Monday, January 4, 2010

बस गंगा जल हो....


तेरा आना
पागल दिल हो
झलक दीखाना
ख़ुशी का पल हो
छुप छुप रहना
दर्द-ए-दिल हो
हाथ ना आना
बीता कल हो
नैन मिलाना
एक ग़ज़ल हो
नज़र में मेरी
ताजमहल हो
उम्र का हासिल
नूर महल हो
पाक़ हो जैसे
तुलसी दल हो
अंत समय में
बस गंगा जल हो

22 comments:

  1. आत्मिक समर्पण की भावना से ओतप्रोत रचना!

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  2. मेरा सांवरा निकट हो ..तिरछे चरण खड़ा हो ...मुख में तुलसी दल हो ....
    सांवरे को बुलाना है तो आँख बंद कर ध्यान लगा लीजिये ....गर्दन झुकाई यार का दीदार कर लिया ...आखिरी समय का इन्तजार क्यों ...??

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  3. प्रेम और विश्वास की सुंदर अभिव्यक्ति...बढ़िया भाव..बधाई!!

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  4. अंत समय में बस गंगा जल हो....

    बहुत बढिया

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  5. बहुत उम्दा!!



    ’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

    -त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

    नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

    कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

    -सादर,
    समीर लाल ’समीर’

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  6. दीदी चरण स्पर्श

    वाह जी वाह क्या बात है , कभी-कभी सोचता हूँ और बहुत परेशान भी होता हूँ कि आप पास कितना कुछ है लिखने को, रोज ही धासु-धासु पोस्ट ठेल देती हैं , । बहुत उम्दा

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  7. अंत समय में
    बस गंगा जल हो...

    रचना बहुत सुंदर है... पर आखिरी पंक्ति डरा देती है.

    कुल मिला के हम तो यही कहेंगे... कि आपसे तो प्यार है ही.. आपकी लेखनी से भी प्यार है...

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  8. अंत समय में
    बस गंगा जल हो...
    bahut achha.

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  9. छुप छुप रहना
    दर्द-ए-दिल हो
    हाथ ना आना
    बीता कल हो

    बहुत बढिया !

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  10. सुन्दर शब्दों से सजी भाव भरी अभिव्यक्ति

    लिखते रहिये
    मोहिन्दर कुमार
    http://dilkadarpan.blogspot.com

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  11. बहुत सुन्दर प्रेम और समर्पण की उम्दा रचना के लिये बधाई और नये साल की शुभकामनायें

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  12. प्यार समर्पण लिए हुए सुन्दर रचना !!

    नव वर्ष की शुभकामनायें !

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  13. इस सुन्दर से, प्यारे से
    मखमली नव-गीत के लिए बधाई!

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  14. कमाल की सोच, सुन्दर शब्द! वाह!

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  15. काफी संतुष्टि प्रदान कर गई यह कविता।

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  16. सुंदर लिखा है, तस्वीरें और शब्द मिल कर एक नया मौसम बनाते हैं.

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  17. panktiyan sunder hain...par ye ant samay ki baat kyon? esa na likha kariye.

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  18. काश! कि कविता लिखना इतना सहल हो :)

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  19. छुटकी पंक्तियाँ, गहरे अर्थ !

    बेहद खूबसूरत रचना ! आभार ।

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  20. aatma ko sparsh kar gayi kamaal ki rachna ,nav varsh ki asim shubhkaamnaaye

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  21. ग़ालिब याद आया.....

    वफादारी, बशर्ते-ऐ-उस्तवारी, असल ईमां है
    मरे बुतखाने में, तो काबे में गाडो बरहमन को

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  22. बहुत प्यारी और पवित्र प्रेम को समर्पित रचना.......बधाई

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