Thursday, January 28, 2010

हमने भी एक दूसरा ख़ुदा बना दिया



जब उसने हमें बनाकर यूँ भुला दिया
हमने भी एक दूसरा ख़ुदा बना दिया

दूरियाँ हैं कितनी, अब क्या हिसाब दें
ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया

खाक़ में मिलाना था,तो खाक़ में मिलाते
खाक़ होकर, खाक़ में हमको मिला दिया

घेरा वो तेरे शाने का फिर मेरा वहाँ बसना
सीने से यूँ लगाया कि अन्दर छुपा दिया

कहकशाँ की भीड़ में अश्क़ भी छुपा था
हंसने लगे थे हम तो उसने रुला दिया 

ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे
चुन-चुन के पत्थरों से  किला बना दिया



28 comments:

  1. दीदी ग़ज़ल है तो अच्छी और मैं शुरुआत भी ख़राब नहीं करना चाहता क्योंक्वैसे भी मुझे इतनी समझ नहीं लेकिन पता नहीं क्यों मुझे ये पिछली सशक्त रहनाओं से कमज़ोर लगी. ना जाने क्यों????
    माफ़ करदेना प्लीज
    जय हिंद... जय बुंदेलखंड....

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  2. ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे
    चुन-चुन के पत्थरों से किला बना दिया
    रचना अच्छी लगी ।

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  3. बहुत ही खुबसूरत रचना है.....पद कर अच्छा लगा !!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  4. खाक़ में मिलाना था,तो खाक़ में मिलाते
    खाक़ होकर खाक़ में हमको मिला दिया

    -बहुत उम्दा! वाह!

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  5. बहुत सुन्दर लिखा है अदा जी..
    कुछ याद आ गया..


    उलझन में है सबों कि नज़र चुप हुई ज़बां..
    क्यूँ सबका हाल अपने ही जैसा बना दिया...

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  6. दूरियाँ कितनी है, अब कितना हिसाब दें
    ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया
    वाह वाह

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  7. जब उसने हमें बना कर भुला दिया ...हमने दूसरा खुदा बना लिया ...
    बढ़िया किया ...कहाँ है वो ...दूसरा खुदा ...??

    दूरियों का हिसाब लहू बनकर बहाने की अदा भी खूब रही ...

    अच्छी ग़ज़ल मगर आपकी कवितायेँ इस पर भारी हैं ....

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  8. दूरियाँ कितनी है, अब कितना हिसाब दें
    ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया..
    क्या खूबसूरत लाइनें हैं..

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  9. "ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे"

    भाव अच्छा है!

    किन्तु हमेशा ऐसा नहीं होता, कठोर नारियल के भीतर से बहुत ही कोमल होता है।

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  10. ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे
    चुन-चुन के पत्थरों से किला बना दिया

    बहुत सुंदर-आभार

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  11. ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे

    चुन-चुन के पत्थरों से किला बना दिया

    लाजबाब !

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  12. खाक़ में मिलाना था,तो खाक़ में मिलाते
    खाक़ होकर खाक़ में हमको मिला दिया
    बहुत खूब शुभकामनायें

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  13. खाक़ में मिलाना था,तो खाक़ में मिलाते
    खाक़ होकर खाक़ में हमको मिला दिया

    ये शे'र वजनी लगा.

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  14. बहुत बेहतरीन रचना.

    रामराम.

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  15. जब उसने हमें बनाकर यूँ भुला दिया

    हमने भी एक दूसरा ख़ुदा बना दिया

    क्या बात है..एकदम जमाने के अनुरूप....बहुत बढ़िया

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  16. चले थे साथ मिलकर, चलेंगे साथ मिलकर,
    तुम्हे रुकना पड़ेगा, मेरी आवाज़ सुनकर...

    उफ़ पापी पेट के लिए ये मसरूफ़ियत...और वो समझते हैं, हम बेवफ़ा हैं...

    जय हिंद...

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  17. ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे
    चुन-चुन के पत्थरों से किला बना दिया


    अच्छी रचना है....।

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  18. दूरियाँ हैं कितनी, अब क्या हिसाब दें
    ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया
    क्या बात है एक एक शेर इस गजल का बेशकीमती है, बहुत सुंदर

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  19. जब उसने हमें बनाकर यूँ भुला दिया
    हमने भी एक दूसरा ख़ुदा बना दिया
    mashaallah ..kya baat kahi hai Bahut khoob.

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  20. बेहतरीन गज़ल । आभार ।

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  21. ईटों के सीने में तो पत्थर के दिल मिलेंगे
    चुन-चुन के पत्थरों से किला बना दिया

    बहुत सुन्दर अदा जी।

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  22. दूरियाँ हैं कितनी, अब क्या हिसाब दें

    ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया

    वाह ....क्या अंदाज़ -ए - बयां है....बहुत खूबसूरत.

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  23. जब उसने हमें बनाकर यूँ भुला दिया
    हमने भी एक दूसरा ख़ुदा बना दिया
    kamal hai di... puri ghajal kamaal hai...

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  24. jawab nahi .........aapki rachna itni badi hai ke mere shabd shayd chote lage.....

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  25. ye gazel hai ya teekhe prahar???

    e dil-e-nadaa....tujhe hua kya hai???

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  26. "दूरियाँ हैं कितनी, अब क्या हिसाब दें
    ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया "

    ...वाह! इस एक शेर पर अपना लिखा सब निछावर मैम!

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  27. जब उसने हमें बनाकर यूँ भुला दिया
    हमने भी एक दूसरा ख़ुदा बना दिया

    वाह
    इस जानदार मतले के बाद
    लगता नहीं
    कि कहने को कुछ रह जाता है.....
    और....
    अगर कुछ कहा जाए ,,,तो,
    मेजर गौतम की तरह ही कहा जाए

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  28. वाह ....क्या अंदाज़ -ए - बयां है....बहुत खूबसूरत.

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