दिल या हृदय कुछ भी कह लें , मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है.... एक अदना सा दिल या हृदय ..यही है जो असंख्य मानवीय क्रियाओं का निर्देशन करता है,...बिना हृदय के न प्रेम संभव है न ही क्रोध....इसके बिना न लाज, न काज, न सेवा और न ही अपराध ...हर अच्छे बुरे काम के पीछे हाथ होता है दिल या हृदय का ..मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग ... जो सपूर्ण संसार के मानवीय क्रीडाओं का स्रोत बना हुआ है....
या यूँ कहिये कि... हृदय मानव शरीर रुपी भवन में विराजमान जीवन का रक्षक है ...हृदय रुका और जीवन समाप्त...इसलिए इस हृदय की देख-भाल, उसकी रक्षा तथा उसे स्वास्थ्य रखना ...जीवन रक्षा के लिए अतिआवश्यक है....
हृदय इतना सशक्त और क्रियाशील है कि अनेक वर्षों तक लगातार बिना थकन या शिथिलता दिखाए हुए अपना कार्य करता ही रहता है...यह कभीजल्दी से धोखा भी नहीं देता...प्रति मिनट ५ लीटर रक्त हमारी नाड़ियों में प्रवाहित करता रहता है...यह अबाध रूप से २४ घंटे अपना कार्य करता है...यह अचेतन मन कि भांति ऐसा अंग है जो न नींद जानता है न आराम...बस चलता रहता है ......चलता रहता है....
परन्तु अगर इस अमूल्य अंग का धारक इसकी देख-भाल ठीक से न करे तो इतना शक्तिशाली अंग भी रोगी हो सकता है....और तब इसे हम हृदय रोग से ग्रस्त कहते हैं ..
यूँ तो आज के तनावग्रस्त जीवन में हृदय रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है...लेकिन यह भी सच है कि हृदय रोग के इलाज में भी भारी उन्नति हुई है....अब विकार युक्त हृदय को सम्हाला जा सकता है..शल्य-चिकित्सा द्वारा हृदय को विकार मुक्त किया जा सकता है..
हृदय इतना सशक्त और क्रियाशील है कि अनेक वर्षों तक लगातार बिना थकन या शिथिलता दिखाए हुए अपना कार्य करता ही रहता है...यह कभीजल्दी से धोखा भी नहीं देता...प्रति मिनट ५ लीटर रक्त हमारी नाड़ियों में प्रवाहित करता रहता है...यह अबाध रूप से २४ घंटे अपना कार्य करता है...यह अचेतन मन कि भांति ऐसा अंग है जो न नींद जानता है न आराम...बस चलता रहता है ......चलता रहता है....
परन्तु अगर इस अमूल्य अंग का धारक इसकी देख-भाल ठीक से न करे तो इतना शक्तिशाली अंग भी रोगी हो सकता है....और तब इसे हम हृदय रोग से ग्रस्त कहते हैं ..
यूँ तो आज के तनावग्रस्त जीवन में हृदय रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है...लेकिन यह भी सच है कि हृदय रोग के इलाज में भी भारी उन्नति हुई है....अब विकार युक्त हृदय को सम्हाला जा सकता है..शल्य-चिकित्सा द्वारा हृदय को विकार मुक्त किया जा सकता है..
लेकिन हृदय को बीमार ही होने नहीं देना चाहिए ...और यह बिलकुल संभव है ....थोड़े से बचाव के उपाय से..और इसके लिए आवश्यक है उन सभी परिस्थियों से दूर रहने की जो हृदय को रोगी बनाने के कारण हो सकते हैं...
निम्नलिखित बातों को अगर अपनाया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है..
निम्नलिखित बातों को अगर अपनाया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है..
भाग दौड़ कम करें :
आज का जीवन बहुत ही भाग दौड़ से भरा हुआ है....अब देखिये न सुबह रेल, बस कुछ भी लेना होता है..हम अपने घर से ही देर से निकलते हैं...जाहिर सी बात है दौड़ कर ट्रेन या बस लेनी होती है...इसी काम के लिए अगर हम थोड़ा पहले निकले घर से ....तो ऐसे स्थिति ही नहीं आएगी..और हृदय को ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी...हर काम योजना-वद्ध तरीके से करें..तथा जीवन व्यवस्थित और नियमित रखें... जिसमें भाग-दौड़ कम हो तो .....हृदय पर बोझ कम पड़ेगा और हृदय... हृदय रोग से बचा रह सकता है...
नियमित व्यायाम :
वैसे तो व्यायाम करना सबको ही कठिन काम लगता है ..लेकिन नियमित व्यायाम स्वस्थ हृदय प्रदान करता है....व्यायाम अचूक वाण है हृदय रोग के लिए...४५ वर्ष की आयु तक हर दिन प्रात ऐसा व्यायाम करें जिससे थकान न हो ....और फिर ४५ वर्ष कि आयु के बाद हर दिन सुबह टहलने जाना चाहिए....ऐसा करने से हृदय रोगी नहीं होता है...
