भवंरा भवंरा आया रे,
गुनगुन करता आया रे,
फटाक फटाक.....
सुन सुन करता गलियों से अब तक कोई न भाया रे
सौदा करे सहेली का,
सर पे तेल चमेली का,
कान में इतर का भाया रे....
फटाक फटाक...
गिनती न करना इसकी यारों में,
आवारा घूमे गलियारों में
चिपकू हमेशा सताएगा,
ये जायेगा फिर लौटा आएगा,
फूल के सारे कतरे हैं,
जान के सारे खतरे हैं...
कि आया रात का जाया रे...
फटाक फटाक.....
जितना भी झूठ बोले थोडा है,
कीडों की बस्ती का मकौड़ा है,
ये रातों का बिच्छू है कटेगा,
ये जहरीला है जहर चाटेगा...
दरवाजों पे कुंडे दो,
दफा करो ये गुंडे,
ये शैतान का साया रे....
फटाक फटाक...
ये इश्क नहीं आसाँ,
अजी AIDS का खतरा है,
पतवार पहन जाना,
ये आग का दरिया है...
ये नैया डूबे न
ये भंवरा काटे न.....
अरे भाई बात इ है कि हिंदी-युग्म के आवाज़ में हम इ गीत सुने रहे ...उहाँ टिपिया भी दिए हैं कि बाबू हमको इ गीतवा नहीं समझ में आया है......और तब से हम अपना माथा खोजा-खोजा के थक गए हैं ...अभी तक हमरा पल्ले कुछो नहीं पड़ा है.....
इ गुलजार बाबु का फरमा रहे हैं......आपलोग तो बहुते गुनी जन हो .....गीत-गोबिंद का समझ भी रखते हैं ...हम ठहरे लिख-लोढ़ा पढ़-पत्थर टाइप का जंतु ....हमको ऐसा आदमी चाही जे एक-एक लाइन का मतलब बतावे कि इ है का ???
सुने है कि ऐड्स के प्रति जागरूक करे वास्ते इ सब फंडा हुआ है....लेकिन हम को कोई इ समझावे कि इ में का बात ऐसन है जिसको सुन के बात समझ में आ गयी कि इ ऐड्स की जागरूकता की बात कर रहा है......
हम थोड़ा-मोड़ा पढ़े हैं भाई, और कुछ-कुछ भाषा का भी ज्ञान है.....
असरानी इश्टाइल में हमरे दीमग्वा में भी येही बात घूम रहा हैं कि जब हम नहीं समझे तो 'उ लोग' का समझ जावेंगे ???.....कि खाली 'फटाक-फटाक' पर कूद-फांद कर बैठ जावेंगे.......आखिर कोई एन.जी.ओ. के सौजन्य से इ बना है तो भाई संदेशवा तो ठीक से मिलना चाही कि नाही.......
'ये जायेगा फिर लौटा आएगा'
कौन जावेगा और कौन लौट आवेगा ????
मरीज ?
बीमारी ?
तो आप सब गुनी जानो से हमरी प्रार्थना है कि समझा दीजिये हमको काहे कि हम कुछो नहीं समझे हैं.....
मेरी समझ में भी नहीं आयी बात। वैसे इसमे समझने लायक बात भी कुछ नहीं है। एड्स के नाम पर N.G.O. का रोजगार चल रहा है।
ReplyDeleteशुभकामना।
पोस्ट लिख कर ही समझाना पड़ेगा..अब न खोजाओ सर!! जब अब तक समझ नहीं आया, तो ऐसे नहीं आयेगा. :)
ReplyDeleteकछु कछु बुझले बानी..मगर उ हिंयां टिपियाये लायक नइखे ..!!
ReplyDeleteई तो हमरे सर के ऊपर से पार हो गया |
ReplyDeleteओहो ! अदाजी ,ये ज़ुल्म है ! मै तो कुछ नही समझी ..!
ReplyDeleteRakeshji kahte hain,wahee sahee..'OHT' ho gaya!
मरीज में बिमारी है
ReplyDeleteया बिमारी में मरीज है
ऐसे चक्कर में डाल
घनचक्कर एनजीओ ही बना सकै है ।
हमका तो वैसे ही हिन्दी कम समझ मे आवेला, इत सर के ऊपर से बह जाता।
ReplyDeleteहूँ...लागता गुलज़ार बाबू बहुते बढियां से बुडबक बनायें हैं भाई......
