Tuesday, August 18, 2009

काँच के रिश्ते...

काँच के रिश्तों
का टकराना
टूटना,
और दूरियाँ, बढ़ जाना
न जाने
ये सिलसिला
कब रुकेगा
शायद तब
जब
रिश्ते
टूट जायेंगे
फिर, इतने काँच हम कैसे
समेट पायेंगे ?
कोई न कोई तो चुभेगा
और
तब !
एक रिश्ता बनेगा
जिसमें
दरार होगी
और यकीन मिट
जाएगा
रिश्ता
शक़ में लिपट
जाएगा !

12 comments:

  1. सच जब रिश्ते टूटते हैं तो वो दिल को चुभ जाते हैं.. तब उनसे रिसता है दर्द और कहलाते हैं 'दर्द के रिश्ते'..सुंदर रचना

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  2. bahut sundar rachna sacchai darsaati hai.

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  3. ....क्या बात है...!! अरे गज़ब....इक टूटे हुए कांच की बिना पर आपने कितनी बड़ी इतनी सहजता से कह दी.....क्या बात है....क्या "अदा"है....!!

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  4. जब रिश्ते टूट जाएँगे
    फिर,इतने काँच हम कैसे
    समेट पाएँगे ?
    कोई न कोई तो चुभेगा
    और तब !
    एक रिश्ता बनेगा
    जिसमें
    कोई दरार न होगी ....
    क्योंकि -
    इस रिश्ते का कोई नाम न होगा
    जो होगा
    लेकिन यकीन की जरूरत न होगी
    और शक की गुंजाइश न होगी
    क्योंकि यह रिश्ता सांसों सा अपना होगा
    यह रिश्ता सीधा अस्तित्व से उपजेगा
    और सब रहस्यों के द्वार खोलेगा !!!!

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  5. kya baat hai 'ada' ji kamal ka likhti hai aap.
    फिर, इतने काँच हम कैसे
    समेट पायेंगे ?
    कोई न कोई तो चुभेगा
    और
    तब !
    aapki abhivyakti lajwaab.
    padh kar hi kuch mahsoos ho jata hai.
    badhai.

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  6. रिश्तो के दर्द को आपकी कलम का सहारा मिला, शायद अब ये टूटने से बच जाये.
    बहुत सुन्दर
    वाह

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  7. रिश्ते कांच के हों तो टूटना लाजिमी है ...मजबूत होने चाहिए ना..फेविकोल के जोड़ के तरह ..!!
    बहुत बढ़िया ...बधाई...!!

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  8. लगता है आजकल रिश्ते भी कांच के होते जारहे हैं. बिल्कुल उसी तरह टूटते हैं जोरदार आवाज के साथ.

    रामराम.

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  9. वाह कमाल की,बात कही है आपने सुन्दर शब्दों और भावनाओ के साथ.
    दरअसल रिश्ते हमारे ख्याबों के प्रतिबिम्ब ही तो हैं.
    और ख्याबों के बारे में कहें तो ये के:

    "ख्याब शीशे के हैं, किर्चों के सिवा क्या देगें,
    टूट जायेंगें तो, ज़ख्मों के सिवा क्या देगें"

    "सच में" पर सुन्दर comments के लिये धन्यवाद!

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  10. kaanch ke rishtey hain to sambhalna hi padega varna to tootenge hi ,bikhrenge hi....phir sametne mein kab aaye hain ye rishtey.
    bahut bahiya prastuti....badhayi

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  11. रिश्ते के मिट जाने से भी खतरनाक है रिश्ते में शक का समाहित हो जाना
    बहुत सुंदर लिखा है सादगी के साथ.

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  12. बेहद खूबसूरत रचना । आभार ।

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