Monday, July 16, 2012

हम ब्लोगर हूँ.....

ब्लोगर बनना आज कल का नया-नया फैशन हो गया है । अगर जे कौनो काम नहीं है आपके पास, तो कौनो  'चींते की बात नहीं', ब्लॉग्गिंग ऐसा परमानेंट काम है, जिसमें रिटायरमेंट का भी चान्स नहीं है,  बस दायें-बायें दो-चार महान ब्लोगर को देखिये, उनकी पोपुलारिटी, उनके कोमेंत्वा का बैंक बैलेंस देख कर रश्क कीजिये और मन में प्रतिज्ञा करके कूद जाईये, ब्लॉग्गिंग का मैदान में, देखिएगा आप कईसन बीजी हो जाते हैं । अरे आप एईसन बीजी होंगे कि बीजी नेस को भी अपना दूसरा शब्द खोजना पड़ेगा, हम तो कहते हैं,  अड़ोसी-पडोसी, गाँव-घर, दोस्त-मित्र ईहाँ तक कि,  घर का लोग भी आपका शकल देखने को त्राहि माम त्राहि माम करे लगेगा । हमको देखिये, 24 में से 25 घंटा हम ब्लॉग्गिंग करते हैं, स्कूल से बच्चा कब आया और कब से चिचिया रहा है, खाना दे दो भूख लगी, लेकिन हम अपना पूरा ब्लाग्गर धर्म निभाते हैं, मजाल है हमरा कानों में एक ठो जूँ तक रेंग जाए, हम तो हियाँ तक सोचते हैं चीखने दो,  ऊ चीख से भी एक ठो पोस्ट हम निकालिए लेंगे । लिखिए देंगे 'फेफड़ों को कैसे मजबूत बनाएं' । लाईफ में एक्सपीरियंस बहुते  मायने रखता है। लो जी हमको एक ठो और टोपिक मिल गया 'ज़िन्दगी और मेरे अनुभव' । अब हम किसी से बातो करते हैं, तो उसका एक-एक सेन्टेंस से हमको, हमरा पोस्ट झड़ता दिखता है ।

हाँ तो हम बात कर रहे थे बच्चा लोग स्कूल से आकर, जब भूख-भूख चिचियाते हैं, हम तो जी, फट से दांतों के नीचे जीभ दबा लेते हैं और बोल देते हैं, 'हाय राम खाना तो हम बनैबे नहीं किये । बेटा बस तनी सा और टाईम दे दो , बस एक ठो पोस्टवा लिख लें हम, या फिर बस ज़रा दो-चार गो कमेन्ट कर लेते हैं हम । चाहे कह देते हैं, आज तुमलोग सिरियले खा लो, लंच में, रात में खाना बना देंगे हम । लेकिन मम्मी लंच में सीरियल ? अरे तो का हो गया, कौनो डाक्टर बोला है कि लंच में सीरियल नहीं खाना है । लेकिन मम्मी कल भी यही खाए थे । कोई बात नहीं बेटा दो दिन में कुछ नहीं होता है । और फिर सीरियल फैट फ्री होता है, इसमें कितना रफेज होता है, हेल्दी होता है बेटा। मेरा राजा बेटा, अब मम्मी को लिखते दो । आज सीरियल के हेल्दिनेस पर ही पोस्ट लिख देते हैं ।

