वड्डे ब्लोगरस को देखा तो ऐसा लगा
कोई, सूखा गुलाब,
कोई, फटी हुई जुराब,
कोई, गैंडे की खाल,
कोई, म्युनिसिपल कूड़ादान,
कोई, गीत की दूकान ,
कोई, वाह वाह का मर्तबान,
कोई, फिसड्डी पहलवान,
कोई, संस्कार की मैयत उठाता हुआ, हो !
हम कई छोटे ब्लोगरों ने अपनी तरफ से सबसे अनुरोध किया था http://blogkikhabren.blogspot.ca का विरोध करने के लिए, जहाँ गलत तरीके से महिलाओं की तस्वीर लगाई जाती है, इन महिलाओं का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया है, लेकिन एक भी कमेन्ट किसी भी ब्लॉग पर या कहीं इस बात पर चर्चा नहीं हुई, इन महान ब्लोग्गरों द्वारा, कि हाँ ये गलत हो रहा है, और इसकी भर्त्सना होनी ही चाहिए, कम्प्लेन होना ही चाहिए । एक भी 'तथा कथित', आंग्ल भाषा में 'SO CALLED' बड़े ब्लोग्गर नहीं आये, इस बात के लिए सहयोग देने, या इतना भी कहने, हम आपके साथ हैं । जगह जगह अपने गीत-गोविन्द का राग अलापने का, अपनी बडाई करने का, वाह वाह करने का, वाह-वाह लेने का, समय है लोगों के पास, लेकिन इस काम के लिए वक्त नहीं है। बहुत बड़े ब्लोगार बनते हैं सब, अजी काहे के बड़े ब्लोग्गर ???? धन्य हैं आप और आपकी बड़ी ब्लोगरी ।
हाँ नहीं तो...!
आपकी पोस्ट पर बताये अनुसार गूगल द्वारा कार्रवाई करने के लिए उस ब्लौग का लिंक वगैरह सूटेबल कैटेगरी में सबमिट कर दिया था.
ReplyDeleteमुझे लगता है कि ऐसे समय में सबने अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं को टटोला और ज्यादातर लोगों ने शायद इस मसले या मसले से सम्बंधित व्यक्तियों के पचड़े में पड़ना मुनासिब नहीं समझा.
निशांत जी,
Deleteसमस्या यही है 'पचड़े में नहीं पड़ना'...
अगर सब यही सोच कर बैठ जाएँ ये दूसरे का पचड़ा है तो फिर सुधार कैसे होगा ?
मैं भी सोच सकती थी ये मेरा पचड़ा नहीं है...लेकिन अगर सुधार चाहिए तो पचड़े में पड़ना होगा...गन्दगी अगर साफ़ करनी है तो बिना गंदगी में घुसे हुए कैसे साफ़ होगी गन्दगी...???
आपने साथ दिया, हृदय से आभारी हूँ..
nishant ji, abhishek ojha ji has given a perfect comment for the attitude of "main kyon pachde me padoon" at mosam blog post - here -
Deletehttp://mosamkaun.blogspot.in/2012/07/blog-post.html?showComment=1342042380868#c6398937964218497732
thanks for submitting the complaint. wish it was discussed in charchas too.
सच कहूँ निशांत जी..मुझे उम्मीद भी यही थी और इस बात से ख़ुश हूँ कि मेरा अंदाजा सही था....
Deleteहाँ अगर लोग सचमुच आ जाते तो और ज्यादा ख़ुशी होती...
Shilpa ji,
Deletesahi kaha aapne is baat ki charcha honi chahiye thi.
@ अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं
Deleteमतलब ऐसे लोगों के साथ भी कई 'वड्डे' ब्लोगर प्रतिबद्ध हैं.
Ms Adaa
ReplyDeleteWho is this Badaa Bloggar ? I dont think there is any such thing likhe Badaa Chotaa In bloging .
Those who chose not to speak or support have never spoken or supported before also so .
But what really astonishes me is that many go and support them by saying nice , well written , and your post is on this and that charcha .
There is one gentle man who is writing poems { if you can call them poems } on me since that episode and there are 2 bloggars who unfailing are posting "how wonderful " "well written " etc there .
So be prepared to bear the brunt if you want to a better society . I am prepared for it
ARE YOU
YESSSS..
