यह एक पुरानी कविता है ..लेकिन अहसास आज भी वही है...
दूर के ढोल सुहावन भैया
दिन रात येही गीत गावें हैं
फोरेन आकर तो भैया
हम बहुत बहुत पछतावे हैं
जब तक अपने देस रहे थे
बिदेस के सपने सजाये थे
जब हिंदी बोले की बारी थी
अंग्रेजी बहुत गिटगिटाये थे
कोई खीर जलेबी अमरती परोसे
तब पिजा हम फरमाए थे
वहाँ टीका सेंदूर, साड़ी छोड़
हरदम स्कर्ट ही भाए थे
वीजा जिस दिन मिला था हमको
कितना हम एंठाए थे
हमरे बाबा संस्कृति की बात किये
तो मोडरनाईजेसन हम बतियाये थे
दोस्त मित्र नाते रिश्ते
सब बधाई देने आये थे
सब कुछ छोड़ कर यहाँ आने को
हम बहुत बहुत हड़ाबड़ाए थे
पहिला धक्का लगा तब हमको
जब बरफ के दर्शन पाए थे
महीनों नौकरी नहीं मिली तो
सपने सारे चरमराये थे
तीस बरस की उम्र हुई थी
वानप्रस्थ हम पाए थे
वीक्स्टार्ट से वीकएंड की
दूरी ही तय कर पाए थे
क्लास वन का पोस्ट तो भैया
हम इंडिया में हथियाए थे
कैनेडियन एक्स्पेरीएंस की खातिर
हम महीनों तक बौराए थे
बात काबिलियत की यहाँ नहीं थी
नेट्वर्किंग ही काम आये थे
कौन हमारा साथ निभाता
हर इंडियन हमसे कतराए थे
लगता था हम कैनेडा नहीं
उनके ही घर रहने आये थे
हजारों इंडियन के बीच में भैया
ख़ुद को अकेला पाए थे
ऊपर वाले की दया से
हैण्ड टू माउथ तक आये हैं
डालर की तो बात ही छोड़ो
सेन्ट भी दाँत से दबाये हैं
मोर्टगेज और बिल की खातिर
ही तो हम कमाए हैं
अरे बड़े बड़े गधों को हम
अपना बॉस बनाये हैं
इनको सहने की हिम्मत
रात दिन ये ही मनाये हैं
ऐसे ही जीवन बीत जायेगा
येही जीवन हम अपनाए हैं
तो दूर के ढोल सुहावन भैया
दिन रात येही गीत गावे हैं
फोरेन आकर तो भैया हम
बहुत बहुत पछतावे हैं
अब आप गाना सुनिए 'अदा' की आवाज़ में 'आपके हसीन रुख पे आज नया नूर है'....
अरे बाबा !! हाँ.... हाँ .....हम जानते हैं ई गितवा रफ़ी साहब गाये हैं ..तो का हुआ ..हमको गाने में कोई कर्फु लगा है का...मन किया गा दिए हैं, अब सुन लीजिये न प्लीज ....!!
|
रोचक ढंग से सारा कुछ समझा कर रख दिया है आपने ।
ReplyDeleteआपकी आवाज में रफी वाला गीत खूबसूरत है । आभार ।
बहुत सुंदर-रोचक प्रस्तुति।
ReplyDeleteआभार
यह है एक आदर्श संघर्ष गाथा -जज्बे को सलाम !
ReplyDeleteकविता का तो क्या कहें...गीत भी जबरदस्त गाया है...वाह!!
ReplyDeleteसच कहा ...दूर के ढोल सुहावने होते हैं ....कई बार अनुभव किया है ..
ReplyDeleteकही इसीलिए तो आप हमें अच्छी नहीं लगती ....हा हा हा ...
वसंत तो यहाँ छाया है भरपूर ...सुरूर है आपकी आवाज का ...
अजब सी मस्ती है इस गाने में ...और इसे भरपूर निभाया है आपने ...
और आखिरी लोरी सी सुनाती धुन ...जैसे पवन झुला झुला रही हो ..
अब किसी का दिल मचल जाये तो उसका क्या कुसूर है .....:):):)
Bahut Khub,Vartmaan sandharbh main aapki kavita bahut prasangik hai....
ReplyDeleteअरे नहीं, कुछ भी हो वहाँ अपनी रचनात्मकता को सँवारने और अभिव्यक्ति के उत्तम अवसर तो मिलते ही हैं।
ReplyDeleteजीवन की गुणवत्ता बेहतर है।
यहाँ देखिए सीवर के एक खुले मैनहोल का ढक्कन तक 6 महीने प्रयास के बाद भी नहीं लग पा रहा। वहाँ अव्वल तो होता नहीं, होता तो पब्लिक कोर्ट में घसीट लेती। यहाँ 4 जूता खा कर भी शरीफ आदमी कोर्ट में जाना नहीं चाहता। जब फैसला आएगा, अगली पीढ़ी बुढ़ऊ के श्राद्ध में मंत्रोच्चार के साथ उनके दुस्साहस को कोसती बैठी होगी।:)सीवर मैन्होल के उपर गुमटी में दूध बिक रहा होएगा - Indian Solution of the problem - Lateral thinking.