कभी-कभी पतिदेव भी चीत्कार करे लगते हैं, अरे कहाँ हो तुम ? हियाँ लैपटॉप पर हैं हम, कुछ लिख रहे हैं, अरे मैडम हमरा मोजा सब कहाँ हैं, अरे सब कपडा ऐसे ही पड़ल है ? कपडा सब धोयाया नहीं है ?? ऐ जी, प्लीज गन्दा कपडा का मोटरी से मोजवा निकाल के पहन लीजिये न , अरे हमको पोस्ट लिखना है, नहीं धो पाए, कल्हे ब्लॉग जगत में बहुते हंगामा था, एकदम मूडी फुटौवल हो रहा था, कोमेंट देने में लगे हुए थे, एही से नहीं धोवाया कपडा सब,  आज पुरनका मोजा पहिन लो, कल पक्का सब कपडा धोवा जाएगा। । अरे लेकिन केतना बार हम गन्दा कपडा का मोटरी से मोजा निकाल-निकाल के पहिरेंगे, तुम भी न हदे कर देती हो एकदम से । का  लिख रही  हो ? 'शारीरिक स्वच्छता बहुत ज़रूरी है' इस पर लिख रहे हैं । उनका वक्र मुस्की, एकदम जी जरा देता है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार चार ठो युग बताया गया है - सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। लेकिन बुझाता है, लिखने बाला  को एक और युग का ज्ञान नहीं था 'ब्लागर युग' । आज ब्लागर युग का ज़माना है। जो कोई भी ब्लागर नहीं है, हमको नहीं लगता उसको मोक्ष या मुक्ति मिलने का चांस है । हम तो यही सोच के परेशान है, जों लोग ब्लोगार नहीं है, उनका तो जन्मे बेकार हो गया  । क़यामत का दिन में तो, डेफिनेटली पूछा जाएगा, आप ब्लॉग्गिंग कीये कि नहीं, अगर कह दिया नहीं कीये, तब तो बच्चू कोई चांस नहीं है ज़न्नत-उन्नत का । इसी लिए हम कह देते हैं, जो भी आपके इस्टी-गुष्टि, दुलारे-प्यारे, परिजन-साजन, माने कि जिन लोगन को भी आप सोचते हैं जन्नत, स्वर्ग, नरक, जहाँ भी आप जाने का सोच रहे हैं, और अगर आपको बुझाता है उनको आपका पडोसी होना ही चाहिए, तो लगले हाथों उनका ब्लॉग्गिंग का मैदान में उतारिये दीजिये, काहे से कि  दिस्मबर 2012 बस आवे वाला है।

ब्लॉग जगत में किसी का भद्द पीटना होवे, या कहीं कोई तीर-कमान छोड़ना होवे, तो हमरा दिल बहुते  विशाल है, हम हरदम तत्पर रहती हूँ, बकिया एक मामला अइसन है, जो कि झेलेबुल नहीं हैं हमरे लिए, हमरे पति के मुंह से पराई स्त्री की तारीफ़, ई बात भला हम कैसे टोलरेट कर लेवेंगे,  वैसे ऊ भी पूरा चाक-चौकस रहते हैं, कोइयो चांस नहीं देते हैं, लेकिन एक दिन बेचारे फिसल गए । कह दिए हमसे, बहुते चौड़ा होकर, तुम आज कल घर का कोइयो काम में धेयान नहीं देती हो, घर का देखो कैसा बाजा बजा रहता है, जब देखो,  खाली ब्लॉग्गिंग-ब्लॉग्गिंग खेलते रहती हो, हमलोग सब तंग आ गए हैं, हम भी और बचवन भी ई तुम्हरी ब्लॉग्गिंग से । एतना तक तो हम झेल गए थे, बहुते आराम से, लेकिन अगला वाक्य बम जइसन लगा था । तुमको तो कुछो होश नहीं रहता, कल ऑफिस से लौटते बखत, पड़ोस वाले मिश्र जी बुला लिए थे हमको, उनका घर केतन सजा-सँवरा, हुआ था, बच्चा लोग भी शाम को पकौड़ी, समोसा सब खा रहा था, हम भी उनका घर से भी चाय पकौड़ी-समोसा खा कर आये थे, मिसेज मिश्र अपना हाथ से बनाई थीं । लेकिन तुमको तो तुम्हरा ब्लॉग्गिंग से ही फुर्सत कहाँ मिलता है, जानती हो, पूरा अढाई साल से हमलोगन का घर में पकौड़ी नहीं बना है । मने मन हम सोचे थे, हाँ-हाँ जानते हैं, कैसे नहीं जानेगे भला, लेकिन फिन सोचे, अगर जे एही  हाल रहा तो ई  मिसेज मिश्र तो मेरा घर तोडिये के रहेंगी । कल ही बुलाते हैं, उनको घर पर, बुझाता है ऊ ब्लॉग्गिंग नहीं करतीं हैं का । यही बात हम  'मित्रता' पर एक पोस्ट लिख मारे  । अगले दिन मिसिज मिश्र को आमंत्रित करिए दिए और उनको ब्लॉग्गिंग पर क्रैश कोर्स भी देईए दिए । ई भी बता दिए की कैसे हम बहुत बड़ी सेलेब्रिटी बन गयी हूँ, उनकी गुमनाम ज़िन्दगी को दो-चार उलाहना भी देईए दिए ताकि उनका, सोया हुआ स्वाभिमान जाग जाए, और बस, इधर हमरी पोस्ट 'मित्रता' हिट हो गई, और उधर मिसेज मिश्र के पकौड़ी-समोसा का दूकान बंद ।

मिसेज मिश्र को जो तनी-मनी  क्रैश कोर्स हम दिए थे, आपको भी बताइये देते  हैं,
ब्लॉग बहुते काम की चीज़ है, बस ज़रुरत है इसका उपयोगिता समझने का । दू-चार ठो  उपयोगिता तो हम हीं  बताय दे रही हूँ , जैसे :

