मिला जब वो प्यार से, तो गुलाब जैसा है
आँखों में जब उतर गया, शराब जैसा है
खामोशियाँ उसकी मगर, हसीन लग गईं
कहने पे जब वो आया तो, अज़ाब जैसा है
करके नज़ारा चाँद का, वो ख़ुश बहुत हुआ
ख़बर उसे कहाँ वो, आफ़ताब जैसा है
करते रहो तुम बस्तियाँ, आबाद हर जगह
इन्सां यहाँ इक छोटा सा, हबाब जैसा है
कुछ दोस्ती, कुछ प्यार, कुछ वफ़ा छुपा लिया
क्यों झाँकना नज़र में ये, नक़ाब जैसा है
अज़ाब=ख़ुदा का क़हर या नाराज़गी
आफ़ताब = सूरज
हबाब=बुलबुला
बड़ी गजब की शायरी है भाई!
ReplyDeleteआप आए, बहार आई :)
Deleteहुए बेवफा तुम,यूँ दूर हमसे हो गए
ReplyDeleteतुमको पाना अब सनम,ख्वाब जैसा है
:-)
शायरा को एक शेर भेंट करती हूँ....
अनु
ई तो हमरे शेरों पर
Deleteबबरशेर का बाप जैसा है :)
थान्कू !
मंजिल पास होती है तो हौसला डगमगाता है ,
ReplyDeleteतेरे जैसे बन्दे को खुदा खुद आजमाता है ..
आप जितना सुन्दर गाती हैं ,उतना ही सुन्दर भावों को संप्रेषित करती हैं वह भी बड़ी बेबबकी से .कोई बड़ाई नहीं .हरियाली की शुभकामनाओं सहित
ख़ुदा की आजमाईश से, हमें क्यूँ कर शिकायत हो
Deleteआज़माता भी वही हमको, वो रास्ता भी बताता है
आपकी बातों ने हौसला और बढ़ाया है..
तहे दिल से शुक्रिया !
अहा, क्या बात है, बस पढ़ते गये....
ReplyDeleteअहा, क्या बात है, बस पढ़ते गये....
ReplyDeleteसिर्फ़ पढ़े नहीं...कोई कमी है, तो वो भी बताएँ...
Deleteवरना हम सुधरेंगे कैसे ?
करते रहो तुम बस्तियाँ, आबाद हर जगह
ReplyDeleteइन्सां यहाँ इक छोटा सा, हबाब जैसा है
बेहतरीन
सादर
अनुज,
Deleteपसंद आया तुम्हें, जानकार अच्छा लगा |
Thanks..!
ReplyDeleteकुछ दोस्ती, कुछ प्यार, कुछ वफ़ा छुपा लिया
ReplyDeleteक्यों झाँकना नज़र में ये, नक़ाब जैसा है
क्या बात..बड़ी जानदार शायरी है..
तुझे जानदार लगी तो डेफिनेटली जानदार है..:)
Deleteअच्छा लगा पढ़ना आपको |
ReplyDeleteशुक्रिया अमित जी ..!
DeleteBahot hi betreen gazal! padh kar lutf aa gaya! :)
ReplyDeleteमेहरबानी..!
Deleteगीत गजब है..
ReplyDeletesunta हूँ तू जाने कहाँ खो जाता हूँ..
मनु जी,
Deleteये गीत ही इतना मधुर है..हर कोई खो ही जाता है..
आपका आभार
ये गीत मेरे पंपसंद गीतों में से एक है, आपकी आवाज में इसे सुनना एक अलग ही अहसास देता है| एक अलग ही दुनिया में पहुँच जाते हैं| एक आपकी ही गज़ल आपने गई थी, कुछ 'सावन की केहुनी' टाईप के बिम्ब इस्तेमाल किये थे जिसमें, बिना संगीत की वो गज़ल भी सुनने में बहुत अच्छी लगती थी और इस पोस्ट पर वो भी खूब जमती| मेरे पुराने सिस्टम में तो डाऊनलोड कर रखी थी मैंने, लेकिन अब उड़ गई :(
ReplyDeleteन जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं :)(film sholey-soorma bhopali :))
Deleteइतनी मेहनत से हम गाते हैं और लोग उड़ा देते हैं, भला कहिये तो !
कोई बात नहीं हम हीं कौन से कम हैं...फिर से डाल देंगे, उसमें का है, अपने घर की खेती है, कौन हमको नौशाद जी से परमिशन लेना है !!
हाँ नहीं तो !