ये शहर है क़ामयाब यहाँ क़ामयाब हैं लोग
उठ गई ग़र उंगलियाँ तो बस अज़ाब हैं लोग
हुए हम नाक़ाम तो नाक़ाम ही सही
सुनो नाकामियाँ मेरी बेहिसाब हैं लोग
मुझे टटोलती रही क्यूँ हरेक वो नज़र
तहरीर अधूरी सी हूँ मैं किताब हैं लोग
ये तो थीं मेरी चंद पंक्तियाँ...
और अब ज़रा इधर निग़ाह डालिए...ये ज़नाब तो बस कमाल ही कर रहे हैं...सच में...!!
हा हा हा हा .....
रचना बढ़िया...थोड़ा और काम होना चाहिये- कथ्य स्पष्ट करने के लिए.
ReplyDeleteमि.बीन तो तूफान मचा रहे हैं. :)
बढ़िया पंक्तियाँ.. मिस्टर बीन भी कमाल के नचइये हैं आज पता चला.. :) इसी में और आगे की लिंक देखने पर स्पाइडर मैं भी पंजाबी हो गया..
ReplyDeleteवाह जी वाह आप भी और मिस्टर बीन भी ।
ReplyDeleteहुए हम नाकाम तो नाकाम ही सही ...नाकाम भी बेहिसाब है लोग ...
ReplyDeleteकुछ पंक्तियाँ और जोड़नी थी ..नहीं क्या ..?
कमाल की पंक्तियाँ हैं, लगा जैसे कुछ पहचानी सी लगीं।
ReplyDeleteमिं बीन तो गजब ही कर रहे हैं।
hnm...
ReplyDeletesunder chitr..
rachnaa...
aur vedio..........
एक भाव कुरेद कर चल दीं ।
ReplyDeleteऐसा ही होता है ...शायद यही दुनिया का दस्तूर है ।
ReplyDeleteमी. बिन को पंजाबी गाने पर नाचते हुए दिखाने के लिए धन्यवाद ।
बहुत सुन्दर रचना .....डांस तो कमाल का था ..
ReplyDeleteअदा जी,
ReplyDeleteआज की रचना कुछ अधूरी सी क्यों लग रही है? इतने अच्छे अलफ़ाज़ और इतनी छोटी सी पोस्ट? बहुत नाईंसाफ़ी है। लेकिन शायद अच्छी चीजें दुर्लभ ही होती हैं, यही वजह रही होगी।
तस्वीर शानदार है और Mr.Bean तो अपने दिल के बहुत करीब हैं, एकदम निर्दोष और मासूम।
आभार आपका।
हुए हम नाक़ाम तो नाक़ाम ही सही
ReplyDeleteसुनो नाकामियाँ मेरी बेहिसाब हैं लोग
बहुत खुब आप भी ओर हमारे बीन भी
ReplyDeleteये शहर है क़ामयाब यहाँ क़ामयाब हैं लोग
ReplyDeleteउठ गई ग़र उंगलियाँ तो बस अज़ाब हैं लोग
वाह , क्या बात है !!!
इस रचना में भी ट्रिपल सुन्दरता है ( हमेशा की तरह )
ट्रिपल से आशय चित्र , रचना , विडियो तीनो से है
तीनो बेहद सुन्दर है
एक बात तो है इस रचना में पंक्तियाँ कम होने के पर भी काफी लम्बे समय तक सोचने पर मजबूर कर रहीं हैं
ReplyDeleteहम्म.. कहीं मुझी पर तो यह लाइनें नहीं लिखी गयी हैं ?
भरी महफ़िल यूँ सँगसार न कर ऎ दोस्त !
वाह ........ क्या बात है !!!
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