अवरुद्ध रुद्ध हुआ कंठ मेरा आपका जो प्यार देखा
झाँझ झंकृत हो गये जो हृदयंगम कोई तार देखा
प्रणय तूलिका भाव रचना स्नेह अपरम्पार देखा
सजल दृष्टि छलक छलकी प्रेम गौरव अपार देखा
प्राण-प्राण में है श्वास-सरगम जीवनाधार देखा
मोहपाश में विचर रहा मन नेह नेह निहार देखा
संयोग अच्छा था ...
ReplyDelete'नेह-नेह' पर अपनी एक मॉडरेटेड कविता याद आ गई। नहीं करना चाहिए था।...
ग़जब की गठन लिए कविता है!
main kuchh kahne layak bacha nahin ab... bade log hi aake bolenge di...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें....
जय हिंद... जय बुंदेलखंड...
प्रेम गरिमा , अवरुद्ध कंठ , सजल नयन , मोह पाश , नेह विचार ....क्या बात है ....वल्लाह ....!!
ReplyDeleteहम्म्म्म....अब ये किन संगतियों का नतीजा है ...
अब तो मोटापा कम होकर ही रहेगा ....:):)
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ....!!
झाँझ झंकृत हो गये जो हृदयंगम कोई तार देखा
ReplyDeleteसमृद्ध रचना, भाव सघन
कलम को सलाम
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDelete♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
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हे! प्रभु यह तेरापन्थ
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इतनी शुद कविता जितना गंगा जल {गोमुख क}
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ... चलो हम भारत देश को वस्तुत: गण के तंत्र में विकसित करें ।
ReplyDeleteप्राण-प्राण औ साँस-साँस संग जीवन-आधार देखा
मोहपाश में विचर रही हूँ नेह-नेह निहार देखा
सुंदर मोहपाश ....
जय हो!! ऐसी रचना कि बस यही कह सकते हैं..जय हो!!
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ.
पहले सितम ढाते है, फिर कहते हैं बीमार का हाल अच्छा है...
ReplyDeleteअल्लाह, ये अदा कैसी इन स्वप्नगीतों की...
जय हिंद...
भाषा और शब्दों पर आपका दुर्लब्द व्यवहार देखा !
ReplyDeleteकवि सी कोमलता देखी और दीवानों सा प्यार देखा !! :)
गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाए .....!!
गणतंत्र दिवस की ६० वीं वर्षगाँठ पर आपको हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteइस सुन्दर रचना के लिए बधाई।
इतना स्नेह हो तो जीवन?
ReplyDeleteरचना के लिए बधाई!
नेह-नेह निहार देखा..
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .
प्राण-प्राण औ साँस-साँस संग जीवन-आधार देखा
ReplyDeleteमोहपाश में विचर रही हूँ नेह-नेह निहार देखा
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें
ReplyDeleteप्राण-प्राण औ साँस-साँस संग जीवन-आधार देखा
ReplyDeleteमोहपाश में विचर रही हूँ नेह-नेह निहार देखा
वाह । अति सुन्दर। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
अवरुद्ध रुद्ध हुए कंठ मेरे आपका जो प्यार देखा
ReplyDeleteझाँझ झंकृत हो गये जो हृदयंगम कोई तार देखा
नायाब रचना.
रामराम.
अदा साहिबा, आदाब
ReplyDeleteवही... भावपूर्ण रचना..!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
और हां
(जज्बात पर भी है जश्न का माहौल)
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
http://shahidmirza.blogspot.com/2010/01/blog-post_26.html
--कन्ठ --एक होता है--हुए व मेरे बहु बचन ,अशुद्ध है.
ReplyDelete--अवरुद्ध-रुद्ध-एक ही बात है, पुनराव्रित्ति दोष
--गरिमा-स्त्री लिन्ग है, देखी होना चाहिये.
भावना पक्ष सुन्दर है।
dr. Shyam ji,
ReplyDeletetruti ki or ingit karne ke liye..punuravriti dosh ko rehne dungi..
aabhaari hun..
ab sudhaar diya hai..
dhanyawaad..
भावों की गहराई अपनी पूरी कहानी कह रही है ।
ReplyDeleteआभार ...!
बड़ी अच्छी कविता लिखी है...एकदम भावभरी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
मन्त्रमुग्ध ,मोहक ,मदन -मोहपाश ,मोहनाश्त्र,
ReplyDeleteखूब पञ्च मकारों का आह्वान है मधु पर्व के उत्थान पर
bhavpurn abhivyakti bhaut sunder
ReplyDeleteAda ji,
ReplyDeletekya gazab ki kavita likh di aapne
hindi mein bhi ap bejod hain
kavita ka gathan anupam hai
badhai !!
आजकल कुछ हटकर लिख रही हैं आप....
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है...
प्राण-प्राण में है श्वास-सरगम जीवनाधार देखा
मोहपाश में विचर रहा मन नेह नेह निहार देखा
हल्का खटका लिए..
बहुत ..बहुत ...बहुत सुन्दर कविता...
अद्भुत आपकी ये अदा तो हर अदा की तरह कातिल है ,
ReplyDeleteअजय कुमार झा
अदा जी,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता...
आज कल आप अलग तरह से लिख रही हैं लेकिन आपका ये अंदाज भी लाजवाब है..
accha hai ji..
ReplyDeleteहर बार की तरह
ReplyDeleteइस बार भी कुछ हटके हटके
आपकी हर अदा के दिवाने हैं हम, रचना बहुत अच्छी लगी गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें.
ReplyDelete@दीपक भईया
जय हिंद तो अच्छी तरह से समझ पा रहा हूं, लेकिन आप जैसे बुद्धजीवि से जय बुंदेलखंड सुनकर जरा अजीब सा लग रहा है, पता नहीं इसके पिछे की बात क्या है ।
इस कविता मै तो आप ने हम सब को धन्यवाद लिख दिया,अब हम सब एक दुसरे से एक अंजान रिश्तो मे बंध चुके है, एक दुसरे का दुख सब क दुख है, आप की कल की पोस्ट के बारे आज मै सारा दिन सोचता रहा, आज आप्की कविता बहुत अच्छी लगी
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की शुभकामनाऎँ
राज जी और सभी मेरे अपने,
ReplyDeleteआपने सही कहा परसों कि पोस्ट पढने के बाद मुझे तो अपनत्व मिला है आप सबसे मैं बहुत कृतज्ञं हुई हूँ..
मेरी यह कविता मेरा धन्यवाद ज्ञापन है आप सब के लिए...
नत मस्तक हूँ मैं...
बहुत ही प्यारा कलेवर मिल गया है आपकी कविता को !
ReplyDeleteशब्द सज रहे हैं ! चमक रही है कविता ।
आभार ।
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteइस सुन्दर रचना के लिए बधाई।
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