 ब्लॉग का इस्तेमाल बहुते बढियां हथियार जैसन हो सकता है । अगर आपको किसी पर कोई खुन्नस निकालना है, तो आप ब्लॉग पर, जो मन में आये लिख सकते हैं और जनम-जन्म का खुन्नस निकाल सकते हैं ।
अगर किसी के भीतर, ज्ञान का सागर हिलोर मार रहा है, ज्ञान का गुब्बारा फूल कर फूटने वाला है, और ज्ञान उंडेलने का बहुते मन कर रहा है (जैसे हमको आज हो रहा है ) अब अईसे तो आप मजमा लगा कर नहीं बाँट सकेंगे ज्ञान, काहे से कि आपसे पहिले ही बहुत बाबा लोग, अपना-अपना पब्लिक का जोगाड़ कर लिए हैं, तो सबसे बेष्ट जगह है ब्लॉग । दिल खोल के आप अपना ज्ञान बघार सकते हैं, पब्लिक आपको भेटाइये जाएगा । कोई न कोई टकरीये जाएगा बेचारा ब्लोगार, आपका ज्ञान से ज्ञान प्राप्त करने।

जिनको गारी-गुप्ता का बहुते शौक है, और जो बाहर किसी को दे नहीं सकते हैं, काहे से कि हाथ-गोड़ टूटने का पूरा चांस होता है, ऊ बहुते आराम से जी भर के ब्लॉग पर, अनुसंधान कर-कर के गारी दे सकते हैं, बल्कि नया-नया गारी का निर्माण भी कर सकते हैं । कोई समस्या नहीं है । ऊ कभी 'सर्वश्रेष्ठ गारीकार प्रतियोगिता' में भी भाग ले सकते हैं।

कुछ बात का बहुते धेयान रखने का ज़रुरत है, बहुत सारे बेवकूफ लोग, आपकी आलोचना को पचा जाते हैं और आपकी बात मान लेते हैं, बाकि कुछ श्रेष्ठ ब्लोगर जो हैं, ऊ फट से बुरा मान जाते हैं । मूड़ी फुटौवल तक उतर आते हैं। ऐसे ब्लोगर को आप मन-ही-मन गधा मान लीजिये, और झट से मुंडी नवा दीजिये । दुलत्ती से भी आप बच बचा जायेंगे, काहे से की आपकी भलाई भी इसी में है ।

अगर कोई आपको बुरा कहे तो, तपाक से आप उसको धन्यवाद कीजिये और फट से कहिये , अब का कहें बुढ़ापा आ रहा है। ई तो हम सोचबे नहीं किये थे। अच्छा हुआ आप बता दिए नहीं तो इस जनम में तो हम जानबे नहीं करते।

अगर हो सके अपनी खाल मोटा कर लीजिये सुखी रहिएगा । पतला खाल वाला को बहुत तप्लिक हो जाता है । और अगर ई संभव नहीं है, तो तेल लगा कर बैठिये ब्लॉग्गिंग में । सब, गारी-गुप्ता, मीन-मेख, असहमति-आपत्ति पिछरना चाहिए, दिल दिमाग से। सुखी रहिएगा।

भूल कर भी गलत बात मत लिखिए ब्लॉग पर, काहे से की ई शाश्वत हो जाता है, कल आपके नाती-पोते देखेंगे की नाना/दादा या नानी/दादी महारसिक थे तो आपकी इज्ज़त का फालूदा बन सकता है।

किसी पर हमला करवाना है तो, भाड़ा में हमला करवाइए, खुद सामने एकदम मत आइये, जिसपर हमला करवाना है, उसका सामने एकदम बेश्तेष्ट फ्रेंड बने रहिये। ताकि सात जन्म तक, उसको पते न चले, कि  ई का हुआ ।

यही सब कुछ ज्ञान वर्धक बात है, सोचे कि आज येही बात पर हमरी एक पोस्ट हो जाए। ऊ का कहते हैं बगल में छोरा और बाज़ार में ढिंढोरा, अब कहाँ जाते हम अपना पोस्ट का मटेरियल खोजने कहिये तो ?

हाँ नहीं तो.!

