Wednesday, July 7, 2010

नींद ...

एक वो  !!
रेशमी चादर में लिपट
गुदगुदे गद्दे पे पसर
अनगिनत तकियों में दुबक
करवट बदलते रहे 
 

और ये !!
फुटपाथ के पत्थर से लिपट 
धूल-गरदे में लिथड़ 
केंहुनी को गाव बना
ठाठ से सोते रहे


20 comments:

  1. बिस्तर-नींद का बंटवारा
    खेल रब्ब का है न्यारा


    अच्छी प्रतीकात्मक रचना के लिए बधाई !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  2. कही "ये" से "वो" बन कर नींद ढो रहे हैं .....
    तो कहीं "वो" बनने के बाद अपना "ये" खो रहे हैं

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  3. अर्चना जी ने बहुत सुंदर कमेन्ट किया है.
    प्रतिदिन और प्रत्येक पोस्ट देखता हूँ मगर हाल कुछ ऐसा है कि
    "हर रोज इरादे बांधता हूँ हर हाल मैं उनसे कह दूंगा
    कमबख्त जुबां खुलती ही नहीं जब सामने क़ातिल आ जाये"

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  5. sundar rachana.............bhavnaatmak kavita .......likhte rahiye

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  6. चित्र गा रहे हैं, कविता उन्हे चित्रित कर रही है। वाह।

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  7. रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं,
    अपना खुदा है रखवाला,
    अब तक उसी ने है पाला...

    अपनी तो ज़िंदगी कटती है फुटपाथ पे,
    ऊंचे ऊंचे ये महल अपने हैं किस काम के,
    हमको तो मां बाप के जैसी लगती है सड़क,
    कोई भी अपना नहीं, रिश्ते हैं बस नाम के,
    अपने जो साथ है, ये अंधेरी रात है...
    अपना नहीं है उजाला,
    अब तक उसी ने है पाला,

    रहने को घर नहीं...

    जय हिंद...

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  8. रहने को घर नहीं, सोने को बिस्तर नहीं,
    अपना खुदा है रखवाला,
    अब तक उसी ने है पाला...

    अपनी तो ज़िंदगी कटती है फुटपाथ पे,
    ऊंचे ऊंचे ये महल अपने हैं किस काम के,
    हमको तो मां बाप के जैसी लगती है सड़क,
    कोई भी अपना नहीं, रिश्ते हैं बस नाम के,
    अपने जो साथ है, ये अंधेरी रात है...
    अपना नहीं है उजाला,
    अब तक उसी ने है पाला,

    रहने को घर नहीं...

    जय हिंद...

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  9. नींद तो परिश्रम की दासी है, जिसने भी उसे श्रम के पसीने अर्पण किये वो उसके पास चली आयी। बढिया चित्रात्‍मक तुलना।

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  10. mehnat kash logo ki nind aisee hi hoti hai........bekhabr...:)

    achchhi rachna!

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  11. Bahut hi badiya concept!!
    I just loved it... Plus it is so real...
    It is touchy and I'm sure people will like it!

    Regards,
    Dimple

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  12. तस्वीर और शब्द एक दूसरे में इस कदर गुंथे हुए हैं कि जैसे नज़्म रूह हो और तस्वीरें जिस्म...! सुन्दर रचना के लिए आभार

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  13. नींद का ताल्लुक बिस्तर से नहीं मन से है .सत्य चित्रण.

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  14. निश्छल व्यक्ति श्रम से थक हार कर कही भी सो सकता है ...जबकि कोई रेशमी चद्दर में लिपटे भी करवटे बदलता है ...

    मुझे ही आजकल इतनी नींद आने लगी है ..जल्दी उठकर पोस्ट पढना , कमेन्ट करना सब बंद ...:):)

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  15. god bless you............
    .........................
    .........................

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  16. गरीबी और अमीरी की नींद का फर्क रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया है...बढ़िया रचना भाव . फोटो भी तुलना की द्रष्टि से बढ़िया लगी...

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  17. और ये !!
    फुटपाथ के पत्थर से लिपट
    धूल-गरदे में लिथड़
    केंहुनी को गाव बना
    ठाठ से सोते रहे
    samajik asamanta ko bahut sundarta se darsha gayi aap ,kahi malai to kahi bheekh bhi haath nahi aai .

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  18. सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर,
    मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।

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  19. सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर,
    मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।

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