देखिये हम जानता हूँ कि हमरा इम्प्रेसन ओतना ठीक नहीं रह गया है.....दू-चार गो चोरी-चकारी किये रहे हम तब से लोग हमको सक का नज़र से देखते हैं........
तो सोचे कि भाई कुछ गीत-गोविन्द सुन्वावेंगे तो लोग खुस हो जावेंगे.....तो आज बुलाएं हैं दू गो गवैया..... बिस्वास कीजिये सुनियेगा तो दांत तरे उनगरी धर दीजियेगा.......अरे हुज़ूर इ महफ़िल में 'हेमेश रेस्मियाँ' वर्जित है......आज तो आप सुनिए हिंदी ब्लॉग जगत के बहुते रोसन दू गो सितारा को .....
१. श्री शरद तैलंग
२. दिलीप कवठेकर
एतना सुन्दर गीत हम सुनवा रहे हैं कि आप भी याद रखियेगा कि कोई मिली थी एगो 'अदा' हाँ कह दे रहे हैं.....
शरद तैलंग जी के नाम से आप सभी परिचित हैं, जी हाँ शरद जी को हमलोग हिंदी फ़िल्मी संगीत का चलता-फिरता एन्सैक्लोपेडिया कहते हैं, और हम सब इनसे हारते रहे हैं 'आवाज़' के 'ओल्ड इस गोल्ड' प्रतियोगिता में...और विश्वास कीजिये इनसे हार कर मुझे हमेशा ख़ुशी हुई क्यूंकि कुछ न कुछ नया सीखने को मिला...
शरद जी कोटा राजस्थान में रहते हैं और सुगम संगीत गायक,व्यंगकार रंगकर्मी,ग़ज़लकार,कवि,आयोजक, पूर्व कार्यकारिणी सदस्य राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर,संयोजक सप्त शृंगार संस्था के हैं..
इनकी आवाज़ का जादू अब चलने ही वाला है बस आप संभल जाइए....
शरद तैलंग - स्टेज पर
शरद तैलंग - सारंगा तेरी याद में नैन हुए बेचैन
शरद तैलंग - सुहानी रात ढल चुकी
दिलीप कवठेकर
किसी की मुस्कराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार,किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है. बहुत कुछ पाया है इस ज़िंदगी से. संगीत,रंगकर्म,चित्रकारी,फोटोग्राफ़ी में किये अव्यावसायिक प्रयोग और व्यवसाय में वास्तुशास्त्र, इंजिनीयरींग और मॆनेजमेंट के कुछ भुगते ,कुछ आज़माये फ़ंडे. कुछ इहलोक की कुछ परलोक की. कुछ आत्मा की, कुछ परमात्मा की.. कुछ पायें , कुछ लौटायें..
दिलीप कवठेकर - कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे
अब आप सुन लिए हैं सब गितवा...अब बताइयेगा कि हम ठीक बोले कि नहीं. ...तो फिर ज्यादा मत सोचिये न......हमरे गायक लोगन का हौसला बढाइये और सच-सच कह दीजिये कुछ.......बहुत खुस हो जावेंगे दुनो...
Sharad ji aur Dilip ji ke Blogs ka address nimnlikhit hai :
ReplyDeletehttp://sharadkritya.blogspot.com/
http://dilipkawathekar.blogspot.com/
शरद जी और दिलीप जी से इस रूप में मिलवाने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteसच..बहुत अच्छा लगा सुबह सुबह ही इतनी सुरीली तान सुनकर...विशेषकर "सारंगा तेरी याद में "..मुद्दत बाद सुना है यह गाना ...२ दिन से तबियत नासाज थी...आपके ब्लॉग पर आकर सारी तकलीफ हवा हो गयी..बहुत आभार ..!!
ReplyDeleteबधाई !
ReplyDelete_______
_______विनम्र निवेदन : सभी ब्लौगर बन्धु आजशनिवार
को भारतीय समय के अनुसार ठीक 10 बजे ईश्वर की
प्रार्थना में 108 बार स्मरण करें और श्री राज भाटिया के
लिए शीघ्र स्वास्थ्य हेतु मंगल कामना करें..........