हाँ 'नोस्टैल्जिया'(ऐसे ही पढ़ते हैं क्या?) हेतु कविता अच्छी है।
गीत सुन नहीं पा रहा। नहीं नहीं, आप की तरफ से गड़बड़ नहीं है। ई मुआ मोबाइल.... आगे तो आप मेरी इस समस्या से सुपरिचित हैं, का कहें।
अच्छा किया जो इस कविता के माध्यम से बता दिया कि विदेश में जाकर भी पछतावा होता है। अब हमारा यह पछतावा कि हम कभी विदेश नहीं जा पाये दूर हो गया है।
ReplyDelete"आपके हसीन रुख ..", जो कि मेरे प्रिय गीतो में से एक है, को आपकी आवाज में सुनकर बहुत अच्छा लगा!
बहुत सुंदर लिखा और गीत बहुत ही मधुर.
ReplyDeleteरामराम.
अदा जी..
ReplyDeleteकविता पहले पढ़ी हुयी है..
गीत भी सुना है..
फिर सुन लेंगे...
लेकिन फिलहाल नज़र में खटक रही हैं ये तस्वीरें...जो आपने दाहिनी तरफ लगाई हुई हैं...
खासकर तिरंगा ऐसे पाँव के निचे बिछे देखना बड़ा बुरा लग रहा है...
तिरंगा तो शायद भगवान् के पाँव के नीचे भी यूं.. बिछा नहीं देखना चाहता...
बहुत सुंदर लगा यह गीत,धन्यवाद.
ReplyDeleteवाह जी. बहुत अच्छे से गाया है गीत. बघाई.
ReplyDeleteHam to bina videsh gayehi samajh gaye....ki, apna dhol baj jayega,gar pahunch gaye!Isliye bitiya wahan hokar bhi visa tak nahi nikalwaya!Bach gaye,bach gaye!
ReplyDeleteGeet kisee karan sun nahi payi...
तूने पैसा बहुत कमाया,
ReplyDeleteइस पैसे ने देश छुड़ाया,
पंछी पिंजड़ा तोड़ के आ जा,
अपने घर में भी है रोटी...
चिट्ठी आई है, वतन से चिट्टी आई है....
सोच रहा हूं चेहरे का नूर कुछ कम कर लूं...ऐसे ही बेकार में सबको परेशानी हो...क्यों अदा जी ठीक है न...
जय हिंद...
अदा जी ! आज तो आपकी कलम को चूमने को दिल कर रहा है सच्ची...वाह क्या आइना दिखाया है आपने ...बहुत खूब अभी कल ही एक लेख पोस्ट किया है मैने कुछ ऐसा ही जरा नजर डालियेगा..
ReplyDeleteor han geet bahut sunder gaya hai.
कल ही इसी विषय पर शिखा की पोस्ट पढ़ी...और क्या संयोग है..कमेन्ट में मैंने यही लिखा था...'दूर के ढोल कितने सुहावने लगते हैं " और तुमने इस कविता में सारी सच्चाई बयाँ कर दी..
ReplyDeleteगाना तो हमेशा की तरह तुम्हारी सुमधुर आवाज़ में और भी प्यारा लगा..
तो दूर के ढोल सुहावन भैया
ReplyDeleteदिन रात येही गीत गावे हैं
फोरेन आकर तो भैया हम
बहुत बहुत पछतावे हैं
अभी चिड़िया ने खेत नहीं चुगे होंगे कि पछताना पड़े .....रस्ता भी है और वतन की पुकार भी ......
गीत जबरदस्त ......!!
अदा दीदी चरण स्पर्श
ReplyDeleteक्या बात है, आपने तो पूरी कहानी ही बयाँ कर दी इस कविता टाइप रचना में । बहुत खूब
Jo nahi janta ho ki yah geet aapke swar me hai,wah kalpna nahi kar sakta ki yah swar kisi professional gayika ka gaya nahi hai....kya aawaaz hai aapki...waah !!! lajawaab !!! ek to yah geet hi itna madhur hai,uspar se ise aapne apna kanthswar de ekdam shahad sa bana diya...
ReplyDeleteDoor ke hool ki bhali kahi aapne apni rachna me....
@वाणी .
ReplyDeleteसच कहा ...दूर के ढोल सुहावने होते हैं ....कई बार अनुभव किया है ..
कही इसीलिए तो आप हमें अच्छी नहीं लगती ....हा हा हा ...
कल मैंने किसी को अपना हाथ दिखाया था ...उसने बताया कि आपके हाथों में किसी खूबसूरत लड़की का कत्ल लिखा हुआ है...
वाणी तुम कितनी खूबसूरत हो ...:):)
@ खुशदीप जी,
ReplyDeleteसोच रहा हूं चेहरे का नूर कुछ कम कर लूं...ऐसे ही बेकार में सबको परेशानी हो...क्यों अदा जी ठीक है न...