योग एक और औषधि है हृदय रोग के निवारण के लिए...विशेष कर शवासन....यह रक्त चाप को संयमित रखता है.....वैज्ञानिक भी योग की महत्ता को मानते हैं ...दवाईयां तो ता-उम्र लेनी पड़तीं हैं ...और शरीर पर उनका बुरा असर भी पड़ता है...लेकिन योग हर हाल में बेहतर उपाय है...
योग एक और औषधि है हृदय रोग के निवारण के लिए...विशेष कर शवासन....यह रक्त चाप को संयमित रखता है.....वैज्ञानिक भी योग की महत्ता को मानते हैं ...दवाईयां तो ता-उम्र लेनी पड़तीं हैं ...और शरीर पर उनका बुरा असर भी पड़ता है...लेकिन योग हर हाल में बेहतर उपाय है...
भावावेश पर अंकुश :
मानसिक तनाव, उन्माद, चिंता ये सभी हृदय रोग को अपनी तरफ खींचते हैं ...
यदि आप सामाजिक रिश्तों और क्रिया-कलापों से दूर रहते हैं ..और जीवन में आपकी अभिरुचि का दायरा बहुत छोटा है तो आपके हृदय रोग से पीड़ित होने की सम्भावना है ...और भी अनेक कारण हो सकते हैं ...जैसे ...
यदि आपका भावावेश बहुत तीव्र और लम्बा होता है
यदि आप बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं और ऐसा बार-बार होते हैं
यदि आप अधिक उत्तेजित, बेचैन और क्षुब्ध रहते हैं
यदि आपका व्यक्तित्व बहुत अधिक सहनशील है
यदि आप बहुत अधिक हठधर्मी और निर्णायक हैं
उन सभी मनुष्यों में जिनमें ऊपर बताई गयीं कमियाँ हैं हृदय रोग होता है या होने कि भरपूर सम्भावना है...
यदि आप सामाजिक रिश्तों और क्रिया-कलापों से दूर रहते हैं ..और जीवन में आपकी अभिरुचि का दायरा बहुत छोटा है तो आपके हृदय रोग से पीड़ित होने की सम्भावना है ...और भी अनेक कारण हो सकते हैं ...जैसे ...
यदि आपका भावावेश बहुत तीव्र और लम्बा होता है
यदि आप बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं और ऐसा बार-बार होते हैं
यदि आप अधिक उत्तेजित, बेचैन और क्षुब्ध रहते हैं
यदि आपका व्यक्तित्व बहुत अधिक सहनशील है
यदि आप बहुत अधिक हठधर्मी और निर्णायक हैं
उन सभी मनुष्यों में जिनमें ऊपर बताई गयीं कमियाँ हैं हृदय रोग होता है या होने कि भरपूर सम्भावना है...
प्रत्येक मनुष्य को हृदय रोग से बचने कि हर संभव कोशिश करनी चाहिए....सभी प्रकार के मानसिक और प्राकृतिक बुराइयों से बचना चाहिए...जैसे जुआरी होना अपने आप में हृदय रोग को जन्म नहीं देता लेकिन जुआ में हारना ..फिर नुक्सान की चिंता से ग्रस्त हो जाना ...इस नुक्सान से बाहर निकलने की चिंता से रक्त चाप का बढ़ना, पसीना निकलना, पैर पटकना, चीखना-चिल्लाना, गुस्सा करना ..ये सभी हृदय रोग को जन्म देते हैं...
लेकिन ऐसा उस व्यवस्थित परिवार में नहीं होता है जहाँ पति-पत्नी एक-दूसरे के गुण-दोषों से सामंजस्य स्थापित करके...एक-दूसरे की कोमल भावनाओं की कद्र करते हैं...
संतुलित भोजन :
बहुत ज्यादा वसा युक्त भोजन नहीं करना चाहिए...जैसे घी, मक्खन, पनीर इत्यादि...इनमें संतृप्त वसा होती है जिससे रक्त में 'कोलेस्ट्रोल' की अधिकता हो जाती है...जिससे हृदय रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है...मकई और मूंगफली के तेल या जैतून के तेल से कोलेस्ट्रोल नहीं बढ़ता है....
मोटापा कम करें :
अगर शरीर का वजन सामान्य वजन से ३० % ज्यादा हो जाए तो हृदय रोग होने की सम्भावना दुगुनी हो जाती है...सामान्य वजन किसी भी इंसान की उम्र और उसकी ऊँचाई के अनुपात में होता है...हर किसी को अपना सामान्य वजन बनाये रखने की आवश्यकता है...इसके लिए नियमित खाएँ और उतना ही खाएँ जितनी आवश्यकता है ..उससे ज्यादा नहीं...
