सचमुच !!
मेरे मन के आँगन में
उसका इक ख़त आया है,
जाने कैसा है वो
सच है या साया है,
लिखा है ..
तुम्हारी मुस्कुराहट
ग़ज़ल बन कर
सामने फैले कागजों में
पसर जाती है,
तुम्हारा अंदाज़
मेरे जीने का सबब बन जाता है,
मैं तुमसे कुछ नहीं मांगता,
बस मोहब्बत करने की
इजाज़त दे दो,
ज़िन्दगी की दीवारों
से टकरा कर
मैं बार-बार बिखर जाता हूँ,
दरक रहे हैं
हकीक़त के महल
जाने कैसी दलदल में,
सारी शोखी उदास शामों
में ढल कर
अंधेरों में डूब चुकी,
मैं उजालों से अपने लिए
लड़ता हूँ,
बस इक ज़रा तुम
मेरा साथ दे दो ना,
मैं ख़ुशी से जी जाऊँगा
अपनी अधूरी सी ये ज़िन्दगी,
कम से कम मुझसे
ज़रा सी तुम
नफ़रत तो कर लो....
कुछ मांगता भी नहीं
ReplyDeleteऔर इजाजत भी दे दो ...
जरा मेरा साथ दे दो ...
जरा सी नफरत भी दे दो ...
न न करते कितना माँगा है ...चतुर प्राणी !:)
बहूSSSत नाइंसाफी है!
ReplyDeleteइन ज़ालिमों के ज़ुल्म का शिकवा करें कहाँ
मांगा ज़रा सा साथ था वो छोड गये जहाँ ||
प्रश्न हो या उत्तर, बस संवाद बना रहे।
ReplyDeleteमुहब्बत या नफ़रत कुछ भी चलेगा ! बहुत अच्छी लगी आपकी रचना !
ReplyDeleteवाह!!! क्या बात है...
ReplyDeleteवाणी जी का कमेन्ट बहुत witty और मज़ेदार है.मैं उनके कमेन्ट से सहमत हूँ.
ReplyDeleteAs usual,song is wonderful in your sweet voice.
बढ़िया रचना!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
Mere liye ek dua karen....ki kisi din aap jaisa sashakt likh paun!
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteनफरत क्या माँगी सब कुछ मांग लिया.
सलाम.
दरक रहे हैं
ReplyDeleteहकीक़त के महल
जाने कैसी दलदल में,
सारी शोखी उदास शामों
में ढल कर
अंधेरों में डूब चुकी,
अच्छी लगी आपकी रचना
खत की क़ता जी का जंजाल बन गई :(
ReplyDeleteबुद्धू समझ रहा है क्या? सब कुछ तो मांग लिया और कहता है कि कुछ नहीं मांगता।
ReplyDeleteफ़ाड़ फ़ेंकिये ऐसे बंदे का खत, हां नहीं तो:))
आप गाये जायें बस्स, खुशियों से भरे ये तराने, कितने सारे लोग हैं जो इतने मनोयोग से सुनते हैं।
सुकरिया।
बहुत अच्छी लगी आपकी रचना !
ReplyDeleteGood one dear!! Very emotional
ReplyDeleteRegards,
Dimple