Thursday, March 17, 2011

धर्मराज....



यहाँ....!
कुछ उथल-पुथल है,
कुछ ऊबड़-खाबड़,
कुछ झटके हैं,
और कुछ हिचकोले,
कभी शान्ति,
तो कभी अपनापन,
कभी प्रेम,
और 
कभी रीता जीवन,
समझौते की
चाल चलाते,
असंख्य धर्मराज,
हर दिन नया शहर
बसाते हैं,
पुराने बासिंदों की
आत्मीयता
को जी भर कर 
भुनाते हैं,    
निज स्वार्थ की
रक्षा हेतू, 
किसी को दाँव
पर लगाते हैं, 
ये अलग बात
इस मर्त्यलोक में, 
उनके साथी, 
बस कुत्ते ही 
रह जाते हैं... 

जबसे तेरे नैना मेरे नैनों से लागे रे...आवाज़ 'अदा' की...


14 comments:

  1. निज स्वार्थ की
    रक्षा हेतू,
    किसी को दाँव
    पर लगाते हैं,
    ये अलग बात
    इस मर्त्यलोक में,
    उनके साथी,
    बस कुत्ते ही
    रह जाते हैं...
    सच कहा स्वार्थी आदमी के पास अन्त मे कोई नही रहता। गीत भी सुन्दर मेरा दिल तो तुम्हारे लिये दीवाना हुया। होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. आपकी लिखी खूबसूरत रचनाओं में से एक ...
    पौराणिक पात्रों पर आपकी कलम हमेशा ही अपना बेहतरीन देती है ..

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  3. बहुत खूब कटाक्ष है ...
    गाना तो मेरा प्रिय है और आपकी आवाज़ भी....
    वैसे आपके गाये हुए सारे गाने, कहाँ मिल जायेंगे मुझे ???

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  4. निज स्वार्थ की
    रक्षा हेतू,
    किसी को दाँव
    पर लगाते हैं,
    ये अलग बात
    इस मर्त्यलोक में,
    उनके साथी,
    बस कुत्ते ही
    रह जाते हैं...

    Sahi kahaa aapne... is martya lok me unke saathi bas kutte hi rah jaate hain...
    bahut badhiyaa!!

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  5. एक कुत्ते ने ही आखिर तक साथ दिया थ धर्मराज का ...अच्छी प्रस्तुति

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  6. कविता के गूढ़ अर्थ समझ रहा हूँ.
    गाना आपकी आवाज़ में हमेशा की तरह मन को छूने वाला.गाना मुझे भी सिखाइए वरना आपसे जलन हो जायेगी,अदा जी.

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  7. बहुत सटीक रचना...बहुत सुन्दर

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  8. निज स्वार्थ की
    रक्षा हेतू,
    किसी को दाँव
    पर लगाते हैं,
    .....................
    बहुत सटीक लगी ये पंक्तिया आज के धर्मराजों के लिए..

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  9. धर्म को निष्ठा का साथ तो चाहिये।

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  10. इतना समझ पा रहे हैं कि कुछ गहरी बातें कही हैं अपनी। आजकल की दुजिया की तस्वीर खींच दी है आँखों के सामने। धर्मराज\धर्मराजों की प्रतिष्ठा सलामत रहनी चाहिये, दूसरों का काम ही रहा है दाँव पर लगना। कुत्ते जरूर वफ़ादारी के पर्याय रहे हैं और अपने व्यक्तिगत अनुभव दुखद होने के बावजूद इनकी स्वामिभक्ति के हम भी कायल हैं। छोड़िये, हटाईये, ये दुनिया हमेशा से ऐसी ही रही है:)
    गाने के बारे में क्या कहा जाये, सब तो पहले से ही तारीफ़ कर चुके हैं। प्रशंसकों की लाईन में पीछे ही सही, हमारी भी अटैंडेस मार्क कर लीजिये।
    आपको व आपके परिवार को होली की ढेर सी शुभकामनायें।

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  11. निज स्वार्थ की
    रक्षा हेतू,
    किसी को दाँव
    पर लगाते हैं,
    ये अलग बात
    इस मर्त्यलोक में,
    उनके साथी,
    बस कुत्ते ही
    रह जाते हैं...

    tikhe vyanga par ekdum sachhi.........

    pronam.

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  12. प्रतीकात्मक रूप से बड़ी बात कह दी आपने !

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  13. you can read shayari sms jokes
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