47 comments:

  1. किसी पर हमला करवाना है तो, भाड़ा में हमला करवाइए, खुद सामने एकदम मत आइये, जिसपर हमला करवाना है, उसका सामने एकदम बेश्तेष्ट फ्रेंड बने रहिये। ताकि सात जन्म तक, उसको पते न चले, कि ई का हुआ ।

    ;):):)

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  2. हमरा पड़ोसी नहीं हम को जानता है
    हम ब्लॉगर हूँ ,सारा दुनिया पहिचानता है । ।1। ।

    लगा है जी अब इस जी के जंजाल से
    हम ब्लॉगर हूँ ,घिरा हूँ, अब नयी पोस्ट के खयाल से । । 2। ।

    (आपकी यह पोस्ट पढ़ कर मन मे आई कुछ बातें)

    सादर

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    1. अपने ख़यालों की खिचड़ी पकाते जाओ
      पोस्ट के लिए मटेरियल जुटाते जाओ
      ख़ुश रहो..

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  3. ब्लॉग का इस्तेमाल बहुते बढियां हथियार जैसन हो सकता है । अगर आपको किसी पर कोई खुन्नस निकालना है, तो आप ब्लॉग पर, जो मन में आये लिख सकते हैं और जनम-जन्म का खुन्नस निकाल सकते हैं


    आप भी तो वही कर रही हैं .....सादर

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    1. अंजू सिंह चौधरी जी,
      सही कहा आपने, अब देखिये न ये भी तो लिखा है मैंने
      'किसी पर हमला करवाना है तो, भाड़ा में हमला करवाइए '
      कहीं आप.......??

      सादर

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  4. afsos ke jin baton pe aapne vyang kiya hai.....aadhe-se-adhik balke poune blogger isi kam me lipt hain....


    pranam.

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    1. शैलेन्द्र,
      अगर ये बातें न होतीं तो हम व्यंग किस पर करते..:)

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  5. आपका आभार गुरु माँ...
    सब बातें ज़ेहन में उतार लीं....अब कल से लागू भी करते हैं...
    अब हम भी फेमस होकर रहेंगे.
    :-)

    आभार आपका..ह्रदय से...(loved your writing ishtayil)
    सादर
    अनु

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    1. अखंड फ़ेमिसिआओ ...
      तुम्हारा ब्लॉग टिप्पणियों से भरा-पूरा रहे बालिके...:)

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  6. फिसलती ,खुरदुरी .सपाट , चिकनी , साफ , तहदार , सिकन से भरी , थोड़ी गीली लेकिन मन को बहती पोस्ट के लिए नमन ...

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    1. मेरी पूरी पोस्ट का सार आपने चंद शब्दों में समेट दिया..
      आपका आभार..

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  7. मान गए जी .

    हम भी महीना में १० दिन ब्लोग्गर ही हैं.

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    1. दीपक जी,
      आप ख़ुशकिस्मत हैं..सही अर्थों में, महीने के १० दिन की ब्लोगरी होनी चाहिए..
      धन्यवाद

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  8. क्या बात..क्या बात..चौबीसों घंटे ब्लॉग्गिंग करें...फौलोवर बनें..सबको टिपियायें तो क्यूँ ना सेलिब्रिटी कहलायें...:)

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    1. चौबीस घंटा नहीं मैडम, २४ में से २५ घंटा..:)
      हाँ नहीं तो..!

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  9. "और उधर मिसेज मिश्र के पकौड़ी-समोसा का दूकान बंद ..."

    काश बारिश के सीजन में पकौड़ी समोसा की दूकान बंद न हो ... चाहे ब्लागिंग बंद हो जाये ...

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    1. महेंद्र जी,
      इस बात का हम ज़रूर ध्यान रखेंगे, ऐसा हादसा पकौड़ी वाले मौसम में ना हो :)
      धन्यवाद

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  10. ये अलग ही दुनिया है साहब...
    बड़ा मजा आता हैं जब यथार्थ की दुनिया में कोई अपरिचित मिलता है और गहरी साँस लेकर कहता है अरे आप तो ब्लॉग लिखते हैं न... कसम से सारी माथाफोड़ी वसूल हो जाती है....

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    1. हम भी ऐसी ही हूँ..
      किसी भी पार्टी में जाते साथ, पहिला मौका मिलते ही एलान कर देती हूँ, हम ब्लोगर हूँ, उस समय जो लोगन के चेहरा पर 'हिसिंगा' (ईर्ष्या) का भाव देखती हूँ...पार्टी में जाने में, और गिफ्ट ले जाने में जो खर्चा किये होते हैं, सब सूद समेत उसूल हो जाता है :) फिन घूम-घूम के पूछती हूँ Are u a bloggar ? Do u write blog ? Please take my blog address, please comment on my flaana flaana post. :):)

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  11. मनोरंजक. बेहतरीन लेखन.

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    1. सुब्रमनियन जी,
      आप आए, अच्छा लगा...
      हृदय से आभार !

