दुल्हन बन तेरे घर आना
संग-संग चलते ही जाना
क़तरा क़तरा जुड़ते जाना
चप्पे चप्पे पे छा जाना
कभी खुशबू आबशार बने तो
कभी हो कोई तेल पुराना
कभी आग का गोला हो तुम
कभी हो शबनम मोती दाना
कभी बातों से देह जलाना
नज़रों में ही कभी छुपाना
धूप-छाओं, के साए में
बस यह जीवन जीते जाना
अंत समय तेरे हाथों से
मुख में गंगाजल पा जाना
फिर दुनियाँ में दोबारा आना
फिर तुझसे जुड़ते ही जाना
फिर संग चलते ही जाना
कभी खुशबू आबशार का आना
तो कभी वही तेल पुराना
फिर वही वो आग का गोला
और कभी वही मोती दाना
फिर कभी मेरी देह जलाना
और कभी आँखों में बसाना
फिर जीवन का अंत आजाना
तेरे हाँथों एक बार फिर
मुख में गंगाजल पा जाना
बस ऐसे ही रोते गाते
तुझ संग सातों जनम निभाना
तेरे हाँथों एक बार फिर
ReplyDeleteमुख में गंगाजल पा जाना
बस ऐसे ही रोते गाते
तुझ संग सातों जनम निभाना
-रोते गाते काहे जी, हंसते हंसते!!
बढ़िया है.
मुख में गंगाजल पा जाना
ReplyDeleteफिर दुनियाँ में दोबारा आना
फिर तुझसे जुड़ते ही जाना
फिर संग चलते ही जाना
===
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
चीजों को देखने का अलग नजरिया - हमेशा की तरह पसन्द आया मंजूषा बहन। सुन्दर अभिव्यक्ति। मैं भी कुछ जोड़ देता हूँ-
ReplyDeleteएक जनम का साथ है मुश्किल
सात जनम तो एक बहाना
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कभी बातों से देह जलाना
ReplyDeleteनज़रों में ही कभी छुपाना
धूप-छाओं, के साए में
बस यह जीवन जीते जाना ...
dhoop-chhanw ke saaye mein...bas ye jeewan jeete jaanaa...
bahut sunder lagaa..
कभी खुशबू आबशार का आना
ReplyDeleteतो कभी वही तेल पुराना
फिर वही वो आग का गोला
और कभी वही मोती दाना
फिर कभी मेरी देह जलाना
और कभी आँखों में बसाना
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन...
Very beautiful lines again from your pen.
ReplyDeleteYou write amazing poems ,my best wishes.
regards,
dr.bhoopendra
हंसते हंसते निभाने से, निभाना आसान होता है ।
ReplyDeleteअत्यन्त सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लिखी हुई आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी!
ReplyDeleteकभी बातों से देह जलाना
ReplyDeleteनज़रों में ही कभी छुपाना
धूप-छाओं, के साए में
बस यह जीवन जीते जाना
अत्यन्त सुंदर, आपकी ये रचना बहुत अच्छी लगी।
राखी के अवसर पर आपको इस छोटे भाई की तरफ से ढेर सारी शुभकामनायें।
ये कविता भी बहुत खूबसूरत है। वैसे आपा, आपको राखी की ढेर सारी बधाइयां। आप यहां तो नहीं, लेकिन आपका आशीर्वाद हमेशा हम लोगों के साथ है, ये यकीन है।
ReplyDeleteAdaji,
ReplyDeleteAaoki rachnaon pe kya tippanee karun? Mujhe apna ek alag shabd kosh
eejaad karna padega...!
http://shamasansmaran.blogspot.com
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Kaash! In janam janam ke chakr se hee mukti mil jaye..!
bahut sunder..kya baat ha!
ReplyDeleteJANAM JANAM KA SATH HAI HAMARA TUMHARA...........YE PANKTIYAN YAAD AA GAYI AAPKI KAVITA PADHKAR..........ACHCHA LIKHA HAI.
ReplyDeleteतेरे हाँथों एक बार फिर
ReplyDeleteमुख में गंगाजल पा जाना
बस ऐसे ही रोते गाते
तुझ संग सातों जनम निभाना
behad khubsurat ehsaas liye sunder rachana.badhai
waah bahut khoob...
ReplyDelete'बस ऐसे ही रोते गाते
ReplyDeleteतुझ संग सातों जनम निभाना'
- रोचक अंदाज में प्रस्तुति दी है.वैसे रोते गाते की जगह हंसते हंसते या नोंक झोंक के साथ निभाना आनंददायक है.
waah !
ReplyDeleteबढ़िया है.
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeletebahut badhiya likha hai aapne.
ReplyDeletebahut hi badhiya.
जीवन द्विपक्षीय है..नि:संदेह
ReplyDeleteहोगा जब इतना लंबा साथ तो सब होगा हँसना हँसाना और रोना धोना भी।
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
विश्व-भ्रातृत्व विजयी हो!
रोते गाते काहे जी, हंसते हंसते!!
ReplyDeleteहंसते हंसते निभाने से,
वैसे रोते गाते की जगह हंसते हंसते या नोंक झोंक के साथ निभाना आनंददायक है.
समीर जी, आशा जी, और हेम जी,
आप भूल रहे हैं मैं सात जनम कि बात कर रही हूँ....सात जनम....बहुत लम्बब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्ब्बा समय होगा.....
अगर सातों जनम सिर्फ मैं हँसती रही न तो बहुत बहुत bore हो जाऊँगी.....
अब रोज़-रोज़ बिरयानी हमसे तो न खाई जावेगी.....कभी कभी खिचडी ओर तीखी चटनी भी चाहिए मुझे.....
हा हा हा हा हा हा
रोते गाते ही सही, अबकी समय मैं सात जनम की बात तो की है |
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा |
purana tel, baaton se deh jalana,
ReplyDeletedi simleys used in this poem are awesome....
..and love to be with you not "saat janm" but "for you, thousand times and over".
blog approval laga liya? "arajak tatvon se bachen ke liye" par mujhse bachna mushkil nahi asambhav hai balikeye....
ReplyDeletehuhahaha... HUHAHAHAHA ....HUHAAHAHAAA
bhai privartan to jaruri hai sat janm
ReplyDeletechahe sanste ho ya rote jara mushkil hai.
bhai privartan to jaruri hai sat janm
ReplyDeletechahe sanste ho ya rote jara mushkil hai.
कभी खुशबू आबशार का आना
ReplyDeleteतो कभी वही तेल पुराना
फिर वही वो आग का गोला
और कभी वही मोती दाना
फिर कभी मेरी देह जलाना
और कभी आँखों में बसाना
wahhhhhhh bahut hi sunder geet
aapke shabdon ka chayan bahut hi sarahneey hai. kamaal ka likhti hain aap.yah kavita jeewan ke dono pakshon ko darshati hai.
ReplyDeletebahut badhiya.