Sunday, August 2, 2009

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ निभा सकते नही..


आज वॉशिंगटन पोस्ट पर एक खबर पढ़ी के अब लन्दन के बकिंघम पैलस के आगे खड़े होंगे हमारे सिख भाई, वो खुश हैं क्योंकि उन्हें पगड़ी पहनने की आज्ञा मिल गयी है, लेकिन यही पगड़ी हिन्दुस्तान की पहचान है...जब भी यह पगड़ी नज़र आएगी हिन्दुस्तान नज़र आएगा..
चाहे यह पगड़ी किसी indian origin ब्रितानिया के सर पर ही क्यों न हो, आज अचानक ब्रिटिश सरकार इतनी कृपालु कैसे हो गयी ? क्या इसके पीछे कोई कूटनीति काम कर रही है, क्योंकि जब भारत 'सोने की चिडिया' थी तब इन्होने भारत को कहीं का नहीं छोड़ा था और आज जब भारत फिर से एक सबल राष्ट्र बन रहा है ग्रेट ब्रिटेन कहीं दुनिया को ये तो नहीं बताना चाहता है कि चाहे तुम कितने भी सक्षम हो जाओ, खड़े रहोगे हमारे ही दरवाज़े पर रखवाली करते हुए ...
रानी की और खजाने कि रक्षा करता हुआ हिंदुस्तान कैसा नज़र आएगा यह मेरे लिए कल्पना से परे हैं...
शायद यह ख़ुशी की बात हो लेकिन मेरा दीमाग तो उल्टा है न, मुझे झट से याद आ गयी हमारी गुलामी, मुझे याद आया हमारा कोहिनूर हीरा, मुझे याद आई आजादी कि जंग, मुझे याद आई हमारी आज़ादी, जिसे बहुत मुश्किल से हमारे पुरखों ने पाया था, मुझे याद आई अंग्रेजों कि दोगली नीति divide and rule जिसने आज तक भारत को पीस कर रखा हुआ है....बटवारे का दर्द मैंने नहीं भुगता है लेकिन आज भी लोग उससे उबर नहीं पाए हैं.....हमारी संस्कृति, हमारे खजाने, हमारी धरोहर सब तो छीन कर ले गए है वो और आज एक बार फिर हिन्दुस्तान खड़ा है. हमारे ही लुटेरों की हिफजात करने के लिए, उसी कोहोनूर हीरे की रखवाली करने के लिए जो सिर्फ और सिर्फ हमारा है, और उसपर से क़यामत ये कि हम खुश हैं, क्योंकि हमें एक बार फिर महारानी के दरबार में सलामी ठोकने का अवसर मिला है, इन दो सिख भाइयों को देख कर क्या लगता नहीं है कि हम आज भी गुलाम हैं महारानी एलिजाबेथ द्वीतीय के ?... क्या नहीं लगता है कि भारत एक बार फिर खड़ा है अपने घुटनों पर बकिंघम पैलस के सामने गुलामी की जंजीर पहन कर ?.....फर्क सिर्फ इतना है जजीरें नज़र नहीं आ रही हैं.....

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अब एगो दुसर बात :

बात इ है की कल्हे हम एक ठो चोरी किये रहे और उसका से बहुते फायदा रहा हमको....
१. लोगन को सुभान अल्लाह वाला कविता पढने को मिला
२. हमरा ब्लॉग में लोग टिपियाने भी आये
३. और बहुते लोगन का कलेजा में ठंढक चाहुपा है
४. लोगन का इ सिकाइत कि हम धड़ाधड़ पोस्टिंग करते हैं उ भी दूर हो गया
५. इससे हमको एक नया रोजगार मिल गया है
तो हम इ सोच रहे हैं कि रात को निकलेंगे हम खोजारी में और जिन्खा भी ब्लाग पर सही माल मिलेगा चोरी करेंगे और छापेंगे अपना ब्लॉग पर, भाई फोटो भी साथ में लगावेंगे, औ पूरा जानकारी मिलेगा छापेंगे .....
अगर किन्ही भाई-बहिन को पिरोब्लेम है तो भाई कह दीजिये, बाद में कौनो प्रकार का झिकझिक नहीं चाही हमको...
और इ हो जान लीजिये किसी का भी हो सकता है औ कुछ भी हो सकता है.... बस शामिष नहीं मिलगा काहे की हम निरामिष हैं...
अब बता दीजियेगा भाई-बहिन लोग इ ठीक बात हैं कि नहीं... जिनको मंजूर नहीं होगा तो हम उनका ब्लोग्वा के तरफ ऐसा-वैसा नज़र से एकदम नहीं देखेंगे इ हमरा वादा रहा......पक्का.........गंगा जी का जल हाथ में लेकर कीरिया खा रहे हैं.....!!!!!

17 comments:

  1. फर्क सिर्फ इतना है जजीरें नज़र नहीं आ रही हैं.....

