तेरा आना पागल दिल हो झलक दीखाना ख़ुशी का पल हो छुप छुप रहना दर्द-ए-दिल हो हाथ ना आना बीता कल हो नैन मिलाना एक ग़ज़ल हो नज़र में मेरी ताजमहल हो उम्र का हासिल नूर महल हो पाक़ हो जैसे तुलसी दल हो अंत समय में बस गंगा जल हो
मेरा सांवरा निकट हो ..तिरछे चरण खड़ा हो ...मुख में तुलसी दल हो .... सांवरे को बुलाना है तो आँख बंद कर ध्यान लगा लीजिये ....गर्दन झुकाई यार का दीदार कर लिया ...आखिरी समय का इन्तजार क्यों ...??
वाह जी वाह क्या बात है , कभी-कभी सोचता हूँ और बहुत परेशान भी होता हूँ कि आप पास कितना कुछ है लिखने को, रोज ही धासु-धासु पोस्ट ठेल देती हैं , । बहुत उम्दा
आत्मिक समर्पण की भावना से ओतप्रोत रचना!
ReplyDeleteमेरा सांवरा निकट हो ..तिरछे चरण खड़ा हो ...मुख में तुलसी दल हो ....
ReplyDeleteसांवरे को बुलाना है तो आँख बंद कर ध्यान लगा लीजिये ....गर्दन झुकाई यार का दीदार कर लिया ...आखिरी समय का इन्तजार क्यों ...??
प्रेम और विश्वास की सुंदर अभिव्यक्ति...बढ़िया भाव..बधाई!!
ReplyDeleteअंत समय में बस गंगा जल हो....
ReplyDeleteबहुत बढिया
बहुत उम्दा!!
ReplyDelete’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
दीदी चरण स्पर्श
ReplyDeleteवाह जी वाह क्या बात है , कभी-कभी सोचता हूँ और बहुत परेशान भी होता हूँ कि आप पास कितना कुछ है लिखने को, रोज ही धासु-धासु पोस्ट ठेल देती हैं , । बहुत उम्दा
अंत समय में
ReplyDeleteबस गंगा जल हो...
रचना बहुत सुंदर है... पर आखिरी पंक्ति डरा देती है.
कुल मिला के हम तो यही कहेंगे... कि आपसे तो प्यार है ही.. आपकी लेखनी से भी प्यार है...
अंत समय में
ReplyDeleteबस गंगा जल हो...
bahut achha.
छुप छुप रहना
ReplyDeleteदर्द-ए-दिल हो
हाथ ना आना
बीता कल हो
बहुत बढिया !
सुन्दर शब्दों से सजी भाव भरी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteलिखते रहिये
मोहिन्दर कुमार
http://dilkadarpan.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रेम और समर्पण की उम्दा रचना के लिये बधाई और नये साल की शुभकामनायें
ReplyDeleteप्यार समर्पण लिए हुए सुन्दर रचना !!
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें !
इस सुन्दर से, प्यारे से
ReplyDeleteमखमली नव-गीत के लिए बधाई!
कमाल की सोच, सुन्दर शब्द! वाह!
ReplyDeleteकाफी संतुष्टि प्रदान कर गई यह कविता।
ReplyDeleteसुंदर लिखा है, तस्वीरें और शब्द मिल कर एक नया मौसम बनाते हैं.
ReplyDeletepanktiyan sunder hain...par ye ant samay ki baat kyon? esa na likha kariye.
ReplyDeleteकाश! कि कविता लिखना इतना सहल हो :)
ReplyDeleteछुटकी पंक्तियाँ, गहरे अर्थ !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत रचना ! आभार ।
aatma ko sparsh kar gayi kamaal ki rachna ,nav varsh ki asim shubhkaamnaaye
ReplyDeleteग़ालिब याद आया.....
ReplyDeleteवफादारी, बशर्ते-ऐ-उस्तवारी, असल ईमां है
मरे बुतखाने में, तो काबे में गाडो बरहमन को
बहुत प्यारी और पवित्र प्रेम को समर्पित रचना.......बधाई
ReplyDelete