मैं...!
एक लड़की हूँ, तो क्या हुआ ??
माना... मैं, किसी की बेटी हूँ, किसी की बहन हूँ । कल मैं किसी की पत्नी बनूँगी, बहु बनूँगी, माँ बनूँगी। मुझे ये सब बनने से कोई इनकार नहीं । लेकिन ये मत भूलो, कुछ भी बनने से पहले, मैं एक इंसान हूँ । मेरे अपने कुछ लक्ष्य हैं, मेरी अपनी कुछ इच्छाएँ हैं, मेरे अपने कुछ सपने हैं, जो सिर्फ और सिर्फ मेरे हैं । और मेरा जीवन सिर्फ मेरा है। हाँ, तुम उसमें शामिल हो सकते हो । तुम्हारे साथ-साथ कुछ और भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन मेरा जीवन, मेरा ही रहेगा ।
मुझे बहुत कुछ करना है, बहुत कुछ बनना है, जिनको पूरा करना ही मेरे जीवन का लक्ष्य हैं । ये मुझसे उम्मीद मत करना, कि इनको तिलांजलि देकर, मैं सिर्फ, तुम्हारे घर की बहु, तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे बच्चों की माँ बन जाऊँगी । ये सारी भूमिकाएं मैं निभा जाऊँगी, लेकिन मेरी अपनी भूमिका, मैं नहीं भुलाऊँगी । मुझे मेरा अपना वज़ूद, दुनिया में बनाना है, मुझे मेरे अपने लक्ष्य को पाना है और मेरे अपने सपनों को सजाना है ।
इनको पाने से मुझे, कोई नहीं रोक सकता, तुम भी नहीं। मैं तुम्हारे सपनों को पूरा करने में, तुम्हारा साथ दूंगी, तुम भी मेरे सपनों से खिलवाड़ नहीं करोगे। अगर तुम्हें ये मंजूर है, तो मैं तुम्हारे संग जीवन भर चलने को तैयार हूँ , वर्ना तुम अपना रास्ता नापो, और मैं अपना ।
इनको पाने से मुझे, कोई नहीं रोक सकता, तुम भी नहीं। मैं तुम्हारे सपनों को पूरा करने में, तुम्हारा साथ दूंगी, तुम भी मेरे सपनों से खिलवाड़ नहीं करोगे। अगर तुम्हें ये मंजूर है, तो मैं तुम्हारे संग जीवन भर चलने को तैयार हूँ , वर्ना तुम अपना रास्ता नापो, और मैं अपना ।
महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है किन्तु पूर्णता का भाव लेकर ?
ReplyDeleteस्वयं पर विश्वास होना उससे भी बेहतर लेकिन अति का भाव ?
बेहतरीन भावों से सजी पूर्ण परिपक्व स्थापित मन की सोच .
हम सब एक दुसरे के पूरक हैं ,थे ,और रहेंगे यह विनम्र भाव हमें स्थापित ही नहीं
चिर नवीन रखता है .
राह रहे और चाह रहे,
ReplyDeleteसपनों का बना प्रवाह रहे,
हाँ प्रवीण जी, यह प्रवाह बन ही रहना चाहिए..
Deleteधन्यवाद !
wow
ReplyDeletewow = world of witchcraft !
Delete:):)
:)
Deleteमारग्रेट थैचर से सम्बंधित एक बात और याद आती है...जब वे प्रधानमन्त्री बन चुकी थीं और उनके सेक्रेटरी द्वारा...उनकी दिनचर्या बनाई जा रही थी..तो उन्होंने कहा..."इसमें मेरे अपने लिए समय कहाँ है? आधा घंटा मुझे अपने बालों की देखरेख के लिए भी चाहिए. "
ReplyDeleteएक स्त्री की भी अपनी इच्छाएं..अपने सपने..अपना लक्ष्य हो सकता है...और उसे अपने सपनों को पूरा करने में सहयोग देने पर वो सफलता के शिखर तक पहुँच सकती है...मारग्रेट थैचर ने बखूबी बता दिया..
बहुत सुन्दर पोस्ट
हाँ रश्मि,
Deleteमार्गरेट रोबर्ट्स (थैचर) ने 13 December 1951 को डेनिस थैचर से विवाह किया था...उस ज़माने में ऐसी सशक्त सोच वाली महिला नमन के योग्य है...