हाँ खुशदीप जी,ये काम तो आप कर ही लीजिये..मुझे ही कितनी बार परेशानी हुई है...अब हर बार चश्में का नम्बर बदल जाता है...:)
और दूसरों पर रहम कीजिये....प्लीज ..!!
bahut achchi kavita
ReplyDeletebahaut anokha andaaz
waaaaaaaaaaaaaaaaaaaah.
ReplyDeleteकविता तो बहुत पोल खोल रही है, लेकिन अति सुंदर. अदा जी अदा यानि आप की आवाज मे गीत रात को सुने गे, धन्यवाद
ReplyDeleteपहले तो आपकी मधुर आवाज़ मे सुना गीत बेहद कर्णप्रिय लगा . और कविता के बारे मे कहना ही क्या
ReplyDeleteपहले तो आपकी कविता पढ़ कर स्तब्ध सा काफी देर तक सोचता रह गया....क्या सचाइयां वास्तव में इतनी कठोर है..या कविता में आपकी अभिव्यंजना अतिरेक है.मन बोझिल सा हो गया हम चाहते है की हमारे बच्चे विदेश जाए क्योंकि वहां शायद उनकी प्रतिभा की कद्र हो...वहां का जीवन स्तर अच्छा है...पर आपकी कविता के बाद सिरे से वापस सोचना पड़ता ...खैर!आपकी मधुर आवाज ने मानो सारी चिंताएं दूर कर दी...आपकी पिछली पोस्ट पर जोशुआ मोनेसन की मनमोहक तस्वीर आपके मुजिक विजेट के नीचे आपकी मधुर आवाज के साथ मानो कोरस कर रही थी...आनंदित हो गए.आभार.
ReplyDeleteada di aap jhoot bol rahi hai ki ye aapki awaaz me gaya hua geet hai..bhai me to nahi maanti...lol jabardasti hai kya aur ab kya aap katil bhi banengi??????vo bhi vaani ji ki...ch.ch.ch...kitttiii galat baat he i to ka isi ki siksa lene layi bidesh bheji ka tumko????? bahut buri baat...!! aur ham nahi maan rahe to hamara katl mat kar dena...haa.n kahe dete hai indian police ko bhej denge aapke ghar ...tehkikat nahi karenge to kam se kam aap ke ghar me dharna to denge aur fir aap kehti rehna 'athithi tum kab jaoge'
ReplyDeleteaur ye kavita door k dhol....bhai waah such ka aaiyna dikha diya aapne aur aapki is bhasha me padh kar maja aa gaya.. aur sath me apne armaano ko bhi paani daalne ka mauka mil gaya ki bhaiya kachhu na he bides me...hamari bichari ada di hi pareshaan ho rahi hai aur samjhe ki bas swapn manjusa hi he ye videsh bhraman bhi.kyu theek keh rahi hu na. (ha.ha.ha.)
wo pahile waali tasweerein hata kar..mayank ki kalaakaari dikhaane kaa bahut bahut shukriyaaa adaa ji....
ReplyDeletemanu 'betakhllus'
bahut hi sundar bhaavpurn kavita.iski vyanjna gazab ki hai.
ReplyDeleteaapki aawaaz ke kya kahne subhaan allah!
aap hamzabaan par aayin, aabhaar!
Dear 'ADA' I am sorry for I have not replied timely as I was busy writing at redroom .com. Your voice has an excellent smooth quality, like many veteran gazal maestros.My daughter too likes it.I have listen almost all your songs but that Gazal was special.Thanks for taking effort to write me. Can see my blogs at,
ReplyDeletehttp://www.redroom.com/member/jiturajgor
Oji wah.......
ReplyDeleteKya khub gatin hain aap...office kuchh tantion mud me aaya tha aapki awaj ne mujhe kuchh rahat di ..kai bar suna fir bhi dil nahi bhara!waise bhi ish gane ko main pahli bar sun raha hun so mujhe rafi sahab ki awaj na hone ka malal bhi nahi laga...ap jitna achchha likhtin hain..usase kahin jyada achchha gati hai..
नहीं जी, कोई कर्फ़्यु नहीं है.
ReplyDeleteआज घूमते घूमते बडे दिनों में इधर आ गया तो बस सुरूर ही सुरूर है यहां..
अदाजी, इस गानें को आपने बढियां निभाया है, और इसमें नारीसुलभ भावनाओं का जो शेड सुनाई देता है, ये कतई मेहसूस नहीं होता है कि ये गीत पुरुष स्वर में किसी पुरुष नें महिला के लिये गाया है.साथ ही आपकी आवाज़ के टिंबर में एक नन्ही सी बच्ची की सी शोखी है, जो इसे और आगे ले जाता है.
बधाईयां.
इस गाने के दो ट्रेक्स हैं मेरे पास , फ़िर भी यह उन्से बेहतर है. अगर संभव हो तो भेजियेगा.
वाह जी. बहुत अच्छे से गाया है गीत
ReplyDeleteबहुत सुंदर लगा यह गीत,धन्यवाद.
ReplyDelete