Sunday, January 31, 2010

ऋतु परिवर्तन...


 ....आज....

सुनते हो..!!
मत हो जाना, तुम मौन,
अन्यथा
मन  के भाव,
संचित होकर,
हृदय-भूगर्भ में
उमड़-घुमड़,
न जाने कितने
बंध-अनुबंध,
तोड़ना चाहेंगे ...
देखो ना !!
कितने बादल घिर आये हैं,
मन-आकाश में |

.....कल....
प्रतीक्षारत नयन,
मुखरित हो जायेंगे 
भाव,  झमा-झम बरसेंगे
छटेंगे बादल
संशय के,
पारदर्शी हो जायेंगी दिशायें,
 
हवाएँ सत्य की
हृदय को छूकर गुजरेंगीं   

और
हो जाएगा ऋतु परिवर्तन 
मेरे-तुम्हारे 
मन में..... 

30 comments:

  1. बहुत उम्दा रचना...अच्छा लगा पढ़कर.

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  2. मन का ऋतु परिवर्तन! -रोचक !

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  3. पहले तो ये बताएं ...ये सुनते हो किसके लिए है ...हमारे लिए तो ...सुनते हो ...किसी एक का विशेषाधिकार है ....
    और आपके मन के भाव ह्रदय भूगर्भ में ऐसे ही उमड़ घुमड़ कर मन के ऋतु परिवर्तन करते रहेंगे तो हम तो अपनी डिग्रियों को डस्ट बीन में पहुँचाने वाले हैं ....
    माशाल्लाह ....क्या गज़ब हिंदी लिखने लगी हैं ....
    बहुत सुन्दर भाव ....सुन्दर कविता ....ऋतु परिवर्तन होते दीखने लगा है ...अभी तो वसंत पूरा खिला ही नहीं ...पतझड़ सी हवा चलने लगी है ...!!

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  4. मन का ऋतु-परिवर्तन !
    शानदार रचना । आभार ।

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  5. @वाणी जी,
    ये सुनते हो किसके लिए...एक बार मक्खनी की ए जी सुनते हो, ए जी सुनते हो, से तंग आकर मक्खन ने डपटते हुए कहा था कि ये क्या हर वक्त ए जी, ए जी लगाए रखती हो, मक्खनी का जवाब था...अब तुम्हें हर बार अबे गधे(ए जी) सुनना अच्छा लगेगा क्या...

    इक ऋतु आए इक ऋतु जाए,
    बदले मौसम न बदले नसीब
    कौन जतन करूं कौन उपाय,
    इक ऋतु आए इक ऋतु जाए,
    टक टक सावन आंखें तरस गईं,
    बादल तो न बरसे आंखें बरस गईं...

    जय हिंद...

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  6. मन उपवन में
    सु्गंधित पवन के झोकों को
    अभिव्यक्त होने देना
    कौन नहीं चाहेगा....!

    आभार..!

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  7. पारदर्शी हो जायेंगी दिशायें,
    हवाएँ सत्य की
    हृदय को छूकर गुजरेंगीं
    और
    हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
    मेरे-तुम्हारे
    मन में.....
    सारगर्भित रचना. सुन्दर प्रयोग और भाव
    बेहतरीन

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  8. Didi, Kya kahu...badi hi cahhi rachana hai!!chare jaie jaldi jaldi recover jo hona hai. :)

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  9. कई बार यूं भी मन का हाल मालूम हुआ करता है, आप प्रसन्न हैं ना ? सुंदर रचना. बधाई.

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  10. सुन्दर प्रस्तुति!

    आपकी इस रचना ने साहिर लुधियानवी जी की ये पंक्तियाँ याद दिला दीं

    आज भी जनता भूखी है और कल भी जनता तरसी थी
    आज भी रिमझिम बरखा होगी कल भी बारिश बरसी थी

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  11. 10 baar padh gaya upar se neeche tak, tab jakar samajh aaya.. kya karein, akal hi nahi hai...

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  12. सुन्दर प्रयोग और भाव
    बेहतरीन

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  13. मन का विचार दमित होकर ह्रदय में कितनी उमड़-घुमड़ करता है और वही जब किसी प्रिय के साथ संवाद में रुपायित हो जाए तो दो दिलों में बसंत-बहार आ जाती है ... एक सुंदर भावपूर्ण रचना ।

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  14. अच्‍छी रचना। ॠतु परिवर्तन का हम भी इंतजार कर रहे हैं।

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  15. हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
    मेरे-तुम्हारे मन में.....

    गहरे भाव लिए लिखा है ......... बहुत लाजवाब रचना ....... एहसास जो सीधे उतार गये अंदर तक .........

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  16. इसी कल और आज के बीच में जीवन है ...

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  17. अदा जी आदाब
    .......हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
    मेरे-तुम्हारे मन में.....
    वाह, बधाई

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  18. MAN KA RITU PARIVARTAN........EK KHOOBSOORAT DRISHTIKON.

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  19. बहुत प्यारी रचना ......

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  20. wow...here comes a tough competition to Himanshu and Om Arya!!!

    hats off ma'm!

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  21. Girijesh ji ne kaha....

    जरा सुनते हो के पहले
    .... आज ....
    जोड़ कर देखें
    और
    कल .... को .... कल ...
    कर के देखें।
    ...
    सफल दाम्पत्य की रोजमर्रा खटर पटर जब थोड़ी गम्भीर हो जाय तो ऐसे भाव आते
    हैं। दुबारा नोक झोंक होने की सामान्यता आने में एक दिन तो लगता ही है।
    उस दौरान मन में उमड़ते कोमल भावों को अद्भुत अभिव्यक्ति दी है आप ने।

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  22. निशब्द हैं जी....
    और मौन भी..

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  23. हो जाएगा ऋतु परिवर्तन
    मेरे-तुम्हारे मन में.....
    बहुत ही सुन्दर रचना....
    आभार्!

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  24. is ritu parivartan ke kya kahne
    sundar !!

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  25. Hello :)

    Yeh lines beautiful hain :)

    प्रतीक्षारत नयन,
    मुखरित हो जायेंगे
    भाव, झमा-झम बरसेंगे

    Wo kehte hain naa... Rain of emotions... Nice picture used!

    Regards,
    Dimple

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  26. शानदार रचना.
    मन का ऋतु परिवर्तन!
    ...वाह!
    सुनते हो..!.. ने तो गजब की सम्प्रेषण दिया है अभिव्यक्ति को.

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  27. मेरे-तुम्हारे
    मन में.....
    सारगर्भित रचना. सुन्दर प्रयोग और भाव
    बेहतरीन

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