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  12. जितना मैल था, उससे कहीं अधिक धो दिया है, धुलाई के साथ नील और टीनोपाल भी..

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    1. प्रवीण जी,
      आप तो ऐसे कह रहे हैं, जैसे इतनी धुलाई हो गई कि कपड़ा ही नहीं बचा, फिर नील और टीनोपोल कौची में लगायेंगे..??
      :)

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  13. :)

    बहुते बढ़िया पोस्ट लिखी जी आपने..

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  14. ये एक घंटा फालतू का किधर से आया? या उधर पश्चिम में कोई इस्पेशल स्कीम चल रही है आजकल? हम यहाँ मिनट मिनट को तरस रहे हैं और उधर सकल पदारथ हद से ज्यादा, बहुत नाइंसाफी है|

    फट से बुरा मानने से बडा ब्लोगर बन जायेंगे? करते हैं कोसिस बुरा मानने की, हाँ नहीं तो...!!

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    1. आप तो टोपम-टोप ब्लॉगर हैं, अब केतना टोप कीजियेगा..?
      हम ग़रीब ब्लागरों की ख़ातिर भी एक-दू ठो कुर्सी रहने दीजिये ऋषिवर :)

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  15. किसी पर हमला करवाना है तो, भाड़ा में हमला करवाइए, खुद सामने एकदम मत आइये, जिसपर हमला करवाना है, उसका सामने एकदम बेश्तेष्ट फ्रेंड बने रहिये। ताकि सात जन्म तक, उसको पते न चले, कि ई का हुआ ।

    ई सब तो आंखन देखी/भोगी ही है !

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    1. जी वाणी जी,
      बिल्कुल सही कहा आपने, इस पोस्ट का जन्म ही इसी कारण से हुआ है..
      आप आई, बहुत शुक्रिया,,,

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  16. बेहतरीन लेखन धो डाला अदा दी

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    1. अरे नहीं भास्कर,
      हमरी ऐसी कहाँ मजाल...!
      ख़ुश रहो

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  17. पाल ले इक रोग नादां...

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    1. राहुल जी,
      "और भी ग़म हैं ज़माने मे ब्लॉग्गिंग के सिवा"
      आप आए, बे-इन्तहां ख़ुशी हुई..
      आपका आभार

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  18. वाकई ये रोग इत्ता बड़ा है, अभी अभी कुछ समय से इस रोग के चुंगल से बाहर हैं, पर फ़िर से इस रोग का मर्ज कोई है ही नहीं, फ़िर से लगता नजर आ रहा है ।

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    1. विवेक जी,
      वैसे तो कहते हैं कि शक़ का इलाज हक़ीम लुकमान के पास भी नहीं है...
      लेकिन हमको लगता है ब्लॉग्गिंग नाम के मर्ज़ का ईलाज भी हक़ीम लुकमान के पास नहीं है :)
      बस आपको ऐसे ही 'ब्लोगेरिया' होता रहे :)
      बहुत दिनों बाद आपको देखा, ख़ुशी हुई,
      धन्यवाद

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  19. हा हा हा हा………
    आज बहुत दिनों में "अदा जी" टाईप पोस्ट पढकर ज्ञानरंजन हुआ।
    यही तो बात है जो आपको भूलने नहीं देती। एकदमें "धोबी पछाड़"

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    1. ललित जी,
      दाढ़ी ने हमको तिकोना कर दिया था, वरना आदमी हम चौकोना ही थे..:):)
      आपका बहुत आभार !

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  20. अयिशहीं भटकते-भटकते आपके ब्लॉग पे आ गएँ,बहुत ही बढ़िया ब्लॉग हव,मजा आ गईल. हम भी ब्लॉगर हूँ..बस नवा-नवा रोग लगा हव एक साल पहिले.. अब रोग हव की छूटे क नमवे ना लेत बा. आपके ब्लॉग बहुत अच्छा लागल. नमस्कार अदा जी.

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  21. ब्लोगेरिया बहुते खतरनाक बेमारी बा...एकरा कौनो ईलाज नइखे ...:)

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  22. वाह! ई तो झन्नाटेदार पोस्ट है। मजा आ गया! आप तो टापम-टाप ब्लॉगर हैं ही। :)

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    1. का अनूप जी,
      सुबह-सुबह आपको और कोई नहीं मिला का ?
      :)

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    2. हमलोग तो छुटभैये, रेचकी ब्लोग्गर हैं, टोपेस्ट तो हम आपको ही मानते हैं...

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    3. अरे भाई हम जो कहे सच कहे! हम सच कहने से कोई डरते थोड़ी न हैं। हां नहीं तो! :)

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