सावधान ! हे रघुवंश
वो शब्द एक न तोलेगी
मूक बधिर नहीं,कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
कैकेयी ने दो वरदान लिए
श्री दशरथ ने फिर प्राण दिए
रघुबर आज्ञा शिरोधार्य कर
वन की ओर प्रस्थान किये
भ्रातृप्रेम की प्रचंड ऊष्मा
फिर लखन ह्रदय में डोल गई
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
रघुकुल की यही रीत बनाई
भार्या से न कभी वचन निभाई
पितृभक्ति है सर्वोपरि
फिर पूजते प्रजा और भाई
पत्नी का जीवन क्या होगा
ये सोच कभी न गुजरेगी
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
चौदह बरस तक बाट जोहाया
एक पत्र भी नहीं पठाया
नवयौवन की दहलीज़ फांद कर
अधेड़ावस्था में जीवन आया
इतनी रातें ? कितने आँसू ?
की कीमत क्या अयोध्या देगी ?
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
हाथ जोड़ कर विनती करूँ मैं
सातों जनम मुझे ही अपनाना
परन्तु अगले जनम में लक्ष्मण
राम के भाई नहीं बन जाना
एक जनम जो पीड़ा झेली
अगले जनम न झेलेगी
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
वो शब्द एक न तोलेगी
मूक बधिर नहीं,कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
कैकेयी ने दो वरदान लिए
श्री दशरथ ने फिर प्राण दिए
रघुबर आज्ञा शिरोधार्य कर
वन की ओर प्रस्थान किये
भ्रातृप्रेम की प्रचंड ऊष्मा
फिर लखन ह्रदय में डोल गई
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
रघुकुल की यही रीत बनाई
भार्या से न कभी वचन निभाई
पितृभक्ति है सर्वोपरि
फिर पूजते प्रजा और भाई
पत्नी का जीवन क्या होगा
ये सोच कभी न गुजरेगी
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
चौदह बरस तक बाट जोहाया
एक पत्र भी नहीं पठाया
नवयौवन की दहलीज़ फांद कर
अधेड़ावस्था में जीवन आया
इतनी रातें ? कितने आँसू ?
की कीमत क्या अयोध्या देगी ?
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
हाथ जोड़ कर विनती करूँ मैं
सातों जनम मुझे ही अपनाना
परन्तु अगले जनम में लक्ष्मण
राम के भाई नहीं बन जाना
एक जनम जो पीड़ा झेली
अगले जनम न झेलेगी
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
गीत तो आप सुन चुके हैं लेकिन फिर सुन लीजिये...
चंदा ओ चंदा....
आवाज़ 'अदा'
|
क्या बात है?
ReplyDeleteआज उर्मिला बोलेगी
वाह वाह
इतनी तीक्ष्णता से भरी भावमयी कविता पहले नहीं पढ़ी। गीत सुन ही नहीं सका तब।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना .. आज उर्मिला बोलेगी .. सच में उर्मिला का दर्द अक्सर मैं सोचा करती थी कि उस बेचारी की पीड़ा किसी ने नहीं देखी... सीता पर बहुत कुछ लिखा गया .. पर उर्मिला जो १४ बरस पति से दूर रह उनकी ज्योत जलाती रही... आज खुसी हुवी .. आपका लिखा देख .. सादर ..
ReplyDeleteकल चर्चामंच पर आपकी रचना होगी... आभार
गजब!!
ReplyDeleteरघुकुल की यही रीत बनाई
ReplyDeleteभार्या से न कभी वचन निभाई
बहुत भावपूर्ण कविता... बहुत ही अच्छी लगी...अब तो उर्मिला को बोलना ही होगा...
बहुत भावमयी प्रस्तुति ...
ReplyDeleteसीता की व्यथा तो सबने कही , उर्मिला का दर्द किसी ने जाना ...
ReplyDeleteमगर उसके दर्द को आपने शब्द दिए ...
वाकई कालजयी रचना है ये ...
आभार ...
आपका गाया ये गीत तो मेरे पास है , जब मन करता है सुन लेती हूँ!
सच कहा …………आखिर कब तक और क्यों झेले? बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteURMILA BOLI ........ KOI BAT NAHI .........KAHIN
ReplyDelete........ LAXMAN........ TAU NA KHA JAYEN........
ANEK BHALO LAGE CHHE....
PRONAM.
इंतज़ार है उर्मिला\ओं के बोलने का, और यह आशा तथा कामना भी कि जब वे बोलने लगेंगी तो देश, दुनिया, समाज और परिवार अब से ज्यादा सुखी होंगे।
ReplyDelete’चंदा ओ चंदा’ आपकी आवाज में बहुत शानदार।
मयंक की चित्रकारी देखे बहुत दिन हो गये, चैसे आशा है कि प्रैक्टिस तो कर ही रहा होगा।
उर्मिला के दर्द को समझने वाले बिरले ही मिले. आपने समझा, आपको साधुवाद.
ReplyDeleteआपके गाने का तो मैं फैन हूँ ही ,अच्छा,बहुत अच्छा.
हाथ जोड़ कर विनती करूँ मैं
ReplyDeleteसातों जनम मुझे ही अपनाना
परन्तु अगले जनम में लक्ष्मण
राम के भाई नहीं बन जाना
एक जनम जो पीड़ा झेली
अगले जनम न झेलेगी
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी
बहुत सुन्दर. उर्मिला की व्यथा बहुत स्पष्ट होकर सामने आई है. बधाई.
उर्मिला बोलेगी तो लक्षमण भी सुनने को तैयार है... ये और बात है कि उसकी बात न माने :)
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण और संवेदनशील अभिव्यक्ति ! सच उर्मिला की व्यथा और बलिदान अनसुना, अनचीन्हा और अनगाया ही रह गया ! आपने उसकी पीड़ा को शब्द देकर उसके प्रति जो न्याय किया है उसके लिये बधाई एवं आभार !
ReplyDeletebole bina kaam nahi chalta aur na hi kisi ko samajh hi aati hai. bhagwaan ne bolne ke liye hi jubaan di hai jise aur kisi ka dil dukhane me nahi par apne jiwan ko bachane ke liye bolna hi chahiye.
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण और संवेदनशील अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
ReplyDeleteएक जनम जो पीड़ा झेली
ReplyDeleteअगले जनम न झेलेगी
मूक बधिर नहीं, कुलवधू है
आज उर्मिला बोलेगी |
......................
आज कल उर्मिला ने बोलना शुरू कर दिया है ..माफ़ करें कभी कभी मर्यादा की लकीर से आगे जा कर..
उर्मिला की पीड़ा को बहुत सुन्दरता से उकेरा आप ने..
bhaut hi khubsurat andaz bahut sunder dhung se pesh ki gyai kavatia bahut accha lga pad kar
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