श्री गणेश हुआ
आँखें मिली
आँखें चार हुई
रातों की नींद हराम हुई
दिल आसमान में उड़ने लगा
दिल लगा लिया
दिल बल्लियों उछल गया
दिल चोरी हो गया
होश गुम हुए
दिल का कँवल खिल गया
प्रेम की पींगें बढ़ी
प्यार परवान चढा
दिल पर हाथ रख कर
कसमें खाने लगे
चाँद सितारे तोड़ कर लाने लगे
चौदहवी का चाँद हुए
कभी ईद का चाँद,
कभी पूनम का चाँद नज़र आये
सपनों के महल बनने लगे
फिर एक दिन
शहनाई बजी
हाथ पीले हुए,
डोली चढ़ गए
घोडी चढ़ गए
घर बसाया
घी के दीये जलाये
दो बदन एक जान हुए
दिन में होली रात दिवाली हुई
दिन हवा हुए,
प्रेम के सागर में डूबे उतराए
दसों उंगली घी में हो गए
दरवाज़े पर हाथी झूमने लगे
फिर धीरे-धीरे
दिल बैठने लगा
नानी याद आने लगी
नमक तेल का भावः समझ में आया
नून-तेल लकड़ी जुटाने में जुट गए
रात-दिन एक कर दिया
दीमाग लड़ाने लगे
कभी दाल नहीं गली
दिन को दिन रात को रात नहीं समझा
समय की चक्की में पिस गए
पाँव भारी हुए
आँख के तारे आये
कई टुकडों में बँट गए
पाँव में पत्थर बंध गए
काठ की हांडी बार-बार चढाने लगे
बच्चे सर खाने लगे
आँखें पथराने लगी
दिन में तारे नज़र आने लगे
दांतों चने चबाने लगे
दाँत से कौडी दबाने लगे
कभी दाँत निपोरा
तो कभी दाँत दिखाने लगे
कुछ ऐसे मिले
जिनके मुंह में राम बगल में छूरी थी
मुफलिसी में आटा भी गीला हुआ
मुसीबत अकेली नहीं आई
दर-दर की ठोकर खाने लगे
दिल खट्टा होने लगा
दाई से पेट छुपाने लगे
दाँव पे दाँव चलाने लगे
दलदल में फँस गए
दरिया तक जाते हैं और प्यासे लौट आते हैं
दिल का गुब्बार निकालने लगे
दामन बचाने लगे
तीन-पांच बहुत किया
जाने कब दिन फिरेंगे
अब तो लगता है
दिल कड़ा करना पड़ेगा
पीछा छुड़ाना पड़ेगा
कहीं खो जायेंगे
काफूर हो जायेंगे
लगता है
नौ-दो ग्यारह हो जाएँ
wah di unique and flawless....
ReplyDeletemuhavre reloaded...
dil gad gad ho gaya....
waapis aata hoon....
वाह! अद्भुत प्रयोग
ReplyDeleteअद्भुत रचना
संकलन बढिया है | मैं कॉपी कर रख लेता हूँ, पता नहीं कब जरुरत पड़े |
ReplyDeleteमुहावरे बनाम कविता हो गई है बहुत बढ़िया प्रयास .
ReplyDeleteसटीक प्रयोग मुहावरों का.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना है। परन्तु कभी -कभी ये इससे
ReplyDeleteआँखें मिली
आँखें चार हुई
रातों की नींद हराम हुई
दिल आसमान में उड़ने लगा
दिल लगा लिया
दिल बल्लियों उछल गया
दिल चोरी हो गया
होश गुम हुए
दिल का कँवल खिल गया
प्रेम की पींगें बढ़ी
प्यार परवान चढा
दिल पर हाथ रख कर
कसमें खाने लगे
चाँद सितारे तोड़ कर लाने लगे
चौदहवी का चाँद हुए
कभी ईद का चाँद,
कभी पूनम का चाँद नज़र आये
सपनों के महल बनने लगे
आगे नही बढ पाती। तब भी बहुत दर्द होता है, लेकिन जो उसके बाद होता वह तो आप से मालुम हुआ, और वह तो बङा ही भयानक है, खुशनसिब होते है वे जो "सपनों के महल बनने लगे" से आगे नही बढ पाते है।
वाह अदा जी..
