Wednesday, July 11, 2012

आज सिर्फ एक शेर और एक गीत....

आज सिर्फ एक शेर और एक गीत....

कितनी रातें जाग गए हम, सोना अब ज़रूरी है 
रात के बाद सुबह ले आना, सूरज की मजबूरी है

गीत तो आप सुन चुके हैं लेकिन फिर सुन लीजिये...
चंदा ओ चंदा....आवाज़ 'अदा'

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10 comments:

  1. वाह!
    घुघूतीबासूती

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    1. घुघूती जी,
      आपकी एक 'वाह' में असर बहुत है..
      हृदय से धन्यवाद.

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  2. वाह. यह अपने समय का एक सदाबहार गीत है. बहुत बढ़ि‍या बन पड़ा है :)

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    1. काजल साहेब,
      आपको पसंद आया..मेरा हौसला बढ़ा
      धन्यवाद

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  3. aapki aawaz abhi sun nahi paye fir koshish zaroor karenge.

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    1. कोई बात नहीं जब भी वक्त मिले और दिल करे सुन लीजियेगा..

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  4. आज सिर्फ एक शेर और एक गीत पर हमारा एक ही कमेन्ट है - ढंग का हो तो एक ही काफी है, चाहे शेर हो या गीत और यहाँ तो दोनों ही शानदार हैं|

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    1. अरे ज़नाब, आपका कमेन्ट तो मोर दैन काफ़ी है :)

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  5. :)


    good night/morning..


    :(


    hum thodaa kanfyujaaay gaye hain ada ji

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    1. मनु जी,
      हो जाता है कभी कभी ऐसा ही..

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