जीवन कब किस करवट बैठे, कौन जानता है ? हमारे जीवन की अधिकतर घटनाओं-दुर्घटनाओं को हम ईश्वर की इच्छा मान कर आत्मसात कर लेते हैं, लेकिन कुछ घटनाओं को विधि का विधान मानना इतना आसान नहीं, जैसे 'बलात्कार'।
बलात्कार एक ऐसा हादसा है, जिसे ईश्वर की मर्ज़ी हम नहीं कह सकते, यह सिर्फ और सिर्फ किसी की कुत्सित भावनाओं का परिणाम होता है। जिसे ता-उम्र झेलना, इसकी शिकार नारी का भाग्य।
और अगर, उस बलात्कार के परिणाम स्वरुप, वो लड़की/महिला गर्भवती हो जाए तो क्या उस बच्चे को ईश्वर का वरदान समझा जाएगा ??? अगर ऐसा माना जाएगा तब तो इस जघन्य कृत्य को भी ईश्वर की ही इच्छा माना जाएगा ....
मेरा प्रश्न आपसे, अगर बलात्कार की शिकार लड़की/महिला गर्भवती हो जाए तो :
1. क्या उस बच्चे को वो लड़की/महिला ईश्वर का वरदान समझ कर जन्म दे और पालन-पोषण करे, जो उस जघन्य कृत्य और अन्याय का दुखद परिणाम है ?
2. या फिर उस बच्चे से वो नफरत करे, जो मानवीय मूल्यों के विरुद्ध होगा ?
3. या फिर गर्भपात करवा दे, जो जीव हत्या जैसे घोर पाप के रूप में आजीवन अंतरात्मा को झिंझोड़ता रहेगा ?
बलत्कार की शिकार नारी, अगर गर्भवती हो जाए तो, उसे क्या करना चाहिए ? ...जरा आप भी सोचें ...
बलात्कार एक ऐसा हादसा है, जिसे ईश्वर की मर्ज़ी हम नहीं कह सकते, यह सिर्फ और सिर्फ किसी की कुत्सित भावनाओं का परिणाम होता है। जिसे ता-उम्र झेलना, इसकी शिकार नारी का भाग्य।
और अगर, उस बलात्कार के परिणाम स्वरुप, वो लड़की/महिला गर्भवती हो जाए तो क्या उस बच्चे को ईश्वर का वरदान समझा जाएगा ??? अगर ऐसा माना जाएगा तब तो इस जघन्य कृत्य को भी ईश्वर की ही इच्छा माना जाएगा ....
मेरा प्रश्न आपसे, अगर बलात्कार की शिकार लड़की/महिला गर्भवती हो जाए तो :
1. क्या उस बच्चे को वो लड़की/महिला ईश्वर का वरदान समझ कर जन्म दे और पालन-पोषण करे, जो उस जघन्य कृत्य और अन्याय का दुखद परिणाम है ?
2. या फिर उस बच्चे से वो नफरत करे, जो मानवीय मूल्यों के विरुद्ध होगा ?
3. या फिर गर्भपात करवा दे, जो जीव हत्या जैसे घोर पाप के रूप में आजीवन अंतरात्मा को झिंझोड़ता रहेगा ?
बलत्कार की शिकार नारी, अगर गर्भवती हो जाए तो, उसे क्या करना चाहिए ? ...जरा आप भी सोचें ...
1. क्या उस बच्चे को वो लड़की/महिला ईश्वर का वरदान समझ कर जन्म दे
ReplyDeletethis is what a senator in US has said and he has been taken to task
according to me she should get fetus aborted . its not question of ethical or non ethical , the question is her health and right time to get the abortion
Absolutely...!
Deleteउस घटना को इतना सम्मान तो नहीं दिया जा सकता है कि जीवन भर ढोया जाये, पालन करने के लिये बहुत साहस चाहिये...
ReplyDeleteBilkul sahi kaha aapne Praveen ji,
DeleteBharteey sandarbh mein kahien to ise Dusaahas kaha jaayega...
इस पोस्ट और सोच दोनों में आधुनिकता चाहिए
ReplyDeleteAdd Happy Diwali Greetings to your blog - मित्रों को शुभ दीपावली बधाइयाँ दीजिए
Aadhunikta se jyada khula dimaag chahiye..
DeleteFrom my point of view it is completly the decision of victim. If she want to get it aborted in order to avoid to see it as a reminder of the horrific act then she must.
ReplyDeleteAgreed..!
Deleteगर्भपात
ReplyDeleteBeshaq....
