Tuesday, July 3, 2012

कैसे मान लूँ बोलो तो, कोई पासबाँ नहीं मेरा...

ये तस्वीर कनाडा में Banff नेशनल पार्क की है...

ये ज़मीं नहीं मेरी, वो आसमाँ नहीं मेरा
ठहरी हूँ जहाँ मैं आज, वो जहाँ नहीं मेरा

होगा क्या जुड़ कर भी, उस अनजाने हुज़ूम से 
वो लोग नहीं अपने, वो कारवाँ नहीं मेरा 

बच कर लौट आती हूँ, गज़ब सागर की लहरों से
कल का क्या भरोसा है, वो तूफाँ नहीं मेरा 

कोई है जो मुझको भी, बचा लेता है हर ग़म से
कैसे मान लूँ बोलो तो, कोई पासबाँ नहीं मेरा

शमा हूँ 'अदा', मेरी अपनी वही जलती हुई लौ है 
बुझकर काम क्या आऊँगी, वो धुवाँ नहीं मेरा

पासबाँ=रक्षक 

और अब एक गीत ...इसे गाया है किशोर कुमार ने...लेकिन फिलहाल मैं गा रही हूँ...हाँ नहीं तो...!!
अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो (थोड़ा सा अलग करने की कोशिश की है...लगता है मिस फायर हो गया है )