धूम्रपान, तम्बाकू और मादक पदार्थों के सेवन से बचें :जो व्यक्ति बहुत अधिक धूम्रपान करता है उसे यह नहीं मालूम है कि सिगरेट, बीड़ी में 'निकोटिन' होती है और यह 'निकोटिन' रक्त में प्रवाहित होती है, निकोटिन खून के थक्के बनाती है...और यही थक्के अचानक खून का दौरा रोक सकते हैं और असमय मौत को बुला सकते हैं...
रक्तचाप पर नियंत्रण :
रक्त चाप पर नियंत्रण बहुत आवश्य है ...इसे चाहे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है या फिर योग से वैसे सबसे ज्यादा कारगर तरीका है 'शवासन' से..
ये कुछ आसन से तरीके हैं अपने प्यारे दिल की देख-भाल के लिए ...इन्हें अपना कर देखिये ..कैसे आपका हृदय स्वस्थ और सुरक्षित रहेगा .....और फिर देखते जाइए आपका हृदय आपका कितना साथ देता है...!!
आज आनंद आ गया |
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगिंग को सही मायने में ऐसे ही लेखों की आवश्यकता है |
आभार |
बहुत सुन्दर लेख अदा जी !
ReplyDeleteअदा जी ! बहुत ही काम की बातें बताई आपने ...पर मुझे तो तस्वीर देख कर मजा आ रहा है..शुक्रिया इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए
ReplyDeleteबहुत ही ज्ञान वर्धक पेट (उफ़ ...पोस्ट)सारे उपाय उपयोगी है ...आभार!
ReplyDeleteका करे वज़न कम ही नही होता . दिल तो सब झेल ही लेता है
ReplyDeleteada diiiiiiiiiiiiiii
ReplyDeleteye aapka dil hai.....baap rey innna badaaaaaaaaaa???????
ji dr. sahab sun rahi hu aapka lecture...bahut acchhha lag raha hai...neend b aa rahi hai.(ha.ha.ha.)
बिना थकन या शिथिलता दिखाए हुए अपना कार्य करता ही रहता है...
ch.ch. bichara kitna kaam karta he na APKA DIL...(apne hi to likha hamara dil)
आज का जीवन बहुत ही भाग दौड़ से भरा हुआ है...
haaaaaaa.n meri life me b bahut bhaag daud hai to kya daudna nahi chaahiye???
नियमित व्यायाम :
ye to apun k bas ki baat nahi he coz me fir patli ho jaungi naaaaaa.
मानसिक तनाव, उन्माद, चिंता ये सभी हृदय रोग को अपनी तरफ खींचते हैं ...
ye bhi to sasure nahi chhutTe na ab ehi dekho apko rev.dene me kitna bhavavesh aa raha hai (ha.ha.ha.)
यदि आपका भावावेश बहुत तीव्र और लम्बा होता है
nahi dr. sahab teevr he per lamba nahi hai.
यदि आप बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं और ऐसा बार-बार होते हैं ...ha.n koi manane wala ho to naaraaz jaldi jaldi hone me maja aata he na.di.
यदि आप अधिक उत्तेजित, बेचैन और क्षुब्ध रहते हैं ...tabhi to dard bhara likhti hu na.
यदि आपका व्यक्तित्व बहुत अधिक सहनशील है..vo kon si chidiya ka naam he ji???
यदि आप बहुत अधिक हठधर्मी और निर्णायक हैं ...koi hone hi nahi deta...uuuummm
baap rey kis motu ka photo khheech maara reeeyyy
dr. sahib bilkul samajh gayi ham to .apna photuuu aisa katayi nahi hone denge..
ha.ha.ha...di nice article.
badhayi n thanks.(per mujhe sab kuchh pata hai) ha.ha.ha.
धूम्रपान, तम्बाकू, दारु तो हम लेते नहीं और जुआ का ज हम जानते नहीं.... एक शौक़ है .... वो भी चाय पीने का..... भोजन भी हम संतुलित ही करते हैं.... और व्यायाम तो हमारा शौक है..... रहा सवाल पति-पत्नी के एक-दूसरे के गुण-दोषों से सामंजस्य स्थापित करना....तो पत्नी अभी बहुत दूर है..... उम्मीद है मैं बहुत ज्यादा जीऊंगा.... वैसे भी मैं अजर-अमर हूँ....
ReplyDeletekavitaye, gazale aour ab hal e dil...aalekh me.
ReplyDeletekya baat he, sukhad jaankaari he adaji.
