अदाजीअति सुन्दर रचना,आभारहे प्रभू यह तेरापन्थमुम्बई टाईगर
ज़िन्दगी है रूह सेजिस्म एक लिबासगहन दर्शन -- और फिर फूल यादों के खिले पहनूँ खुशबू का लिबास सुवासित है आपकी रचना खुश्बू से. बहुत खूब
ज़िन्दगी है रूह सेजिस्म एक लिबासदूर रहना तुमसेहै मेरा बनवास तेरी ख़ुशी मेरे नगमें दीद की है आस तेरी नज्र क्या करूँ ख़ाली दामन पासफूल यादों के खिले पहनूँ खुशबू लिबासsab ek se badh kar ek isliye saara daalna pada.Bahut khoob.
आज तू मुझमें नहीं , कहाँ हो रहा विश्वास,दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,और कौन किसके पास,यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,तो देख ये चलती फिरती लाश,आज भी कर रही वो,किसी एक आत्मा की तलाश ..अदा जी आपकी यूँ तो हर अदा ही कातिल है ...मगर इस शैली में ..तो खंज़र उफ़ ........क्या कहने
आज तू मुझमें नहीं , कहाँ हो रहा विश्वास,दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,और कौन किसके पास,यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,तो देख ये चलती फिरती लाश,आज भी कर रही वो,किसी एक आत्मा की तलाश ..waah kyaa likhaa hai ada ji aapne.........sunder...ati sunder....:)
choti behar (ya behar jaisa kuch) ya yun kahein kum shabdon main aapne accha likha hai......तेरी ख़ुशी मेरे नगमें दीद की है आस .umr meri kay hai?bus,wqut ka uphaas.
अदा जी,कम शब्दों में बहुत अच्छी रचना, पसंद आई.
खूबसूरत नज़्म....सवेरे इसे पढ़ते पढ़ते मोबाइल पे अलार्म टोन बजी...तेरे सुर और मेरे गीतदोनों मिल कर बनेगी प्रीत...दर्पण के कमेन्ट से लगा के ये गीत ...और ये नज़्म...दोनों छोटी बहर के हैं
कम शब्दों में गूढ बातों को लिखने की अदा कोई 'अदा' से सीखे
अजय कुमार झा said...आज तू मुझमें नहीं , कहाँ हो रहा विश्वास,दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,और कौन किसके पास,यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,तो देख ये चलती फिरती लाश,आज भी कर रही वो,किसी एक आत्मा की तलाश ..अदा जी आपकी यूँ तो हर अदा ही कातिल है ...मगर इस शैली में ..तो खंज़र उफ़ ........क्या कहनेAugust 16, 2009 5:46 PM madhursah said...आज तू मुझमें नहीं , कहाँ हो रहा विश्वास,दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,और कौन किसके पास,यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,तो देख ये चलती फिरती लाश,आज भी कर रही वो,किसी एक आत्मा की तलाश ..waah kyaa likhaa hai ada ji aapne.........sunder...ati sunder....:)aur ye kyaa comedy hai .......?????
अदा जी, बहुत अच्छे भाव ढूंढें, मैं तो बस यही कहूंगा कि : खुश रहना इसकी औषधी क्या मिलेगा होकर उदास?
You write wonderfully. Keep writing.
अदा जी,इतने कम शब्द औत इतनी बड़ी बात बहुत ही सुन्दरकमाल है
बहुत अच्छी रचना...
aurat ho kuch bhi likho mard waah waah karenge hi
waah waah...
kya bakwaas comment hai manu ji ka...bhadda ! aur nikrisht !!
kam shabdon mein gahri baat aap hi keh patin hain.ज़िन्दगी है रूह सेजिस्म एक लिबासदूर रहना तुमसेहै मेरा बनवास तेरी ख़ुशी मेरे नगमें दीद की है आस तेरी नज्र क्या करूँ ख़ाली दामन पासफूल यादों के खिले पहनूँ खुशबू लिबासbahut umda.
तेरी ख़ुशी मेरे नगमें दीद की है आस bahut umda.
सच कहा ये jism इक libaas ही तो है.......... badalta rahta है तन का chola........... लाजवाब लिखा है
sirf ek shabd..........lajawaab.
तेरी नज्र क्या करूँ ख़ाली दामन पासअति सुन्दर रचना.....
अदाजी
ReplyDeleteअति सुन्दर रचना,
आभार
हे प्रभू यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
ज़िन्दगी है रूह से
ReplyDeleteजिस्म एक लिबास
गहन दर्शन --
और फिर
फूल यादों के खिले
पहनूँ खुशबू का लिबास
सुवासित है आपकी रचना खुश्बू से.