मार्गरेट ने दिखा दिया, अगर स्त्री चाहे तो वो कुछ भी कर सकती है...
हम तो ये कहेंगे कि मार्गरेट थेचर साहसी होने के साथ साथ खुशकिस्मत भी थीं\हैं| सभी साहसी महिलाओं को खुशकिस्मत भी होने की दुआ ताकि अपने सपने पूरें कर सकें| वरना वही, समय रहते ही अपना अपना रास्ता नाप लिया जाए| अंगरेजी की एक कहावत भी है कुछ 'अ स्टिच इन टाईम सेवस नाईन' टाईप की|
ReplyDeleteपोस्ट सुबह भी पढ़ी थी और अब भी, एक गाना याद आ रहा है 'ये लाल रंग कब मुझे छोडेगा' क्योंकि पोस्ट में लाल रंग की पूंछ सुबह तो नहीं थी, अब दिख रही है|
क्यों ?
Deleteजब आपकी पोस्ट...'धूमकेतु' बन सकती है, तो हमारी पोस्ट एक छोटी सी पूँछ भी नहीं लगा सकती ? :)
पता नहीं ये कैसे नहीं छपा, बाद में देखा तो लगा बात तो अधूरी ही रह गई...इसलिए फट से हम दरजी के काम में जुट गए...:)
बाक़ी लाल रंग आपको कब छोड़ेगा ई हम कैसे बताएँ ?
क्षमाप्रार्थी हैं...
मुनिवर,
Deleteथैचर मैडम साहसी थीं/हैं, इसलिए ख़ुशकिस्मत थी/हैं ...:)
वैसे तो हर साहसी मैडम खुशकिस्मत भी हो, ये जरूरी नहीं लेकिन न मानेंगे तो फिर बहस होगी| इस लिए आप ये मानें कि हम मान चुके हैं, बाकी हम जो मानते हैं वो मानते ही हैं:)
Deleteआदरणीया मंजूषा जी मैं अपने पूर्व अभिमत पर यथावत हूं . इस पर एक सन्दर्भ देना चाहूँगा राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाने में कैकेयी से लेकर सीता रावन और भरत सब का योगदान रहा है .
ReplyDeleteशायद जिसे कास्ट एंड क्रू कहा जाता है . मैं समझता हूं थ्रेचर महोदया को भी उनके पति ने ही स्थापित किया . मेरा अस्तित्व मेरे करीबी लोगो के ही कारन है अन्यथा मैं तो शून्य हूं .
रमाकांत जी,
Deleteबेशक थैचर मैडम को स्थापित करने में उनके पति ने उनका साथ दिया, लेकिन स्थापित होने की इच्छा और पहल मैडम थैचर की अपनी थी...
शादी से पहले इस बात को क्लियर कर देना उनकी सफलता की तरफ उनका पहला कदम था...अगर ये पहला कदम ही नहीं होता तो फिर सफलता की गुंजाईश ही कहा थी..
मार्गेट थैचर का नाम जब पहली बार सुना था तब छोटे थे और उन्हें जानते नहीं थे , मेरे घुघराले बलों को काटती मेरी बुआ से छोटे चाचा ने कहा था की इसके बलों को मार्गेट थैचर की तरह सेट कर दो :)
ReplyDeleteराजनिती शास्त्र के विधार्थी बने तो पता चला की वो क्या थी , हम सभी पश्चिम और पूरब के बीच तुलना करते रहते है किन्तु एक स्त्री की नजर से देखे तो सफलता के ऊँचे मक़ाम तक पहुँचने के लिए हर जगह उसे एक " आयरन लेडी " लौह महिला ही बनना पड़ता है और उतना ही संघर्ष करना पड़ता है चाहे वो दुनिया में कही भी हो | उन्होंने तो अपनी लौह महिला पर अच्छी फिल्म बनाई और उनके राजनीतिक और पारिवारिक जीवन ( अभी फिल्म देखी नहीं है सुना है बस ) दोनों पर प्रकश डाला, आस्कर भी जीता किन्तु हमारी लौह महिला पर जब फिल्म बनी तो यही दिखाया गया की कैसे उन्हें राजनीति के ऊँचे मक़ाम पर पहुँचने के लिए अपने पारिवारिक जीवन पति बच्चो सभी छोड़ दिया , एक स्याह पक्ष ही दिखाया :(
अंशुमाला जी,
Deleteबाल अगर अब भी घुंघराले हैं तो अब भी सेट किये जा सकते हैं...उसमें का है :)
मार्गरेट ने अपने परिवार की पूरी जिम्मेवारी निभाते हुए, पत्नी धर्म, माँ का धर्म निभाते हुए जो मक़ाम पाया है, वो सचमुच प्रशंसनीय है, बेशक घर के रिश्तों में थोड़ी घर्षण हुई है, जो हर ख़ास-ओ-आम घरों में होती है, लेकिन उनका परिवार साथ ही रहा...मैं उनकी जीवनी से बहुत प्रभावित हूँ...वो अपने दत्तक नाम 'आयरन लेडी' को सही अर्थों में चरितार्थ करतीं हैं..
