Monday, July 2, 2012

मैं कौन हूँ ??????

ट्रिंग...ट्रिंग..

माँ का फ़ोन आया.....
हेल्लो, हाँ माँ .....आज कैसे फ़ोन कर रही हो?? आज तो बुधवार है....सब ठीक तो है न ...?

हाँ, ठीके है....अब क्या ठीक होना है...बुढ़ापा है...कभी ठीक हैं तो कभी ना ठीक....

माँ क्या हुआ तुम ठीक तो हो न ??? और बाबा कैसे हैं ?? बहुत ज्यादा चिंता रहती है तुमलोगों की ...अब ठंडा आ गया है, अपना ध्यान रखना ...

हाँ ऊ भी ठीके हैं बस खाँसी अब बढ़ गया है....बहुते ठंडा पड़ रहा है, रखते तो हैं अपना ध्यान..

अच्छा ऊ वाला दवा मंगवा ली जो हम लाये थे, और बाबा एकदम ठीक हो गए थे ....

नहीं,  कहाँ मंगवा पाए हैं....

माँ हमको इसी बात से गुस्सा आता है ....हर बार तुमसे कहते हैं और तुम सुनती नहीं हो.....हम जानते थे तुम  दवा नहीं मंगवाई होगी ......एक साल से रट रहे हैं हम, और तुम हो कि अभी तक नहीं मंगवाई हो ....सच में माँ तुम भी न ...खाली जगदीश (ड्राईवर) से बोलना ही तो होता है.... ऊ भी नहीं करती हो...

अरे बाबा कल जगदीश आएगा तो मंगवा लेंगे.....

खैर ये तो हम पिछले एक साल से सुन रहे हैं..और हर बार मेरा मूड ऑफ़ हो जाता है.....इ जगदीश के पास भी एक फोन नहीं है.....सगरो जहां फोन रखता है , जगदीश फोन काहे नहीं रखता है....खैर अब बताओ फ़ोन कुछ बोलने के लिए की ....की ऐसे ही की हो ???

बेटा तुम चिंता मत करो, कल हम ज़रूर मंगवा लेंगे दवा......हाँ इ बताना था कि तुम्हारे सचिन चाचा अब नहीं रहे ....

कौन सचिन चाचा ??

वही तुम्हारे बाबा के चचेरे भाई.....जो वकील थे....

अच्छा वो जो बहुतेअंग्रेजी बोलते थे...

हाँ हाँ वही.....

अच्छा इ तो बहुत बुरा हुआ....क्या हुआ था...?

शायद हार्ट फेल हुआ है ...हमलोग ठीक से नहीं जानते हैं....पता नहीं शायद ५-६ साल से तो मुलाक़ात भी नहीं है....

अच्छा...फिर कैसे पता चला कि ऐसा हुआ है.....?

गाँव से जया (मेरी चचेरी बहन) का फोन आया कि ऐसा दुःख का खबर है....सो घर में छुतका हो गया है...

घर में छुतका का माने ?

अरे अब दस दिन तक हल्दी-तेल नहीं बनेगा न....

अरे उ काहे....? काहे नहीं बनेगा ??? माँ तुम भी न इतनी पढ़ी लिखी होकर ऐसी बात करती हो.....उनलोगों से न कभी मिलना न जुलना...न बात ना चीत फिर तुम रांची में काहे छुतका मानोगी....?

अरे तुमको नहीं करना है इ सब....सलिल (भाई) करेगा..उसको भी बोल दिए हैं.....तुमसे पहिले उसी से बात किये कनाडा में...

अरे माँ......सलिल काहे करेगा दस दिन इसका पारण बताओ तो....उ तो सचिन चाचा से २ बार से ज्यादा मिला भी नहीं होगा... और कनाडा में इसका पारण करने का माने...इ तो बेवकूफी हैं ?? हम रांची में इसका पारण बेवकूफी सोचते हैं और तुम कनाडा में करवा रही हो.....??

उ लोग गोतिया हैं, अपना खून हैं.....तो मानना तो पड़ेगा न....और तुम काहे परेशान हो तुमको नहीं न करना है....

हाँ ..जानते हैं....अगर करना भी होता तो नहीं करते हम...
हम फिर से कहते हैं...जीते जी तो कभी भर मुंह बात नहीं की हो और अब छुतका मान रही हो......इ बात हम नहीं समझे......चलो तुमलोगों की जैसी मर्जी...कर लो बाबा कोई दिक्कत नहीं है..
अच्छा माँ इ बताओ...अगर हमको कुछो हो गया और हम नहीं रहे तो तुम इ दस दिन का हल्दी-तेल बर्जोगी कि नहीं ..??

....................

माँ !!!

माँ !!!
अरे सुन रही हो कि नहीं ??? हम का पूछ रहे हैं ...अगर हमको कुछ हो गया तो, तुम दस दिन का इ तेल-हल्दी बर्जोगी कि नहीं.....कि खैईते रहोगी......बोलो न ???

इ का बेहूदा सवाल है...ऐसे कोई बात करता है.....

माँ जवाब दो.....

हम फालतू बात का जवाब नहीं देते हैं...तुम हमेशा उल्टा-पुल्टा बात करती हो....लो अपने बाबा से बात करो....

माँ बोलो न माँ ...बताओ ना... हम जानना चाहते हैं...हम तुम्हरी अपनी बेटी हैं, फिर भी नहीं बर्जोगी का ???

हाँ हल्लो.....मुन्ना (मेरा घर में पुकारू नाम)....
हल्लो..!!
मुन्ना....???
मुन्ना....???

हाँ बाबा प्रणाम....कैसे हैं.?.......
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ठीक है बाबा अब रखते हैं.....अच्छा बाबा प्रणाम....
टिन...


मैं कौन हूँ ??????