हम तो कुछ लिख ही नहीं पा रहे हैं..
समय ही नहीं है...
समय ही नहीं है...
लेकिन अपनी पसंद का गीत तो सुनवा ही सकते हैं ...
बात ये है कि... ये दोनों गीत किशोर साहब और रफ़ी साहब की आवाज़ में हमें बहुत-बहुत पसंद ...
तो सोचा क्यूँ न आप लोगों को भी याद दिलवा दें इन सदाबहार गानों की..
इसी गाने की दो लाइनों पर कभी मैं बेहद जबरदस्त फिदा था...
ReplyDeleteआंख झुकाना तो आपका फिर ठीक था,
आंख झुका के उठाना, गजब ढा गया...
(कभी फरेब का ये गाना सुनिएगा या देखिएगा...ये आंखे झुकी झुकी)
जय हिंद...
बढ़िया पोस्ट !
ReplyDeleteबहुत बडिया । आभार।
ReplyDeleteबहुत अच्छा गीत है!
ReplyDeleteसुनवाने के लिए आभार!
दोनों गीत सुन्दर हैं...
ReplyDeleteपहले वाले गीत के साथ एक और भी था...
अपुन को भी एक नजर देखो ना...
बुरे नहीं हम भी इधर देखो ना....
सुन्दरी..आय हाय सुन्दरी...
और..
सारा गुलशन दे डाला..कलियाँ और खिलाओ ना..
हँसते हँसते रो दें हम....
इतना भी तो हंसाओ ना....