ReplyDeleteहम येही सोच के दुबराय रहे थे की कहीं हम बूढा तो नहीं गए हैं कि कुछ बुझबे नहीं कर रहे हैं...
चलिए अब हम ऐकले नहीं नू हैं बुडबक !!!!
अब हमको कहां समझ आयेगा? हम तो वैसे ही अक्ल से पैदल हैं. समझ आये तो एक पोस्ट और लिख दिजियेगा.:)
ReplyDeleteरामराम.
ada ji,
ReplyDeleteham bhi kuch nahi samajh paya hun
ab aap hi pata laga kar ek tho post likhiyega.
mere bahut kuch samajh main(agar sab kuch nahi bhi to) aa gaya hai...
ReplyDelete...par jaisa ki vani ji ne kaha ki yahan tipyane jaisa nahi hai...
khaskkar ye line:
"ये इश्क नहीं आसाँ,
अजी AIDS का खतरा है,
पतवार पहन जाना,
"
hahahah......
salute you gulzaar....
ReplyDelete...things which can't be said 'directly'...
...are said passively ((purposely )) in this song.
i remember one more such song from 'sunset point'(again gulzar
: aarzo meri, pakad ke aastin le chale kahin...
अरे भैया हमको अभी तक एक भी सुधि पाठक नहीं मिला है जो कहे की हम 'सब कुछ' समझ गए हैं....
ReplyDeleteचाहे उ इहाँ टिपियाने लायक हो या कहीं भी टिपियाने लायक हो की नहीं ....
दर्पण बचवा..सलामी थोक कर चले गए हो गुलजार जी को ....कौन सी बात के लिए भाई ???????
ये इश्क नहीं आसाँ,
अजी AIDS का खतरा है,
पतवार पहन जाना,
ये आग का दरिया है...
ये नैया डूबे न
ये भंवरा काटे न.....
इकरा में जब हम ऐड्स पढ़े तो ओतना तो हमहू समझ गए .....
लेकिन हम पूछ रहे हैं की इसका से ऊपर जो भी लिखा है उ किसको समझ में आया है .....उ हम जानना चाहते हैं.....खली गुलज़ार लिखे हैं इसलिए हम सलामी नहीं ठोकेंगे.....
और इ सन्देश जिनके लिए है उ समझ रहे हैं की नहीं इ बात बहुत ज़रूरी है ....पब्लिक का पैसा लगा है और इ एक सफल सन्देश है की नहीं हम इतना ही जानना चाहते हैं......
जो भी इसको समझा है हमसे बोले की हम पूरा गीत समझ गए हैं.......
Wahiyat gana hai
ReplyDeletesirf Gulzar name brand bana hua hai.
kuch samajh mein nahi aya. agar AIDS ko hata do kya hai kyun hai pata hi nahi chalege.
Ada ji kahe time khrab kar rahi hain. koi nahi samjhega lekin koi nahi bolega ki wo nahi samjha hai.
गाना तो पहली नजर में समझ आ गया था..
ReplyDeleteहमें कोई ख़ास पसंद आया....
ये इश्क नहीं आसां, बस इतना समझ लीजै
इक आग का दरिया है ,और डूब के जाना है..
एड्स की जागरूकता के नाम पर एक पवित्र शे'र का सरासर मजाक बनाया है,,,,
हम इसे एक भी नम्बर नहीं दे सकते.....
आइन्दा से कोशिश करेंगे के ये भूले से भी हमारे कानों में भी ना पड़े..
hamne bhi ji apnaa comment hind-yugm se uthaakar yahaan chipkaa diyaa hai......
darpan se dil se maafi maangtaa hoon.....
eeeee...........waaqai mein hamre bhi samajh maa kucho naahi aaya hai..........
ReplyDeletehum deeware se sar phod liye hain....... par samajh naahi aaya........
ई कौनोह गीत सुनाय रहे आप हम सब का
ReplyDeleteऔर फिर सिकयात्वा की बरजोरी भी ...
कह देत हैं ....
रचना मां कछु गलत्वा नाही ...
और कहीं संदेसवा भी छिपाए रहे है
खोपडिया तो चाहिबे करी समझे की खातिर
चलत हैं अब .....
और सुकरिया भी कही देत हैं ...हाँ ...
---मुफलिस---
भूतनाथ said...