बहुत ज्ञानवर्धक आलेख है ..आपने लगभग सब कुछ कह दिया जो ज़रूरी है स्वस्थ जीवन जीने के लिए । एक छोटी सी बात जोडना चाहूँगा जो सब धर्मों के अनुयाईयों के लिए समान रूप से आवश्यक है...अपने प्रभु का नित्य स्मरण करें, सद जीवन के लिए उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करें और उससे प्रार्थना करें कि वह हमारे माध्यम से सदैव कल्याणकारी कर्म ही करवाए । इससे मानसिक बल मिलेगा और शरीर भी स्वस्थ रहेगा ।
ReplyDeleteआज तो आप बाकायदा मेडिकल कौन्सिलिंग पर आ गईं -मुझे तो बहुत जरूरत है इसकी .नोट कर लिया है मगर मुझे एक्सरसाईज बस एक ही ठीक लगती है सच में ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी,हमे यहां यह सारी जानकारी हर महीने मिल जाती है, लेकिन आप की यह जानकारी बहुत लोगो के काम आयेगी
ReplyDeleteबेहद पसंद आई।
ReplyDeleteसिर्फ हैडिंग..और तस्वीरें देख कर ही कमेंट दे रहे हैं जी...
ReplyDeleteआपके इस लेख को हम नहीं पढेंगे कभी भी...
स्मोकर हम हैं...कभी के..
और जाम...
जाम को तो कभी भी खुद से अलग नहीं किया हमने...
हम कभी भी नहीं पढ़ते जी..के क्या लिखा है सिगरेट कि डिब्बी पे...
और क्या लिखा है...बोतल पर.......
२५ साल से धुंए से..और १५ साल से....लाल परी से.................
अगली laayin लिखनी आसान नहीं है जी....
ये तो बड़ी ज्ञान भरी बातें है...क्या बात है....बहुतों का भला हो जायेगा...शायद तुम कहो तो समझ में आ जाए
ReplyDeleteदिल की बातें, दिल ही जाने..
ReplyDeleteडॉ दराल के साथ डॉ अदा अब ब्लॉगवुड के हर बाशिंदे को सुपरफिट बना के ही दम लेंगे...आमीन
जय हिंद...
दिल के बारे में बहुत कुछ लिख दिया ....बहुत सारगर्भित आलेख ....हृदयरोगियों को निश्चित ही लाभ हुआ होगा ...
ReplyDeleteदिल के रोगी किन कारणों से बनते है ...कई कारण गिना दिए ...मगर असली कारण भूल गयी ...अरे ...वही तो ....!!
बेहद उपयोगी व संतुलित आलेख ! जरूरी से बातें ! आभार ।
ReplyDelete@वाणी जी,
"मगर असली कारण भूल गयी ...अरे ...वही तो ....!!"
-जान बूझ कर भूल गयीं । समझती हैं अदा जी कि कारण जान लें, मर्ज की प्रकृति भी समझ लें, पथ्य-अपथ्य सब बूझ लें - फिर भी मामला सम्हलने का नहीं - ’मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की ’ ।
तो चलो वह कारण ही नहीं गिनाते !
अत्यन्त सुन्दर, सार्थक एवं जानकारीपूर्ण पोस्ट!
ReplyDeleteआज नेट में हिन्दी को ऐसे ही लेखों, जो नये नये पाठकों को आकर्षित कर सकें, की बहुत अधिक आवश्यकता है। हो सके तो इसे 'है बातों में दम?' प्रतियोगिता में भी डाल दे ताकि बहुत सारे नये पाठक, जो हिन्दी ब्लॉगजगत से अब तक अपरिचित हैं, भी पढ़ सकें।
@ ...बिना हृदय के न प्रेम संभव है न ही क्रोध....इसके बिना न लाज, न काज, न सेवा और न ही अपराध ...हर अच्छे बुरे काम के पीछे हाथ होता है दिल या हृदय का
ReplyDeleteकवि जन सुधर नहीं सकते
सभी बातें गाँठ बाँध ली हैं। लेकिन गाँठ खोलने में आलस लगती है। वैसे बहुत मामलों में शाकाहारी हैं - दारू, सिगरेट वगैरह छूते नहीं। एक बात और बताइए - रोज अठारह बार हँसना चाहिए। 18 क्यों, गुरु जी ने नहीं बताया लेकिन हम मानते हैं। कई बार लोग बुरा भी मान जाते हैं लेकिन धीरे धीरे समझ जाते हैं कि ये ऐसा ही है।
तोंद वाली फोटो पर हम मुग्ध हो गए हैं। क्या वलय है ! प्रकृति भी कैसे कैसे गुल ..उहूँ..तोंद खिलाती है !
Bahut acchi jaankari aj mili hai
ReplyDeleteshukriya
बहुत ही लाभप्रद जानकारी... ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी,हमे यहां यह सारी जानकारी हर महीने मिल जाती है,
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