मैं ठोकर खाके गिर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
गिर कर उठ नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
तुम हँसते हो परे होकर, किनारे पर खड़े होकर
मैं रोकर हँस नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
अभी जीना हुआ मुश्किल, घायल है बड़ा ये दिल
मैं टूटूँ और बिखर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
खिंजां का ये मंज़र है, कभी बादल घना-घन है
मैं छीटों में ही घुल जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
कश्ती की बात रहने दे , समन्दर भी डुबो दे तू
किनारे तैर न पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
गिरी है गाज हमपर अब, कभी बिजली डराती है
मैं साए से लिपट जाऊँ , ऐसा हो नहीं सकता
सभी सपने कुम्हलाये, तमन्ना रूठे बैठी है
मैं घुटनों पर ही आ जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
तू मेरा हैं मैं जानू, ये क़ायनात तेरी है
मैं तेरा हो नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
मैं बिना वाह वाह किये चला जाऊ..
ReplyDeleteऐसा हो नहीं सकता
मैं हर रोज इस ब्लॉग पर न आऊं
ऐसा हो नहीं सकता...
अति सुंदर आपके वीडियो को "अपना ब्लॉग" में शामिल कर लिया गया है, यदि आपके अन्य वीडियो भी हैं तो लिंक दीजिए सभी को शामिल कर लिया जायेगा
ReplyDeleteअदा जी, मेरी नज़रों में आप की बेहतीन रचना.
ReplyDeleteबेहद आशावादी.
होना भी चाहिए
सलाम.
कृपया बेहतरीन पढ़ें.
ReplyDeleteWaah.. fir vaisa hi mazedaar..
ReplyDeleteजितना सुन्दर लिखा है, उतना ही सुन्दर गाया है। आनन्द आ गया।
ReplyDeleteबेहतरीन पेशकश!
ReplyDeleteयही हौसला होना चाहिए ...अच्छी पेशकश
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मधुर स्वर है, ग़ज़ल भी खूबसूरत है,
ReplyDeleteमैं इसको सुन नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता!!
nice lines ,nice presentation and of course nice voice quality,EXCELLENT.
ReplyDeleteashutosh ne sahi kaha...........ham bhi ab aisee koshish karenge..:)
ReplyDeleteखूबसूरत ख़याल और दमदार कहन| बधाई अदा जी|
ReplyDeleteaapne bahut achha likha h aur utna achha swar bhi diya......
ReplyDeleteयही वह वीडियो है जिसे देखकर इस ब्लॉग के, ब्लॉगस्वामिनी के, उसके हौंसले के, उसकी आवाज के, उसके दमखम के, उसके भरोसे के, उसके विश्वास(etc, etc.) के प्रशंसक बने थे:)
ReplyDeleteपहले भी एक बार कहा था, जिसने इस कविता को लिखा और गाया है, अपनी नजर में उसकी पहचान ’फ़ीनिक्स’ से कम नहीं है। इसीलिये कभी कभी आपके ब्लॉग पर उदास रचनायें देखकर चैक करना पडता है कि ये अदा जी का व्ब्लॉग ही है न? वैसी पोस्ट देखने के बाद हर बार यह वीडियो देखता हूँ और बेफ़िक्र हो जाता हूँ। यकीन पुख्ता रहता है अपना, ’फ़ीनिक्स’ फ़िर पंख झाड़कर उठ खड़ा होगा और हमेशा ऐसा पाया भी है।
फ़िर से शेयर करने के लिये शुक्रिया।
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ReplyDeleteइतने अच्छे शब्द नहीं दे पाऊँगा, लेकिन कहना वही है। :)
शानदार।
आप कविता लिखे, और मैं न पढूं, ऐसा हो नहीं सकता :)
ReplyDeleteमैं ठोकर खाके गिर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
ReplyDeleteगिर कर उठ नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
ऐसा होना भी नहीं चाहिए. बढ़िया है.
मैं ठोकर खाके गिर जाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
ReplyDeleteगिर कर उठ नहीं पाऊँ, ऐसा हो नहीं सकता
main to aage bhi ise gaate huye sun chuki hoon ,iske bhav behad sundar hai .
इस हौसले के कद्रदान हम भी हैं !
ReplyDeleteगिर कर उठ नहीं पाऊं , ऐसा हो नहीं सकता ...
ReplyDeleteअनगिनत बार सुना है ...हर बार नया ही लगता है ..
हौसला यूँ ही बना रहे !
और दूसरों का हौसला भी बनाये रखें !
देर से आया पर आ के निहाल हो गया. आपके आवाज़ में आपकी ही रचना मैंने पहली बार सूनी, वो भी इतनी दमदार. :)
ReplyDeleteआप गाएं और हम ना सुनें, ऐसा हो नहीं सकता :)
ReplyDeleteबडी लगन से गाए गीत के लिए बधाई॥