ReplyDeleteअरे भई एतना भी नहीं समझी आप......धत्त बडिए बुडबक हैं आप तो ए अदा जी....खाली झूठठो-मूठठो अदा बन गयीं हैं का.....!!अरे भईया आजकल गुलज़ार जी जो लिखते हैं ना....उसको रहमान जी संगीतिया देते हैं....फीर ऊ फेमस हो जाता है....भल्ले उसका कोई मतबल....अगे सॉरी....सॉरी.....मतलब चाहे कुच्छो हो की नहीं...आजकल संगीत का दुनिया में जे है से की सब्भे कुच्छो ना चल जाता है ना....फीर ई जो गुलज़ार बाबु जी ना लिक्खें हैं.....तिसपर उसको रहमान बाबु ना संगीतिया दे रहे हैं....फीर आप अऊर हम जे है से की काऊन होते हैं....ई सब पर सवाल उठाने वाले....??एगो बात और है....की गुलज़ार बाबु के हम बड़ा फेन हैं....और उनसे जे है से की कुच्छो चिठियो पतरी हमरा कभी हुअल है...पण इधर जे है से की गुलज़ार बाबु जो कुच्छो लिखे दे रहे हैं....ऊ सब हमको भी पच-उच नहीं रहा है....पण हम भी का करें.....समझ तो सार हमको भी नहिये आया....तब आप ही बताईये....की उनको चिठिये लिख-लाख देवें का.....?????
August 27, 2009 11:58 PM
भूतनाथ जी,
ReplyDeleteहम झूठो-मूठो अदा नहीं है हाँ कह देते हैं ...
हम तो उ 'अदा' हैं की अदा भी अदा मारने के पाहिले सोचेगी ..का समझे....नहीं समझे......समझेंगे भी नहीं.....
नेकी और पूँछ-पूँछ..
आप गुलज़ार बाबू से तनी पूछियेगा इ का लिखे हैं....
काहे की हम कुछो नहीं समझे हैं...गुलज़ार बाबू का गीत हमको भी पसंद हैं लेकिन अब अन्धुअरी लिखेंगे तो सलाम हम नहीं ठोकेंगे....चाहे गुलज़ार रहे की गुलज़ार के बाबूजी ....
अगर आपका चिट्ठी-पत्री होता है तो कहिये उन्खा से की इ जो लिखे हैं का 'उ लोग' समझ जावेंगे जिन्खा लिए लिखे हैं ??????
और का जोन मकसद से लिखे हैं उ कमवा हो रहा है ????
'अदा'
Ada ji,
ReplyDeletegulzar kuch bhi likhenge log man lenge chahe uska matlab kuch bhi nahi ho.
main bhi nahi samjha kya kaha ja raha hai
this is good question ki kya ye unki samajh main aaya jinke liye ye likha gayan hai,
ReplyDeletedi ye ek situational song hai, jahan pe gulzaar ko ek situation di ghayi thi usko uspe likhna tha //bina koi dignity khoye,
chaliye aapko ek task diya aap us movie ko dekhiyea aur koi situanoal song likhiye// main to nahi likh paaunga itni badhiya tarike se, aur waise bhi ye ek commercial film hai koi documentary nahi, har ek baat ka matlab ho ye bhi zarrori nahi , absurd play, modern art, chayavadi kavita (jinke arth kramsah darshkoon avm pathakoon ke hisaab se badlte rehte hain) iske hi udharan hai, gulzaar ke kisis bhi ek gaane ka sidhi tarah agar koi bata de to baat maanu ki yahi gaana samajh main nahi aaya( even ki bacchon ke liye likha chaddi pehan ke phool ya lakdi ki kathi). Main koi 1 gaana specifically isliye nahi de raha hoon ki unke har gaane main arth khodna padta hai ya kai baar hota hi nahi, to kai baar alag alag shabd ya ek poora vakya koi arth na nikalta ho, par poori kavita ya geet ek ruhani ehsaas (out of the world) paida karte hain. Aur bhootnath ji ismein lyrics to gulzaar ki hai par music vishal bharadwaj ka hai A,R.Rehman ka nahi //
manu ji aapse do baaton se naaraz hoon:
ReplyDeleteEk to aapne sorry kaha...
(jiski kahin bhi koi zaroorat nahi thi aur na hogi)//
doosra...
gulzaar ke :"dil dhoondta hai","Sunai deti hai dil ki dhadkan" bhi purane shaiyroon se prerit the (ek to ghalib se hi tha)
aur logon dwara bahut pasand kiye jaate hain...
...Parody to sab hi likhte hain !!
pasand bhi karte hain.
to gulzaar ne kaunsa bura kaam kar diya.
