Saturday, July 31, 2010

ओ मेरे दिल के चैन .....

शुक्र है !
मेरे घर की दीवारें
विश्वास के फौलाद से बनीं हैं,
वर्ना ये कल के बच्चे
बतकही के पत्थर फेंकने से बाज़ नहीं आते
कितने मासूम हैं ये !
इतना भी नहीं समझते !
मेरा घर शीशे का नहीं है
जो टूट जाएगा....!!

29 comments:

  1. कविता संवाद / उत्तर की प्रक्रिया में है ! सपाटबयानी प्रभावी है !
    ये मेरा पसंदीदा गाना है , पर पहली बार विजुअल देख रहा हूँ ! आभार !

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  2. इन बतकही के पत्थर फेंकने वालों से कहिएगा...

    चिनाय सेठ, जिनके घर खुद शीशे के बने हों, वो दूसरों पर पत्थर नहीं उछाला करते...

    जय हिंद...

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  3. कविता में बहुत उम्दा बात कही!!

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  4. मेरे घर की दीवारें
    विश्वास के फौलाद से बनीं हैं,
    सारगर्भित रचना बधाई

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  5. 'ये कल के बच्चे'
    'बतकही के पत्थर'
    हम्म !
    मुआमला सीरियस तो नहीं?

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  6. क्या भाव प्रस्तुत किया है आपने!
    विश्वास हृदय की वह कलम है जो स्वर्गीय वस्तुओं को चित्रित करती है।
    आपका काव्य चित्र यही कहता प्रतीत हो रहा है।

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  7. बहुत ही सुन्दर विश्वासवर्धक प्रस्तुती ,शानदार व विचारणीय ...

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  8. आपके विश्वास में आपका सत्य है, इन बतकहियों में समाज का असत्य है। परेशान कर सकता है पर तोड़ नहीं सकता है।

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  9. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती

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  10. नई पीढ़ी में हमारे विश्वासों पर अंधी चोट करने की जो परंपरा सी चल पड़ी है,उसे आपने इस रचना में बखूबी बता दिया है...दो पीढ़ियों का सीधा अंतर ।

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  11. लाजवाब प्रस्तुति ....

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  12. :):)
    कल के बच्चे ...कहाँ है ..??

    अपना एक शेर जो पहले भी कमेन्ट में लिखा था ,लिख देती हूँ फिर से ...

    " मेरे खवाबों का महल शीशे का ...वो पत्थर उठाये हाथों में ,एक वार हमने बचाया तो बुरा मान गए " ...
    इस पर तो पूरी ग़ज़ल बनती है ...कोशिश करती हूँ लिखने की ...हा हा हा हा

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  13. शुक्र है...मेरे घर की दीवारें
    विश्वास के फौलाद से बनीं हैं,
    वर्ना ये कल के बच्चे
    बतकही के पत्थर फेंकने से बाज़ नहीं आते
    कितने मासूम हैं ये...इतना भी नहीं समझते !
    मेरा घर शीशे का नहीं है...जो टूट जाएगा....

    सच ही कहा है अदा साहिबा...
    जहां विश्वास की इतनी मज़बूत दीवारें होती हैं....
    वहां आवाज़ के पत्थर हार जाते हैं.

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  14. sundar prastuti......:)

    कितने मासूम हैं ये !
    इतना भी नहीं समझते !
    मेरा घर शीशे का नहीं है
    जो टूट जाएगा....!!

    aapne bataya nahi hoga unhe!!

    unn masumo ko bulaiye, aur pyar se ek chapat laga kar samjha dijiye...:D

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  15. एक बढिया संदेश देती रचना है। बधाई।

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  16. एक संवेदनशील हृदय और मजबूत इरादे, आपकी रचनाओं के हिसाब से आपका व्यक्तित्व ऐसा ही होना चाहिये। प्रेरक।
    अमरेन्द्र जी के कमेंट का उत्तरार्ध अक्षरश: अपने लिये भी सत्य है, सुना और चाहा बहुत है ये गाना, देखा नहीं था पहले।
    आभार स्वीकार करें।

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  17. क्या बात है। सच में हमारे घर शीशे के नहीं...

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  18. tarif ke liye shabda nahi hai.......shandar

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  19. @गिरिजेश जी,
    मुआमला तो है मगर सिरियस नहीं...
    धन्यवाद...आपने पूछा...

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  20. @ मनु जी,
    बात तो है..लेकिन जिक्र करने लायक नहीं...

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  21. यह गाना ... इसे गा गा कर कई बार रैगिंग से बचा हूँ,,

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  22. अत्यंत सहज ,लेकिन प्रभावी !!
    समय हो तो पढ़ें
    मीडिया में मुस्लिम औरत http://hamzabaan.blogspot.com/2010/07/blog-post_938.html

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  23. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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