Tuesday, July 13, 2010

हाल क्या है दिलों का न पूछो सनम...

हम तो कुछ लिख ही नहीं पा रहे हैं..
समय ही नहीं है...
लेकिन अपनी पसंद का गीत तो सुनवा ही सकते हैं ...
बात ये है कि... ये दोनों गीत किशोर साहब और रफ़ी साहब की आवाज़ में हमें बहुत-बहुत पसंद ...
तो सोचा क्यूँ न आप लोगों को भी याद दिलवा दें इन सदाबहार गानों की..





5 comments:

  1. इसी गाने की दो लाइनों पर कभी मैं बेहद जबरदस्त फिदा था...

    आंख झुकाना तो आपका फिर ठीक था,
    आंख झुका के उठाना, गजब ढा गया...

    (कभी फरेब का ये गाना सुनिएगा या देखिएगा...ये आंखे झुकी झुकी)

    जय हिंद...

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  2. बहुत अच्छा गीत है!
    सुनवाने के लिए आभार!

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  3. दोनों गीत सुन्दर हैं...

    पहले वाले गीत के साथ एक और भी था...
    अपुन को भी एक नजर देखो ना...
    बुरे नहीं हम भी इधर देखो ना....

    सुन्दरी..आय हाय सुन्दरी...



    और..


    सारा गुलशन दे डाला..कलियाँ और खिलाओ ना..
    हँसते हँसते रो दें हम....


    इतना भी तो हंसाओ ना....

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