ReplyDeleteअदाहां जी सादर अभिवादन आपका पोस्ट पढ़ा ,पूर्व सन्दर्भ और पूरी बातें पता नहीं इसलिए कहीं भी बैल की भांति सर घुसाना मैंने उचित नहीं माना.
ReplyDeleteजहाँ तक रही बातें महिलाओं के सम्मान की तो जहाँ लगे की गलत हो रहा है तो नाम से आवाज़ दीजिये . आपके सम्मान में मेरा पहला समर्थन होगा ,
बशर्ते कल को पुरुष ब्लोगेर मेरी अनजानी मुरखता पर न हँसे न ही मुझे आत्मग्लानी हो.
हाँ हमें अपनी माँ बहन के समान ही सब का सम्मान करना चाहिए . बातें अभी भी अधूरी ही हैं ........
मैं समझ सकती हूँ, आप इस मुद्दे से शायद अनभिज्ञ होंगे...
Deleteएक बात का विश्वास आपको दिला सकती हूँ, कि आपको कभी भी पछतावा नहीं होगा अगर आपने साथ दिया तो...
हृदय से आभारी हूँ..
वड्डे बंदे इसीलिये वड्डे होते हैं क्योंकि वो पचड़े में पड़ते नहीं हैं|
ReplyDeleteवैसे किसी से अपेक्षा रखनी नहीं चाहिए, दुःख ही होता है|विरोधस्वरूप जो हुआ, जितना भी हुआ, मेरी राय में बुरा नहीं हुआ|
अरे कौन इनसे अपेक्षा रखता है मुनिवर..
Deleteहम तो सिर्फ़ आईना दिखा रहे थे...
शायद ब्लोगर का खाता, ब्लॉग की दुनिया में, टिप्पणी के डेबिट/क्रेडिट से चलता है...इस मामले अपन हमेशा ही कड़के रहे हैं...क्योंकि कभी इत्ते सीरियसली लिया ही नहीं...लोग पढ़े पढ़े पढ़े, नई पढ़े तो नई पढ़े...हाँ नहीं तो..!
शायद ई बहुत रिस्की मामला है..लेकिन सोचने वाली बात ये भी है, अगर ये रिस्की मामला है, तो फिर रियल रिस्क कौन लेगा हुजूर ? बदल लिया समाज, और लिए हम उत्थान...!!
'विरोधस्वरूप जो हुआ, जितना भी हुआ, मेरी राय में बुरा नहीं हुआ|'
I couldn't agree more.
उस वाहियाद आदमी को हमने पहले ही बंद कर दिया था जो स्त्रियों की मर्यादा तार तार कर रहा था....
ReplyDeleteआपका जितना भी धन्यवाद करूँ, कम ही होगा लोकेन्द्र जी..
Deleteबड़ा भया तौ का भया, ज्यूँ टावर मोबाइल
ReplyDeleteसिगनल इतना वीक है, कछहुँ नहीं सुनाइल
अनुराग जी,
Deleteमैंने तो सबसे पहले आपसे ही बात की थी इस बारे में...फिर गिरिजेश को ईमेल भेजा था..
आप दोनों ने मेरा मार्गदर्शन किया था...कैसे भूल सकती हूँ भला आप दोनों को..
मैं तो यहाँ सिर्फ़ इतना ही बताना चाहती हूँ उन वरिष्ठ ब्लोगरों को कि...
जिस गाँव में मुर्गा नहीं होता है, उहाँ बिहान नहीं होता है का !!!
एक बात और समझ में आई है..
करीब जाकर कितने छोटे लगे, वो लोग जो आसमान थे...
भूल सुधार..
Delete'गिरिजेश जी'
गैंडे की खाल वाले ही "वड्डे ब्लोग्गर" हो सकते हैं. छोटे ही अच्छे हैं. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
ताऊ जी,
Deleteबहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुए...
काश हमारी चमड़ी भी वैसी ही मोटी होती..
आभार
ताऊ जी की बात से सहमत हूँ ... आभार
ReplyDeleteअब तो ताऊ जी की बात से मैं भी सहमत हूँ..
Deleteआभार
क्या बेसिक पोस्ट से भी सहमत हैं.
