कनाडियन ट्यूलिप फेस्टिवल की बात ही निराली है...कनाडा की राजधानी ओट्टावा में ट्यूलिप फेस्टिवल पिछले ५८ वर्षों से मनाया जा रहा है...ट्यूलिप फूल को अंतर्राष्ट्रीय मित्रता का प्रतीक माना जाता है तथा ट्यूलिप फेस्टिवल को बसंत के आगमन की ख़ुशी में मनाया जाता है...ओट्टावा शहर में ट्यूलिप फेस्टिवल की धूम-धाम देखते ही बनती है...इस समय बहुत सारे स्थानीय कलाकारों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का भरपूर मौका मिलता है...इस त्यौहार को मनाने के पीछे शांति और प्रेम की अनोखी कहानी जुडी हुई है...
दूसरे विश्वमहायुद्ध के दौरान डच राज परिवार को कनाडा ने प्रश्रय दिया था...यहीं नेदरलैंड की राजकुमारी मार्गरेट का जन्म कनाडियन सिविक हॉस्पिटल में हुआ था...आज भी हॉस्पिटल का वो कमरा नेदरलैंड की भूमि माना जाता है और वहां नेदरलैंड का ही झंडा लहराता है....इस अपनत्व को आज तक नेदरलैंड भूल नहीं पाया है और यह दोस्ती आज भी कायम है.....
१९४५ में अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए डच राज परिवार ने ओट्टावा को १,००००० ट्यूलिप बल्ब भेजे...यह उपहार था कनाडा वासियों के लिए हालैंड राज परिवार की तरफ से जिसे द्वितीय विश्वमहायुद्ध के समय, कनाडा की भूमि में सुरक्षा मिली थी ....यह प्रेम का उपहार कनाडा की जनता को बहुत -बहुत पसंद आया ...एक लाख फूलों ने ओट्टावा शहर की खूबसूरती में चार चाँद लगा दिए थे... लेकिन कृतज्ञता और प्रेम का यह सम्बन्ध वहीं ख़त्म नहीं हुआ ...तब से लेकर आज तक यह सिलसिला चलता आ रहा है लगातार ...
डच राजकुमारी मार्गरेट गोद में पहली तैयारी ट्यूलिप फेस्टिवल की
ओट्टावा ट्यूलिप फेस्टिवल दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप फेस्टिवल माना जाता है ...अब हर साल हालैंड से ३० लाख ट्यूलिप बल्ब आते हैं...पूरा शहर देखते बनता है....इस प्रेम और शान्ति के त्यौहार ने अपना रूप और भी प्रेममय और विस्तृत बना लिया है ...लाखों सैलानी दुनिया के कोने कोने से हर साल आते हैं...अप्रैल के महीने में यह त्यौहार १८ दिनों तक चलता है....देश-विदेश के राजनीतिज्ञ यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए, प्रेम और शान्ति का पैगाम खुल कर देते हैं....जगह-जगह पर अनेक देशों के पविलियन बने होते हैं...वो अपनी संस्कृति, भोजन और कला को सैलानियों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं... जगह जगह पर स्थानीय कलाकारों के गीत संगीत का कर्यक्रम होता रहता है....सबकुछ फ्री होता....किसी तरह का कोई शुल्क नहीं होता....खूबसूरती अपनी पराकाष्ठा पर होती है...यूँ लगता है जैसे स्वर्ग धरती पर ही उतर आया है...रंगों का समन्वय देखते ही बनता है....
ओट्टावा ट्यूलिप फेस्टिवल दुनिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप फेस्टिवल माना जाता है ...अब हर साल हालैंड से ३० लाख ट्यूलिप बल्ब आते हैं...पूरा शहर देखते बनता है....इस प्रेम और शान्ति के त्यौहार ने अपना रूप और भी प्रेममय और विस्तृत बना लिया है ...लाखों सैलानी दुनिया के कोने कोने से हर साल आते हैं...अप्रैल के महीने में यह त्यौहार १८ दिनों तक चलता है....देश-विदेश के राजनीतिज्ञ यहाँ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए, प्रेम और शान्ति का पैगाम खुल कर देते हैं....जगह-जगह पर अनेक देशों के पविलियन बने होते हैं...वो अपनी संस्कृति, भोजन और कला को सैलानियों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं... जगह जगह पर स्थानीय कलाकारों के गीत संगीत का कर्यक्रम होता रहता है....सबकुछ फ्री होता....किसी तरह का कोई शुल्क नहीं होता....खूबसूरती अपनी पराकाष्ठा पर होती है...यूँ लगता है जैसे स्वर्ग धरती पर ही उतर आया है...रंगों का समन्वय देखते ही बनता है....