ReplyDeleteअब तो जैसे इन्तजार रहता है..उनकी हर नयी अदा का..
जाने कब उनकी किस अदा में खुदा दिख जाए..
मकान गए जी आपको ..अद्भुत है आपकी कल्पना शक्ति
MUJHE PATA THA AAJ BHI KOI NA KOI DHAMAKA HI HOGA. JAB BHI AAPKI POST DEKHTA HUN SAMAJH JATA HUN AAJ BHI KOI NAYI BAAT HOGI AUR MAIN SAHI THA.AAPKI KALPANASHEELTA KA MUKABLA KARNA AASAN NAHI HAI. MAZAA AAGAYA PADH KAR. AAJ KAL MUHAWARE VAISE BHI NAHI MILTE DEKHNE KO. MAIN BHI RAKESH JI KI TARAH COPY KAR LUNGA.
ReplyDeleteDHANYAWAAD
MUJHE PATA THA AAJ BHI KOI NA KOI DHAMAKA HI HOGA. JAB BHI AAPKI POST DEKHTA HUN SAMAJH JATA HUN AAJ BHI KOI NAYI BAAT HOGI AUR MAIN SAHI THA.AAPKI KALPANASHEELTA KA MUKABLA KARNA AASAN NAHI HAI. MAZAA AAGAYA PADH KAR. AAJ KAL MUHAWARE VAISE BHI NAHI MILTE DEKHNE KO. MAIN BHI RAKESH JI KI TARAH COPY KAR LUNGA.
ReplyDeleteDHANYAWAAD
kya bat hai bahut acha prayog
ReplyDeleteये इत्ता लंबा-चौडा हाथ कहाँ पे मारा जी आपने......??
ReplyDeleteकौन से ब्लॉग से चुराया है ये सब...?
ये लोग क्या आपको कुछ भी क्यों नहीं कहते जी..?
जाने हमारी खुशनसीबी कब होगी..?
:)
वाह! अमेज़िंग, माइंडब्लोविंग, लाजवाब। बहुत ही अच्छी तरह से एक के बाद एक सारी कड़ियां जोड़ी हैं आपा आपने। बहुत खूबसूरत बन पड़ी है रचना।
ReplyDeletewaah......
ReplyDeleteanupam.....
aabhar...ada ji
shubh-kaamnaen
gita
वाह!अद्भुत रचना....
ReplyDeleteLAJAWAAB PRAYOG KIYA HAI AAPNE....ADHBUDH
ReplyDeleteAapko bhee kya kya soojh jata hai! Maza aa gaya!
ReplyDeleteAdbhut!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!
ReplyDeleteअनूठा आइडिया मैम...
ReplyDeleteऔर सब के सब एक-दूसरे से जुड़ कर पूरी कहानी कितनी सहजता से रच रहे हैं...अहा!
कभी कभार मुझे लगता था की मैंने अपने लेखन में बहुत सारे प्रयोग कर लिए हैं । तभी आप जैसा कोई मिल जाता है और यह एहसास दिला जाता है कि नहीं भाई, अभी तो कितना कुछ बचा है करने को | यह आपके ब्लॉग पर मेरा पहला आगमन है, मगर निःसंदेह, आगे आते रहने की लिए बहुत से कारण मिल गए हैं।
ReplyDeleteअद्भुत रचना संसार है आपका। आपके प्रयोग अच्छे हैं, और मेरे जैसे नौसिखिये लेखकों के लिए काफी प्रेरणादायक भी ।
आगे भी आपके ब्लॉग पे आते रहेंगे, ऐसा वादा है, और आपके लिए ढेरों शुभकामनाएँ हैं ।