यहाँ यह कहना भी बहुत ज़रूरी है कि मेरिल स्ट्रीप जैसी एक्ट्रेस इस दुनिया में दूसरी इस समय कोई नहीं....उसके अभिनय के सोपान तक पहुँचना भारतीय नायिकाओं के वश की बात ही नहीं है...होलीवुड फिल्म प्रोडक्शन में मेकप का अपना ही स्थान है...और इस फिल्म में मेरिल स्ट्रीप का जो मेकप किया गया है, तारीफ़ के काबिल है...
कुल मिला कर...इतिहास, कहानी, पटकथा, संवाद, मेकप, अटायर, सेट, अभिनय, म्यूजिक, ऐम्बियांस सब कुछ लाजवाब है..बल्कि बेमिसाल है...ज़रूर देखिएगा..
सराहनीय - संग्रहणीय प्रस्तुति .आभार हमें आप पर गर्व है कैप्टेन लक्ष्मी सहगल
ReplyDeleteशालिनी जी,
Deleteआपका धन्यवाद..
आप लाल रंग की पूंछ भी ना लगाती तो ये एक और सशक्त सोच की मिसाल होती आज की नारी को इसी तरह की सोच की आवश्यकता है बहरहाल मारग्रेट थ्रेचर की सोच को सलाम अनुसरण योग्य सबक लेने योग्य है |बहुत बढ़िया पोस्ट |
ReplyDeleteसच कहें राजेश जी, तो अपनी thinking and action बिल्कुल यही है...ई लाल पूँछ तो बस ऐंवें है :)
Deleteवरना पूरी फिलम में यही एक डाईलोग थोड़े ही न था...:):)
आपका बहुत आभार.
सम्बल साथ का
ReplyDeleteजितना मजबूत होगा
आदमी तेरा तभी तो
कुछ वजूद होगा !
सुशील जी,
Deleteक्या बात कह दी आपने..
परफेक्ट !!
आभार !
अच्छा है टिप्पणी का ऑप्सन खुला मिला -
ReplyDeleteप्राय: निकल जाता था -|
चाह संग हमराह जहाँ, हैं वहीँ निकलती राहें |
डाह मगर गुमराह करे, बस बरबस बाहर आहें |
प्रतिस्पर्धी नही युगल ये, पूरक अपने सपने के-
पले परस्पर प्रीति पावनी, नित आगे बढ़ें सराहें ||
हमराही जब साथ चलें, क्यों एक निकलती राह ?
Deleteनित नए सोपान पति के, पत्नी बनती छांह
प्रतिस्पर्धा की कोई बात नहीं, और नहीं यह डाह
प्रीत डगर में पत्नी की भी, बस पूरी होवे चाह
सुन्दर
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद !
Deleteकल 27/07/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
तुम्हें पसंद आया...अच्छा लगा जानकार.
DeleteInspiring... :)
ReplyDeleteIndeed !
Deletestrong will power हो तो सपनें पूरे होते ही हैं......फिर पति साथ दे न दे.
ReplyDelete:-)
आज का गाना???? हम होंगे कामयाब ही डाल देतीं.
:-)
अनु
आज मैं ऊपर, आसमाँ नीचे,
Deleteआज मैं आगे ज़माना है पीछे...मेरे संग है ख़ुदा..:)
धन्यवाद !
ReplyDeleteबढ़िया विचारोत्प्रेरक प्रसंग...
ReplyDeleteसादर।
सुंदर पोस्ट..
ReplyDeleteवड्डे वड्डे लोगों के वड्डे विचार..
:)