Deleteआपका यक्ष प्रश्न विचारणीय है . उत्तर देगा कौन? उत्तर किसके लिए? तब उत्तर की सार्थकता? यहाँ वेताल भी भागेगा अपनी लांग पकड़कर . इतना आसन नहीं कुछ भी कह देना . कहीं घटना अपनों के साथ हुई तो? बहुत पेचीदा . समाज पुरुष प्रधान फिर भी बहन ऐसी लड़की को स्वीकारेगी? शायद जंगल ही जंगल को काट डालेगा ..
ReplyDeleteरमाकांत जी,
Deleteसही कहा, प्रश्न सहज नहीं है और जवाब उससे कहीं ज्यादा कठिन, लेकिन समाज में ये आये दिन हो ही रहा है, ऐसे प्रश्नों से हम मुंह नहीं छुपा सकते हैं। और जब यह कृत्य हमारे सामने, हमारे समाज में ही हो रहा है तो जवाब भी हमें ही देना होगा। सबसे पहले तो परिवार में बच्चों को ख़ास करके लड़कों को, नारी की प्रतिष्ठा को उचित सम्मान देना सिखाना होगा, नारी को अपनी अहमियत समझनी होगी, अपने अधिकारों से अवगत होना होगा, पुरुष प्रधान समाज में अपनी जगह बनानी ही होगी। स्वयं को इतना मजबूत करना होगा कि ऐसी स्थिति आने ही न पाए, और अगर आ ही जाए तो, किसी दुर्घटना की तरह उसे भूल जाए, इसे खुद पर हावी न होने दे, गर्भपात का रास्ता हर हाल में अपनाना होगा,
फिर समाज के बाकी स्त्री-पुरुष दोनों को अपना हृदय विशाल करना होगा, आँखें खोलनी होगी, बाहें फैलानी होंगी ...यही निदान है, और कुछ नहीं।
सोच रही हूँ की ये कौन कह रहा है वही जो पानी पी पी कर तालिबानी सोच को कोसते है अब हमारी खाप पंचायते भी उदहारण देंगी की देखिये सिर्फ हम ही नहीं कह रह है अमेरिकी सीनेटर भी यही कहते है ।
ReplyDeleteरही बात बलात्कार के बाद गर्भवती होने के तो मेरा ख्याल है की यदि केस पुलिस और डाक्टर के पास सही समय पर जाता है तो डाक्टर ही इस बात की संभावना ख़त्म कर देते है , उसके बाद भी ये होता है तो उस पीड़ित को हक़ है की वो क्या करे, किन्तु उसे ये भी याद रखना चाहिए की बच्चा जब बड़ा होगा तो उसे खुद के जन्म के बारे में जान कर कैसा लगेगा , उस पीड़ित को अपने साथ ही उस बच्चे की भावनाओ के बारे में भी विचार करना चाहिए ।
अंशुमाला जी,
Deleteआपकी बातों से सहमत हूँ ...
एक बात तो युनिवर्सल साबित होती है, पुरुष कहीं का भी हो सोच वही रहती है। फिर भी भारत और पश्चिम में बुनियादी फर्क है, यहाँ ऐसे बच्चों को समाज में वो नहीं झेलना पड़ता है, जो भारतीय समाज में झेलना पड़ता है, दूसरी बात यहाँ की सरकार बच्चों के लालन-पालन में आर्थिक मदद भी देती है।
इन सारी बातों के बावजूद, नारी को अपने जीवन के बारे में फैसला लेने का अधिकार होना ही चाहिए। अमेरिकी सीनेटर द्वारा गर्भपात नहीं करने का समर्थन पूरी तरह बचकाना है, इसे धार्मिक रूप दिया गया है ...क्योकि बाईबल में गर्भपात को जघन्य अपराध माना गया है, इसलिए यह नहीं करना चाहिए, हाऊ स्टूपिड,
जीवन धर्म-पुस्तक की तरह चैप्टर्स में विभाजित नहीं होता इसकी अपनी विसंगतियां और दुरुहता होती है। उस सीनेटर की तो जितनी क्लास लगनी है लगेगी ही, लेकिन भारतीय सन्दर्भ में ऐसी स्थिति बहुत क्रिटिकल है ...ऐसी विपदा की मारी को किसी भी तरह की सहायता नहीं मिलती, ना समाज से न ही सरकार से।
इस तरह के केस में ये बात तो की अपने साथ हो या किसी और के साथ ...क्या बोलूँ ...
ReplyDeleteचाहे जिस के भी साथ हो ..सबसे ज्यादा सहज उपाय गर्भपात ही है ...
हाँ, जिन्हें ये पाप लगता हो .
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.यानी वो ज़्यादा ऊंची सोच वाले हैं ..
यानी वो बच्चे को आराम से बिना किसी किसी अलट फलत सोच में पड़े हुए पाल सकते हैं ...