Deleteaisi kisi katu sachhai me apne pawn fansa kar badde blogger apna kad chota nahi karte???????
ReplyDeletebakiya, jo jaisa samaj me hai ysa hi o blog-jagat me bhi hain. mudde ki hawa thori
chalte hi kai-on ke burke oor jate hain aur asal chehra samne aa jata hai......
budhijivi/pandity prabhaw wale itihas ka bakhan karte-karte bhavishya ke darshan jharne lagta hai.....is chakkar me vartman uske nazar se fisalta rahta hai....
pranam.
आप लोग भी किस आदमी का ब्लाग खोलते हैं। उसका काम ही इस तरह का न्यूसेंस फ़ैला कर भीड़ जुटाना है। कभी हिंदु धर्म के खिलाफ़ लिखेगा तो कभी कोई विवाद खड़ा करेगा। ऐसे बहुतेरे है ब्लाग जगत में। ऐसे लोगो का इलाज यही है कि इनको बाय काट कर दें। बीच मे मैने एक दो व्यंग्य भी लिखे थे इसके उपर। फ़ेर सोचा छोड़ो कौन समय खराब करे। कहिये तो एक बार और सर्विसिंग हो जायेगा :) :) :) :)
ReplyDeleteअरुणेश जी,
Deleteभगवान् की कृपा है कि कभी ऐसे लोगों के ब्लॉग पर जाने की न पहले कभी सोचा न आगे कभी जाने की ज़रुरत होगी...लेकिन इस काण्ड के कारण ज़रूर जाना पड़ा...यह हमारी बहनों का सवाल था...अपने ब्लॉग से जो भी कर पाए किया है...
जहाँ तक सर्विसिंग का सवाल है, वो आप अपने अनुसार कर लीजिये...
आप आए, बहुत ख़ुशी हुई|
आपका धन्यवाद
अभी दो चार दिन पहले रचना जी के ब्लॉग पर पढ़ा कि गूगल किसी को भी व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता ..
ReplyDeleteये जान लेने के बाद तो बड़ा ब्लोगर और छोटा ब्लोगर की बात ही ख़त्म हो जाती है..रही बात कमेन्ट बोक्स भरा होने की और ब्लॉग पुरस्कारों की ..
तो यह रिकार्ड कोई भी फ़ालतू सा आदमी भी तोड़ सकता है..और किसी का भी...
जब नया नया ब्लॉग बनाया था तो खुद को ब्लोगर कहलवाना पसंद किया जरूर था कुछ दिन..फिर जल्द ही समझ आ गया
अभी अपने ब्लॉग पर झाड़ू तो नहीं मारी है मगर ब्लोगर कहलवाना पसंद नहीं है...ये बात और कि कोई ठीक ठाक सा बन्दा मिल जाए तो उसे बता देते हैं कि अपना ब्लॉग भी है...
एक बात और महसूस हुई...जिस के चलते हमने कोई शिकायत गूगल को नहीं भेजी..ये नहीं कि वो कमबख्त मेरी मेल आई डी हैक कर लेगा ..
.पहली बात तो हमें भेजना नहीं आता..
और दूसरी ये कि जिस के लिए शिकायत भेजने की बात कही जा रही है ..मुझे नहीं लगता कि उसे खुद इसकी कोई जरूरत है...
हम लोग ऐसे परेशान हो रहे हैं जैसे माता सीता को रावण उठा के ले गया हो और जाने किस हाल में होंगी वो....जब कि सब कुछ नोर्मल सा है..नोर्मल सा नहीं बल्कि नार्मल है..
पहले से तो और भी ज़्यादा नार्मल....
मैंने सचमुच इस और कभी नहीं झाँका, आजकल तो खैर कहीं नहीं झाँक पा रहा।
ReplyDeleteपर अभी देखा आपके दिए लिंक से, विरोध करने वाला काम ही है ये।
आपने टिप्पणी बॉक्स हाल में ही खोला है न?
इस प्रकार के कुछ अन्य ब्लोगस से हाल ही में पीछा छुड़ाया है और नियमित आने वाली पोस्ट की मेल्स को महीनों पहले ही फिल्टर कर दिया था।
ReplyDeleteसादर
आज 16/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteगूगल ने तो हाथ हिला दिया
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