंगे अब कभी, कोई क़ाबा ना बुतख़ाना
तेरी यादों की ये राहें, मुझको भटकाने लगीं हैं अब
सभी पुकारते मुझको, ओये पागल ओ दीवाना
अदा जी,
ReplyDeleteजला कर रख दिया हमने, खूँ-ए-दिल का इक दीया
बड़ी उम्मीद है हमको, आएगा फिर वो परवाना
बड़ा ही खूबसूरत शेर है ! आवाज़ में बहुत कशिश है !
आपकी रचनाएं मैं जब भी पढता हूँ
ReplyDeleteएक बार पढने के तुरंत बाद दोबारा पढता हूँ
फिर एक बार और पढता हूँ
शायद आपको यकीन ना हो .... मिनिमम चार बार लगातार पढता हूँ
मेक्जिमम बार ये समझ में नहीं आता कमेन्ट में क्या लिखूं .. निशब्द ......
(अभी गीत नहीं सुन पाया हूँ )
~~~~
दीदी , आपको नहीं लगता आपको इस मासूम के ब्लॉग पर आये एक जमाना हो गया है ..मुझसे कोई गलती वलती हो गयी तो माफ़ वाफ करने का क्या प्रोसीजर है ? ये ही बता दिया जाये
आस्थावान ध्यान दें ~~~~~ स्वामी विवेकानंद की आवाज और सच
बहुत ही बढ़िया, सुबह सुबह आनंद आ गया
ReplyDeletekya kahe itna sunder hai
ReplyDeletebahut sunder geet
...
bahut hi sundar....
ReplyDeleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteऔर क्या कहें... हम भी निःशब्द हैं।
तेरी यादों की ये राहें, मुझको भटकाने लगीं हैं अब
ReplyDeleteसभी पुकारते मुझको, ओये पागल ओ दीवाना
क्या बात है,लाजवाब।
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (19.02.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
ReplyDeleteचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
माशा अल्ला ....... बहुत खूब
ReplyDeleteआपका लेखन आगे बढ़ रहा है,देख कर अच्छा लगा.
ReplyDeleteगाना "भरी दुनिया में आख़िर......................"आपकी आवाज़ में बहुत मधुर और प्यारा लगा.
ये गीत मुझे बहुत पसंद है...:)
ReplyDeleteशायद हमराज़ फिल्म का गीत है..
जाइये, आप कहां जायेंगे ..........:)
ReplyDeleteआज है कम्पलीट पैकेज।
ReplyDeleteखूबसूरत तस्वीर, खूबसूरत शेरों से भरी गज़ल और बेहद शानदार गीत।
कान में पिरोब्लम वाली बात दोबारा मत कहियेगा, कान वाले डाक्टर ने आगे रेफ़र कर दिया है, दिमाग वाले के पास:)
ट्रिपल सैंचुरी(अनुसरणकर्ताओं की) पूरी होने पर बधाई। गावस्कर की तरह फ़िर से गार्ड्स लीजिये, और अगले शतक की तरफ़ बढ़िये।
शुभकामनायें।
जब कोई दीवाना बुलाये, मान ले कि मार्ग सच्चा है।
ReplyDeleteतेरे सजदे में तेरे दर पे, घुटनों पर हम बैठे हैं
ReplyDeleteना जायेंगे अब कभी, कोई क़ाबा ना बुतख़ाना ..
अब ऐसी चाहत होगी तो लोग पागल दीवाना बुलाएँगे ही !
तेरे सजदे में तेरे दर पे, घुटनों पर हम बैठे हैं
ReplyDeleteना जायेंगे अब कभी, कोई क़ाबा ना बुतख़ाना
बहुत सुंदर लिखा है -
बधाई
तेरे सजदे में तेरे दर पे, घुटनों पर हम बैठे हैं
ReplyDeleteना जायेंगे अब कभी, कोई क़ाबा ना बुतख़ाना
खुबसुरत गजल। हर एक शेर पर वाह वाह करने को दिल करता है।
@ शेखर,
ReplyDeleteयह गीत 'दो बदन' फिल्म से है ..
फिल्म के मुख्य कलाकार हैं मनोज कुमार और आशा पारिख...
followers की संख्या 300 पहुचने की हार्दिक बधाई आपको.
ReplyDelete'पेश-ए-तर' की जगह 'पेशतर' से काम चलाइए तो बेहतर लगेगा !
ReplyDelete'गैराना' जम नहीं रहा पर आपने इस्तेमाल किया है सो कन्फ्यूज्ड हो रहा हूं ?
इसी तरह से 'खूं-ए-दिल का इक दिया' के बजाये 'खूं-ए-दिल से इक दिया' शायद बेहतर हो !
वैसे शायर को हक़ है कि वो क्या लिखे !
अली साहेब,
ReplyDeleteआपका मशवरा सर-आखों पर...
सही कह है आपने....
@ गौरव,
ReplyDeleteइतने दिन कह रहे तुम ?
और ऐसा नहीं है दीदी हूँ और ऐसी किसी प्रोसीजर में यकीन नहीं करती...
तुम नज़र ही नहीं आए..और उससे भी बड़ी बात मैं भी कम ही नज़र आती थी...
कुँवर जी,
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद...
ये तो पाठकों का स्नेह है...
@ ज्ञानचंद जी,
ReplyDeleteआपका आना सुखद लगा..
धन्यवाद..
@ Learn By Watch ,
आपको पसंद आया ..
आपका धन्यवाद..
@ दीप्ती जी,
पुनः आपका शुक्रिया ..
@ ViVs
आभार..!
@ सोमेश जी,
आपकी बातों से मेरा हौसला बढ़ता है...
मैं अनुगृहित हुई..
धन्यवाद..
@ सत्यम,
तुम स्वयं बहुत ही विवेकी और बुद्धिमान व्यक्ति हो..
सराहना के पात्र हो...
ख़ुश रहो..
@ खान साहेब,
तहेदिल से शुक्रिया कहती हूँ..इस हौसलाफजाई के लिए..
@ प्रसाद जी,
ReplyDeleteहम तो कम्बल छोड़ देवें मगर कम्बल्वा हमको छोड़े तब ना :):)
@संजय जी,
आपको जिस कान वाले डाक्टर ने दिमाग वाले के पास आपको रेफर किया उसका दिमाग खिस्केला है जी....आपके दिमाग का रन-रेट अभी बहुत सही है...
बाकी हम तो कभी गावस्कर थे ही नहीं...श्रीकांत की तरह गूगली की आदत है...ज़रा टेढ़े हैं ना....:):)
@ प्रवीण जी ,
'जब कोई दीवाना बुलाये, मान ले कि मार्ग सच्चा है'
अब ज़रा ई भी बताएँ...आपको कैसे मालूम ?
@ वाणी जी,
बदनाम होंगे तो क्या हुआ ...नाम ना होगा !!
@ अनुपमा जी,
आप आईं बहुत ख़ुशी हूँ..
हृदय से आभार आपका...
@ एहसास जी,
आपका तो नाम ही ऐसा है कि 'वाह' करने को दिल कर गया..
आभारी हूँ मैं..
Hello :)
ReplyDeleteWonderful song sung by you...!
And nice piece of poetry...
Mann moh liya dono ne :)
Regards,
Dimple
:)
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