यानी उनके लिए बलात्कार जैसी भी कोई चीज नहीं होती
.उनको बच्चा जन लेने दो .
इस मामले में सब की अपनी राय हो सकती है मेरी राय यह है कि सबसे पहला प्रश्न आता सेहत का यदि उस हालात में गर्भपात नहीं हो सकता तो इंसानियत का फर्ज़ निभाते हुए जन्म देना चाहिए। यहाँ मैंने गर्भपात की बात इसलिए कही क्यूंकि उन हालातों में मानसिक स्थिति भी समान्य नहीं होती उस महिला के लिए की वो सही या गलत का निर्णय स्वयं ले सके लेकिन इस के बावजूद भी यहाँ इस विषय पर मेरी सोच कहती है कि इस बलात्कार जैसे कुकर्म में उस बच्चे की कोई गलती नहीं और ना ही हमें अधिकार है किसी की जान लेने का इसे ईश्वर की मर्ज़ी का दर्जा तो नहीं दिया जा सकता मगर मानवता का धर्म निभाना तो सभी का फर्ज़ है किसी ने अगर अपनी वासना के वशीभूत होकर कोई पाप किया तो इसका मतलब यह तो नहीं की हम भी अपने स्वार्थ के कारण जानबूझ कर पाप करे फिर भला हमारे और उस पापी में क्या अंतर रह जाएगा।
ReplyDeleteजानती हूँ कहना बहुत आसान होता है और करना उतना ही मुश्किल ज्ञान बांटना बहुत ही आसान काम है क्यूंकि वो कहते है ना "जिस तन लगे वो मन जाने" वाली बात भी है मगर तब भी यदि बिना स्वार्थी हुए और समाज की परवाह किये हुए सोचा जाये तो वही सही होगा जो मैंने कहा...
पल्लवी जी,
Deleteआपकी बातों से असहमत हो रही हूँ। ऐसे फैसले से कही जीवन के तबाह होने की सम्भावना है। सबसे पहला जीवन उन स्त्री का, जिसे अनचाहे, अनजाने बच्चे का भार उठाना पड़ेगा वो भी जीवन पर्यंत, दूसरी बात उस स्त्री को समाज का सहयोग नहीं मिलेगा, सरकार भी उनकी कोई मदद नहीं करेगी, और अधिकतर परिवार भी किनारा ही कर लेते हैं।
उस बच्चे को अपने पिता का नाम कभी नहीं मिलेगा, और उसके सामाजिक जीवन के साथ क्या होगा ये तो ईश्वर ही जानता है। उसके बचपन से लेकर बुढापे तक एक बात हमेशा शाश्वत रहेगी, उसका पिता कौन है नहीं मालूम, जो एक कठिन परिस्थिति होगी।
जीवन के कुरुक्षेत्र में गर्भपात जैसा अनचाहा फैसला लेना ही होगा अर्जुन की तरह। इसमें पाप पुण्य जैसा कुछ नहीं है, वो काम जिससे सबका भला हो हमेशा सही होता है।
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ReplyDelete.
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बलात्कार यदि पीड़िता के द्वारा रिपोर्ट होता है तो अधिकाँश मामलों में बलात्कार के एक या दो दिन के बीच उसे डॉक्टरी या समाज-कानून की मदद मिल जाती है... यह चिकित्सक व सामाजिक कार्यकर्ताओं का फर्ज है कि बलात्कार के कारण अनचाहे गर्भधारण की संभावना खत्म करने के लिये वह Post Coital Pills पीड़िता को दे... उसके बाद अगले मासिक धर्म तक फॉलोअप भी करे व मासिक धर्म न आने पर मासिक स्राव के नियमितीकरण के लिये दवा दें... अगर इन सब बातों का केयर-गिवर्स द्वारा ध्यान रखा जाता है तो गर्भधारण की संभावना नगण्य हो जाती है... विशेष मामलों में जहाँ फिर भी गर्भधारण हो गया है वहा गर्भपात ही सही विकल्प है...
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बलात्कार यदि पीड़िता के द्वारा रिपोर्ट होता है....ye sabse asli mudda hai, aur uske baad ki karpranaali wahi honi chahiye jaisa aapne kaha hai....lekin agar report nahi hota hai to, jeewan duruh ho jaata hai aur faisle kathin..