Mera prashn ab bhi wahi hai ki mujhe gulzar ke kisi bhi ek gaane ka koi 'seedha' arth bata de to main chup ho jaaon.(seedha isliye keh raha hoon kyunki arth niklega par'jugat' lagani hogi)
to agar aapko wo pasand hai to ye bhi hona chahiye.
aur haan is gaane main bhi kaafi had tak arth nikalta hai...
(Beside ghalib parody as well)
दर्पण बचवा,
ReplyDeleteगुलज़ार जी के न मालूम कितने गानों के प्रसंशक हम भी हैं....दिल से गाते हैं इनके गाने....
बात इस गाने कि ...यह गाना किसी एन.जी.ओ. के सौजन्य से बना है ...अगर यह पूरी तरह से कॉमर्शियल होता तो भी मेरा प्रश्न यह ज़रूर होता कि क्या गाना अपना मकसद पूरा कर पाया ?
गुलजार जी का पास कलम है ताकत हैं उनको सोच समझ कर लिखना चाहिए......
एक बहुत ही अच्छा मौका था यह इस गंभीर समस्या कि ओर कुछ कहने का और लोग ज़रूर सुनते गुलज़ार साहब कि बात....
मुझे बुरा इसलिए लगा कि उन्होंने इस अवसर का कोई उपयोग नहीं किया....
मुझे उनके एक गाने जिसमें 'कमीने' शब्द का प्रयोग उन्होंने किया है उससे शिकायत हुई है...
उससे इसलिए शिकायत हुई है क्योंकि 'कमीना' शब्द ऐसा नहीं है जिसे कोई भी गरीमा मिलनी चाहिए..गुलज़ार जी ने उसका प्रयोग करके उसे एक स्तर दे दिया कि आज बच्चे माँ-बाप के सामने धूम -धाम से कमीना कहते हैं वो तो छोडो अगर बेटा बाप को कमीना कहे तो बुरा नहीं लगना चाहिए....मुझे उनकी ये बात पसंद नहीं आई..
आज सब 'कमीने' शब्द का पक्ष ले रहे हैं ....हम सिर्फ एक ही बात पूछेंगे कि अगर गुलज़ार साहब कि बेटी उन्हें 'कमीने' शब्द से संबोधित करे तो क्या वो झेल जायेंगे ?????
क्योंकि हम तो नहीं झेल पायेंगे...
खैर मुद्दे से दूर नहीं जाते हैं......अभी भी हम को कुछो समझ में नहीं आया है इ.... गीत का कह रहा है....
और जहाँतक हमारे लिखने का प्रश्न है हम लिखने से पहले साइनिंग अमाउंट लेते हैं कोई दे जावे तो लिख देंगे.......
हा हा हा हा हा ...
जोक्स अपार्ट.......लिखे गुलज़ार साहब ही कलम के जादूगर हम भी मानते हैं उन्हें लेकिन सही लिखें ना !!!!!
No comment !!
ReplyDeletehamesha ki tarah di se haara hoon,
khushi ho rahi hai...
signing amount to nahi de paaonga...
...par phir bhi meri ek ghazal gaoge aap.
aur uske liye jo bhi amout chahiye milega....
5/- RS ki maasik kisht baand lena...
:)
haan par ek baar meri khushi ke liye bol do (jhoota hi sahi):
ReplyDeleteGulzaar is best !!
(Beside this song off course)
दर्पण बचवा,
ReplyDeleteतुम्हारी ख़ुशी के लिए " गुलज़ार इस बेस्ट"
लेकिन हम भी वही मानते हैं.....
अगर न मानते तो शायद इतने दुखी नहीं होते .....
न जाने कितनो ने क्या क्या नहीं कहा है 'ऐ गनपत चल दारु ला' हम तो नहीं गए कहने ऐसा क्यूँ लिखा ?
लेकिन गुलज़ार जी से हमें भी उम्मीद है और भरोसा भी....
गैरों के पत्थर हम झेल जाते हैं अपनों ने फूल मारा तब ही चिल्लाते हैं......
दर्पण ,
ReplyDeleteमेरे सोरी कहने से तुम्हे दुःख पहुंचा...
इसके लिये मुझे बहुत बहुत खेद है...
आइन्दा तुम्हे सोरी नहीं कहूंगा...
लिखीं फिलहाल मेरी भूल क्षमा करें...
आय एम रीयली सोरी john....
ham bhi kachhu nahi samjhe hai
ReplyDeletefaltu ka geet hai
ap thiik kah rahi hai