    सही अभिव्यक्ति। किसी भी बात को अलग नजरिये से देखने का अंदाज पसंद आया मंजूषा बहन।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. kaabhi to apne blog pe bhi aaiye...
    aapkaa hi maal hai le jaaiye..
    :)
    apne naseeb kahaan darpan jaise...
    :(

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  3. "उसपर से क़यामत ये कि हम खुश हैं"
    यही तो बात है कभी कभी हम ये जान ही नही पाते कि किस बात पर खुश होना है और किस बात पर नाखुश.
    "फर्क सिर्फ इतना है जजीरें नज़र नहीं आ रही हैं....."
    --- या शायद उस जंजीर से मजबूत जंजीरे है.

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  4. दोस्ती का जज़्बा सलामत रहे।
    मित्रता दिवस पर शुभकामनाएँ।

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  5. bahut sahi kaha aapne..
    kash har koi ise isi tarah dekh paaye aur samjh paaye..

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  6. वाह मन्जुशा जी ये नया अंदाज़ पसंद आया शुभकामनायें बधाई

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  7. achha laga..................
    badhaai !

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  8. badhiya andaaz

    jis sundar lachile bhasha ka aapne pryog kiya hai..gudgudati hai..

    dhanywaad..

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  9. Happy Friendship day.....!! !!!!

    पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!

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  10. आपा आपने बिल्कुल सही कहा। आज भी हमारे मन से गुलामी वाली मानसिकता समाप्त नहीं हुई है। हम गुलाम थे और आज भी हैं। हां, आनेवाली पीढ़ी इस मानसिकता से निकल सकेगी या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।
    रांचीहल्ला

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  11. अपनी आज़ादी को हम ज़रूर निभा सकते हैं , गर अंतर्मुख हो अपने गिरेबाँ मे झाँके ...हमारी कुटिया , टूटी फूटी , जैसी भी हो ,इसमे कोई गैर क्यों दस्त अंदाज़ हो ? अँगरेज़ अपनी 'divide & rule' की धरोहर पीछे छोड़ गए..अपने क़ानून पीछे छोड़ गए...इस देश की जनता आवाज़ क्यों नही उठाती ? जब जनता कहती हूँ,तो उसमे, हम मे से हरेक शामिल है...! क्यों हम किसी और का इंतज़ार करते हैं? अपने आपसे क्यों शुरुआत नही करते?ज़रूरी है,की,इस मानसिकता से आज़ादी हासिल हो...एक नए जंग का आगाज़ हो...
    छोटी , छोटी बातें करके हम आज़ादी बचा सकते हैं ...एक सुझाव जो अक्सर देती हूँ , इस के बारे मे 'धरोहर' ब्लॉग पे भी अपना कलेजा उँडेल के लिख रही हूँ ...कि ,हम हमारे देशके कारीगरों का बुना कपडा ही इस्तेमाल करें ..नाकि , chinese..हमारी बुनाई की बेहतरीन परम्परा नष्ट हो रही है ..ख़रीदार अपनी ये पहचान भूल गए हैं ...brand बस याद रहता है ..

    http://dharohar-thelightbyalonelypath.blogspot.com

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://lalitlekh.blogspot.com

    http://kavitasbyshama.blogspot.com

    http://shama-kahanee.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

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  12. BILKUL SAHI KAHA AAPNE.........AADAT PAD GAYI HAI GULAMI KI PHIR CHAHE KAISE BHI HO...........BAS ROOP BADLA HAI............AAZAD TO KABHI HUYE HI NHI APNI SOCH SE JO UNKI GULAAM BANI HUYI HAI AAJ BHI.

    BAHUT HI BADHIYA LEKH LIKHA HAI.

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  13. aazadi matlab....

    ...coca cola ?

    ....Outsoursinng.

    ....Generation Y?

    .....Recession?

    ...Rakhi ka savyamvar?
    ...SAch ka saamna?

    .... delay Monsoon?
    Global warming?
    ...Salman-Katrina?


    AB NAYE FALSAFE GADHNE KI ZARRROT HAI !!!

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  14. lekh kaafi pasand aaya........ pae sabse zyada mazaa to bhojpuri padh ke aaya......

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  15. अब ये तो पता नहीं कि मेरे ब्लॉग पर आपके मतलब का कुछ है या नहीं लेकिन अगर कुछ पसन्द आ जाए तो बस खबर भिजवा दीजिएगा...बन्दा खुद अपने कंधे पर लाद कर..आपकी ढ्योढी पहुँचा देगा ...वो दरअसल क्या है कि मेरी कहानियाँ कुछ ज़्यादा ही लम्बी...हैवीवेट टाईप होती हैँ ना

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  16. namaskaar adaji aap ne vo newz suna kar yaisa lagta hai jaise aap ne mujhe fir se partantr bharat me dhkel diya ho partantrta ke dard ko mahsush kar raha hun ,,,,
    raha aap ke blog se poste uthaane ka to humto bhagwaan se mana rahe hai ki aap ko hamare blog par bhi kuchh chori layak mile
    hum to chori hone ke liye prartha bhi suru kardiye hai ki kab e subh muhurat aaye
    haha hahah hahah
    saadar
    praveen pathik
    9971969084

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  17. This comment has been removed by the author.

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