Deleteजी बड़ी बड़ी बातें करने वाला विषय नहीं है। आदर्श की बात करनी हो तो मैं ये कह सकता हूं कि बिल्कुल जन्म देकर समाज मे उसे हक दिलाने के लिए संघर्ष करना चाहिए, पर इस दर्द को समझने के लिए संवेदनशील होना पडेगा।
ReplyDeleteमैने तमाम ऐसे उदाहरण देखे हैं कि इन हालातों में पीड़ित महिला के साथ उसका अपना परिवार खड़ा नही होता, फिर समाज खड़ा होगा, मुझे शक है।
बहरहाल मैं इस सवाल का जवाब दे पाने में असमर्थ हूं, लेकिन अगर मुझे आपके आप्सन में कोई एक चुनना हो तो मैं तीसरे आप्सन के साथ जाऊंगा।
जब जीवन ऐसी राह पर खड़ा हो जाए, और पीडिता उतनी सबल न हो तो आदर्श-वादर्श को न तो देखना चाहिए न ही उसके अनुसार फैसला करना चाहिए। किसी कुंठित इंसान के कु-कृतियों का खामियाजा कोई निर्दोष क्यों भरे ?
Deleteइसलिए गर्भपात ही सही रास्ता है।
वह स्वतंत्र निर्णय ले सके, काश हम उसे इतना सबल कर पाएं.
ReplyDeleteji...kaash aisa ho..
Deleteada ji meri rai me....
ReplyDelete1. ho sake to garbhpaat kara diya jaye.
2. agar ladki garbhpaat nahi karana chaahti ya nahi kara paati to is case ko kanooni jama pahna kar balatkari ladke ko vivah ke liye chahe jabardasti hi sahi taiyar kiya jaye...aur ta-umr us shadi ko nibhane ka us ladke par kanooni shikanja rahe.
3. in dono me se kuch nahi ho sakta to ladki khud me itna aatmbal rakhe ki hone wale bacche ko is duniya me aane de...aur uski parvarish aisi kare ki us bacche ko apne janm ka karan aur ghatna pata rahe aur use taiyaar kiya jaaye us balaatkari se badla lene k liye. beshak vo hone wala baccha ladka ho ya ladki...us balatkari se, uske baachche se means...sam-dam-dand-bhed jaise bhi us balatkari ko uski galti ka ehsas dilwane aur pachhtane k liye aur us galti ka muaawja bharne k liye taiyar kar diya jaye.
Anamika ji,
Deleteaapka pahla vila;p sahi laga...
doosre vikalp ke baare mein mujhe kahna hai..
Vivah aur us vyabhichaari se, hargij nahi...yah to us naari ke saath aur bhi ghor atyachaar hai, aise grinit insaan ke saath jeewan bitaana, itna hi nahi use pati ka darza dena aur saari umar uska ahsaan lena..ki usne us bechaari se vivaah kar liye...vivah jaise bandhan ko kanoon ke zor par nahi nibhaya jaa sakta hai...fir is baat ki kya guarantee hai ki usne iske pahle aisa nahi kiya hai aur iske baad nahi karega, fir wo kisi kis se vivaah karega...aisa insaan vivah ke yogy nahi hai meri nazar mein..
aapak 3ra vikalp mujhe 'TRISHUL" film ki yaad dila raha hai, jismein Amitabh aur Vaheeda ke jeewan ka lakhshy hi badla lena ho gaya tha...aise mein maa-bacche ke jeewan ke baaki uddeshyon ka kya hoga...zindagi film 'BADLA' ban kar rah jaayegi...fir bhi agar ladki ki sehat is baat ki izaazat nahi deti ki wo garbhpaat karwaaye...to use sambal diya jaaye ki wo bacche ko janam de...ladki is kabil bane ki wo apne pairon par acchi tarah khadi ho jaaye....sarkaar kw paas aisi mahilaaon ke liye yojnaayein honi chahiye...jisse unko apne pairon par khade hone ke liye arthik sahaayat di jaaye...kisi acche se vyakti ki talaash ki jaaye to bacche samet usse vivaah karne ko taiyyar ho...aise bhi logon ki kami nahi hai...aur us balaatkari ko taa-umar jel ki saza mile...
Kuch jawaab ROMAN mein de rahi hun..GMAIL mein Transliteration mein kuch problem hai ...kshamaprarthi hun..
ReplyDeleteAapka dhanywaad
ReplyDeleteअभी किसी देश के मंत्री ने कहा है कि ऐसे बच्चे भी भगवान की देन है
ReplyDeleteJi haan USA ke Republican party ke Senator Richard Mourdock, ne ye comment kiya tha.
Deleteअपनी इच्छा से गर्भधारण होने पर भी ......बहुत बार गर्भपात हो जाता है या करवा दिया जाता हैं .....तो ऐसी स्थिति में जो की आपने मुद्दा उठाया हैं .....गर्भपात ही एक मात्र उपाय है ......सादर
ReplyDeleteaapka dhanywaad...
Deletesaadar