काव्य मंजूषा
Wednesday, July 14, 2010
डरते हो क्या मुझसे ??
पता नहीं ये मेरा दिल है
या कोई सच
जो
मुझे कुछ बता रहा है
एक पुल नाज़ुक से दिल का
बेरहमी से जला कर आई हूँ
तुम्हारे पास...
मगर यहाँ कुछ पराये
से साए क्यूँ नज़र आते हैं
जिन्हें तुम
अपना नहीं कहते हो....
किससे डरते हो तुम,
इनसे या मुझसे ???
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