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सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी अच्छी सोच को सलाम।
राज तो जैसे सुबह सुबह कोई लाटरी निकल आयी हो शरद जी और दिलीप जी को बधाई और आपका धन्यवाद किये देते हैं
ReplyDeleteजरूर राज भाटिया जी के लिये प्रार्थना करेंगे भगवान उनको चिरायू और अच्छा स्वास्थ्य दे
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ReplyDeletePyari di,
ReplyDeletepehle to ye bato ki aapko 'CHOR' kisne kaha?
logon ko pata nahi hi andhe ko andha nahi kehte...
:)
but on a serious note di,
jo aap kar rahi ho wo kum log hi karte hai, log itne self centric, ego centric hain ki unko apne se hi fursat nahi...
...par aap auron ko bhi padhti ,sunti aur praiser karti hain.
Preciate :)
(gaane ghar jaake sunta hoon..)
proud to be your bhai.Always !!
With Love.
PKP 2.00 (Nostalgic Deja vu !)
haha...
ReplyDeletesocha tha ki kuch computerva seekh loon to aapke comment box (POST BOX) ko hi 'lab' bana loon aur do asfal prayas...
:(
ab dekhta hoon ki link kaam karta hai ya nahi...
PKP 2.00 (Nostalgic Deja vu !)
सुबह-सुबह तबियत हरी हो गयी, इतनी अच्छी आवाज़ सुनकर। आपा तो कमाल हैं।
ReplyDeleteएक दम मस्त मूड बना देने वाली पोस्ट.
ReplyDeleteवाह मज़ा आ गया. किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार..तो मेरा पसंदीदा गीत है. राज साहब के लिये ज़रूर प्रार्थना करेंगे हम सब.
ReplyDeleteold is gold .yah kahawat yu hi nahi .jise sunkar hum kisi aur jahan me kho jaaye ye wo madhur geet hai ,aha kitne mithe hai ye geet .jeene ka sahara ...
ReplyDeleteसुंदर गाया है भई
ReplyDeleteदिलीप जी को तो सुनते हैं उनके ब्लॉग पर अक्सर.........
ReplyDeleteमगर शरद जी का ये गायक वाला रूप पहली बार देखा है...
बहुत प्यारा गाते हैं....
आप दोनों ही गायकों को नमन....
अदा जी का आभार के उन्होंने शरद जी के बारे में भी बताया...
दोनों को सुनकर आनन्द आ गया.आपका आभार.
ReplyDeleteहमरा हौसला बढाने के लिये बहूत बहूत सुक्रिया.
ReplyDeleteकाश हम शरद जी के गीत सुन पाते.दोनों ऒडियो नही चल रहे हैं कितनी देर से.
स्वप्न जी, आपको जन्म दिन की बधाईयां.
अब कहीं जाकर गानें सुन पाया हूं.
ReplyDeleteशरद जी को बधाई दें , इतना मधुर गायन कि कमाल.
आपकी आवाज़ में जो रवानी है, तरलता है, उससे मुरकीयों के समय सुरों को स्मूथ नेगोशियेट करते हैं, इसिलिये गायन बार बार सुनने को मन करता है.
अदाजी,
तुम अगर साथ देने का वादा करों,
हम योंहि मस्त मस्त नगमें लुटाते रहें....
अदा जी
ReplyDeleteआपकी ये अदा भी निराली है । हाँलाकि अभी अभी audacity पर रिकोर्डिंग करना सीख रहा हूँ और वैसे भी मैं मन्ना डे जी के गीत ही गाता हूँ पर उनके गीतों के ट्रेक ही नहीं मिलते इसलिए कोशिश कर रहा था कि देखें मुकेश और रफी के गीतॊं को गा सकता हूँ या नहीं । आपने तो
’बैठा दिया फ़लक पर मुझे खा़क से उठा कर’ या मज़ाक में कहूँ तो ’बैठा दिया पलंग पर मुझे खाट से उठा कर ’ । बहुत बहुत धन्यवाद !