बहुत खूब
ज़िन्दगी है रूह से
ReplyDeleteजिस्म एक लिबास
दूर रहना तुमसे
है मेरा बनवास
तेरी ख़ुशी मेरे नगमें
दीद की है आस
तेरी नज्र क्या करूँ
ख़ाली दामन पास
फूल यादों के खिले
पहनूँ खुशबू लिबास
sab ek se badh kar ek isliye saara daalna pada.
Bahut khoob.
आज तू मुझमें नहीं ,
ReplyDeleteकहाँ हो रहा विश्वास,
दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,
और कौन किसके पास,
यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,
तो देख ये चलती फिरती लाश,
आज भी कर रही वो,
किसी एक आत्मा की तलाश ..
अदा जी आपकी यूँ तो हर अदा ही कातिल है ...मगर इस शैली में ..तो खंज़र उफ़ ........क्या कहने
आज तू मुझमें नहीं ,
ReplyDeleteकहाँ हो रहा विश्वास,
दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,
और कौन किसके पास,
यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,
तो देख ये चलती फिरती लाश,
आज भी कर रही वो,
किसी एक आत्मा की तलाश ..
waah kyaa likhaa hai ada ji aapne.........
sunder...
ati sunder....
:)
choti behar (ya behar jaisa kuch) ya yun kahein kum shabdon main aapne accha likha hai...
ReplyDelete...तेरी ख़ुशी मेरे नगमें
दीद की है आस .
umr meri kay hai?
bus,wqut ka uphaas.
अदा जी,
ReplyDeleteकम शब्दों में बहुत अच्छी रचना,
पसंद आई.
खूबसूरत नज़्म....
ReplyDeleteसवेरे इसे पढ़ते पढ़ते मोबाइल पे अलार्म टोन बजी...
तेरे सुर और मेरे गीत
दोनों मिल कर बनेगी प्रीत...
दर्पण के कमेन्ट से लगा के ये गीत ...और ये नज़्म...
दोनों छोटी बहर के हैं
कम शब्दों में गूढ बातों को लिखने की अदा कोई 'अदा' से सीखे
ReplyDeleteअजय कुमार झा said...
ReplyDeleteआज तू मुझमें नहीं ,
कहाँ हो रहा विश्वास,
दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,
और कौन किसके पास,
यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,
तो देख ये चलती फिरती लाश,
आज भी कर रही वो,
किसी एक आत्मा की तलाश ..
अदा जी आपकी यूँ तो हर अदा ही कातिल है ...मगर इस शैली में ..तो खंज़र उफ़ ........क्या कहने
August 16, 2009 5:46 PM
madhursah said...
आज तू मुझमें नहीं ,
कहाँ हो रहा विश्वास,
दुनिया जानती है ,कौन किसके दूर है,
और कौन किसके पास,
यदि आत्मा बगैर कुछ नहीं,
तो देख ये चलती फिरती लाश,
आज भी कर रही वो,
किसी एक आत्मा की तलाश ..
waah kyaa likhaa hai ada ji aapne.........
sunder...
ati sunder....
:)
aur ye kyaa comedy hai .......?????
अदा जी, बहुत अच्छे भाव ढूंढें, मैं तो बस यही कहूंगा कि :
ReplyDeleteखुश रहना इसकी औषधी
क्या मिलेगा होकर उदास?
You write wonderfully. Keep writing.
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteइतने कम शब्द औत इतनी बड़ी बात बहुत ही सुन्दर
कमाल है
बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteaurat ho kuch bhi likho mard waah waah karenge hi
ReplyDeletewaah waah...
ReplyDeletekya bakwaas comment hai manu ji ka...
ReplyDeletebhadda ! aur nikrisht !!
kam shabdon mein gahri baat aap hi keh patin hain.
ReplyDeleteज़िन्दगी है रूह से
जिस्म एक लिबास
दूर रहना तुमसे
है मेरा बनवास
तेरी ख़ुशी मेरे नगमें
दीद की है आस
तेरी नज्र क्या करूँ
ख़ाली दामन पास
फूल यादों के खिले
पहनूँ खुशबू लिबास
bahut umda.
तेरी ख़ुशी मेरे नगमें
ReplyDeleteदीद की है आस
bahut umda.
सच कहा ये jism इक libaas ही तो है.......... badalta rahta है तन का chola........... लाजवाब लिखा है
ReplyDeletesirf ek shabd..........lajawaab.
ReplyDeleteतेरी नज्र क्या करूँ
ReplyDeleteख़ाली दामन पास
अति सुन्दर रचना.....