अगले वर्ष समीर जी भी आयेंगे इस त्यौहार में शामिल होने, मुस्कुरा कर वो हमसे वादा कर ही चुके हैं :):) ....उसवक्त और बेहतर रिपोर्ट प्रस्तुत करुँगी.... फिलहाल आप ट्यूलिप की रंगीन छटा पर मोहित होते हुए, उस शहर के दर्शन कीजिये, जहाँ मेरा भी घर है....!!
ट्यूलिप फेस्टिवल के बारे में बहुत उम्दा जानकारी दी है आपने. आभार. चित्र भी सुन्दर हैं.
ReplyDelete.आज भी हॉस्पिटल का वो कमरा नेदरलैंड की भूमि माना जाता है और वहां नेदरलैंड का ही झंडा लहराता है....
ReplyDeletewaaaaaaaaaaaaah........
kamaaaaaaaaaaal........
Waooo...ट्यूलिप मनुष्यता को मिले वरदानों में से एक है. विस्मयकारी.
ReplyDeletehnm...
ReplyDeleteआपका साथ, साथ फूलों का.
आपकी बात, बात फूलों की..
ट्यूलिप फ़ेस्टिवल पर बहुत ही अच्छी जानकारी, और इतने रंग बिरंगे फ़ूलों को देखकर तो हम चकित ही रह गये। अपने देश की धरती पर किसी दूसरे देश का झंडा फ़हराना उसके प्रति सम्मान है और यह भी बताता है कि कनाडा का दिल कितना बड़ा है।
ReplyDelete0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये
उपर से दूसरा चित्र को कमाल का है। एक पोस्ट लिखी जा सकती है । विकसित देशों या यूरोप के दृश्य़ देख मुझे जलन सी होती है। कितने प्यार,अनुशासन और सफाई से ये लोग अपना परिवेश सुन्दर बनाए रखते हैं ! एक हमलोग हैं!!
ReplyDeleteइनकी कल्पनाशीलता देखिए। पुरानी संस्कृति की विरासत नहीं लेकिन उत्सवों के कैसे कैसे बहाने निकाल परम्परा सृजन कर देते हैं ।
ट्यूलिप फ़ेस्टिवल वाह आज तो सुबह सुबह जैसे सौगात मिल गयी। गिरिजेश जी की तरह मुझे भी यही जलन होती है। कैलिफोर्निया मे इतनी तरह के फूल देखे कि आँखों पर विश्वास ही नही होता कि इतनी तरह के सुन्दर फूल भी हो सकते हैं। आभार।
ReplyDeleteसुन्दर चित्रण,उम्दा जानकारी!
ReplyDeleteट्यूलिप फेस्टिवल पर दिलचस्प जानकारी ।
ReplyDeleteबहार ही बहार दिखाई दे रही है ।
लेकिन अभी तक नेदरलैंड से मंगाते हैं ?
खैर कहीं से भी आयें हमें तो आनंद आ गया जी ।
behd khubsurt fool aur festival ka vistrat varnan ,achha lga dekhkar pdhkar .
ReplyDeleteabhar
अच्छी लगी ट्यूलिप फेस्टिवल की जानकारी ..
ReplyDeleteचित्र ललचाने वाले हैं .. यहाँ दिल्ली में बारिश के
झीसे पड़ रहे हैं , काश इन फूलों के बीच बैठा होता !
mugdh ho gayi in khoobsurat vadiyon ko dekh ,is tapti garmi me kahi swarg ki jhalak bhi hai ,saath hi varan padhkar chakit ho gayi ,wahan ke festival ke baare me badhiya jaankari di hai aapne .
ReplyDeleteइन फूलों को देखकर मैं तो बेहाल हूं। आपने इतने सुन्दर चित्र पोस्त किये, आभारी हूं।
ReplyDeleteवाह आँखों को जैसे सुकून आ गया ..ट्यूलिप बहुत अच्छे लगते हैं मुझे ..और उनकी जानकारी देने का आभार.
ReplyDeleteरोचक इतिहास, सुन्दर चित्र ।
ReplyDeleteरोचक इतिहास, सुन्दर चित्र
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