....आज....
सुनते हो..!!
मत हो जाना, तुम मौन,
अन्यथा
मन के भाव,
संचित होकर,
हृदय-भूगर्भ में
उमड़-घुमड़,
न जाने कितने
बंध-अनुबंध,
तोड़ना चाहेंगे ...
देखो ना !!
कितने बादल घिर आये हैं,
मन-आकाश में |
मन के भाव,
संचित होकर,
हृदय-भूगर्भ में
उमड़-घुमड़,
न जाने कितने
बंध-अनुबंध,
तोड़ना चाहेंगे ...
देखो ना !!
कितने बादल घिर आये हैं,
मन-आकाश में |
.....कल....
प्रतीक्षारत नयन,
मुखरित हो जायेंगे
भाव, झमा-झम बरसेंगे
छटेंगे बादल
संशय के,
पारदर्शी हो जायेंगी दिशायें,
हवाएँ सत्य की
हृदय को छूकर गुजरेंगीं
और
हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
मेरे-तुम्हारे
भाव, झमा-झम बरसेंगे
छटेंगे बादल
संशय के,
पारदर्शी हो जायेंगी दिशायें,
हवाएँ सत्य की
हृदय को छूकर गुजरेंगीं
और
हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
मेरे-तुम्हारे
मन में.....
बहुत उम्दा रचना...अच्छा लगा पढ़कर.
ReplyDeleteमन का ऋतु परिवर्तन! -रोचक !
ReplyDeleteपहले तो ये बताएं ...ये सुनते हो किसके लिए है ...हमारे लिए तो ...सुनते हो ...किसी एक का विशेषाधिकार है ....
ReplyDeleteऔर आपके मन के भाव ह्रदय भूगर्भ में ऐसे ही उमड़ घुमड़ कर मन के ऋतु परिवर्तन करते रहेंगे तो हम तो अपनी डिग्रियों को डस्ट बीन में पहुँचाने वाले हैं ....
माशाल्लाह ....क्या गज़ब हिंदी लिखने लगी हैं ....
बहुत सुन्दर भाव ....सुन्दर कविता ....ऋतु परिवर्तन होते दीखने लगा है ...अभी तो वसंत पूरा खिला ही नहीं ...पतझड़ सी हवा चलने लगी है ...!!
मन का ऋतु-परिवर्तन !
ReplyDeleteशानदार रचना । आभार ।
@वाणी जी,
ReplyDeleteये सुनते हो किसके लिए...एक बार मक्खनी की ए जी सुनते हो, ए जी सुनते हो, से तंग आकर मक्खन ने डपटते हुए कहा था कि ये क्या हर वक्त ए जी, ए जी लगाए रखती हो, मक्खनी का जवाब था...अब तुम्हें हर बार अबे गधे(ए जी) सुनना अच्छा लगेगा क्या...
इक ऋतु आए इक ऋतु जाए,
बदले मौसम न बदले नसीब
कौन जतन करूं कौन उपाय,
इक ऋतु आए इक ऋतु जाए,
टक टक सावन आंखें तरस गईं,
बादल तो न बरसे आंखें बरस गईं...
जय हिंद...
मन उपवन में
ReplyDeleteसु्गंधित पवन के झोकों को
अभिव्यक्त होने देना
कौन नहीं चाहेगा....!
आभार..!
पारदर्शी हो जायेंगी दिशायें,
ReplyDeleteहवाएँ सत्य की
हृदय को छूकर गुजरेंगीं
और
हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
मेरे-तुम्हारे
मन में.....
सारगर्भित रचना. सुन्दर प्रयोग और भाव
बेहतरीन
Didi, Kya kahu...badi hi cahhi rachana hai!!chare jaie jaldi jaldi recover jo hona hai. :)
ReplyDeleteकई बार यूं भी मन का हाल मालूम हुआ करता है, आप प्रसन्न हैं ना ? सुंदर रचना. बधाई.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस रचना ने साहिर लुधियानवी जी की ये पंक्तियाँ याद दिला दीं
आज भी जनता भूखी है और कल भी जनता तरसी थी
आज भी रिमझिम बरखा होगी कल भी बारिश बरसी थी
10 baar padh gaya upar se neeche tak, tab jakar samajh aaya.. kya karein, akal hi nahi hai...
ReplyDeleteसुन्दर प्रयोग और भाव
ReplyDeleteबेहतरीन
मन का विचार दमित होकर ह्रदय में कितनी उमड़-घुमड़ करता है और वही जब किसी प्रिय के साथ संवाद में रुपायित हो जाए तो दो दिलों में बसंत-बहार आ जाती है ... एक सुंदर भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteअच्छी रचना। ॠतु परिवर्तन का हम भी इंतजार कर रहे हैं।
ReplyDeleteहो जाएगा ऋतु परिवर्तन
ReplyDeleteमेरे-तुम्हारे मन में.....
गहरे भाव लिए लिखा है ......... बहुत लाजवाब रचना ....... एहसास जो सीधे उतार गये अंदर तक .........
इसी कल और आज के बीच में जीवन है ...
ReplyDeleteअदा जी आदाब
ReplyDelete.......हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
मेरे-तुम्हारे मन में.....
वाह, बधाई
MAN KA RITU PARIVARTAN........EK KHOOBSOORAT DRISHTIKON.
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना ......
ReplyDeleteसुंदर. प्रवाहमान रचना.
ReplyDeletewow...here comes a tough competition to Himanshu and Om Arya!!!
ReplyDeletehats off ma'm!
kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.....!!
ReplyDeleteGirijesh ji ne kaha....
ReplyDeleteजरा सुनते हो के पहले
.... आज ....
जोड़ कर देखें
और
कल .... को .... कल ...
कर के देखें।
...
सफल दाम्पत्य की रोजमर्रा खटर पटर जब थोड़ी गम्भीर हो जाय तो ऐसे भाव आते
हैं। दुबारा नोक झोंक होने की सामान्यता आने में एक दिन तो लगता ही है।
उस दौरान मन में उमड़ते कोमल भावों को अद्भुत अभिव्यक्ति दी है आप ने।
निशब्द हैं जी....
ReplyDeleteऔर मौन भी..
हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
ReplyDeleteमेरे-तुम्हारे मन में.....
बहुत ही सुन्दर रचना....
आभार्!
बेहतरीन!
ReplyDeleteis ritu parivartan ke kya kahne
ReplyDeletesundar !!
Hello :)
ReplyDeleteYeh lines beautiful hain :)
प्रतीक्षारत नयन,
मुखरित हो जायेंगे
भाव, झमा-झम बरसेंगे
Wo kehte hain naa... Rain of emotions... Nice picture used!
Regards,
Dimple
शानदार रचना.
ReplyDeleteमन का ऋतु परिवर्तन!
...वाह!
सुनते हो..!.. ने तो गजब की सम्प्रेषण दिया है अभिव्यक्ति को.
मेरे-तुम्हारे
ReplyDeleteमन में.....
सारगर्भित रचना. सुन्दर प्रयोग और भाव
बेहतरीन